>>: बिपरजॉय के आने से राजस्थान के इस जिले में खौफ, सड़कें सूनी तो दुकानें भी खुली कम

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

नागौर। Biparjoy In Rajasthan: तूफान जुबां पर था तो आशंका चेहरों पर। कोई टीवी तो कोई मोबाइल पर तूफान की 'लोकेशन' ट्रेस करने में जुटा रहा। राह चलते तो चाय की दुकान पर कोई किसी से पूछ रहा था कि नागौर तक कब पहुंचेगा। दिन में बार-बार आ रही बारिश बिपरजॉय की देन कही जा रही थी। सचेत लोग सावधानी बरतते हुए सड़कों पर कम दिख रहे थे। यहां तक कि कई दुकानें भी नागौर शहर ही नहीं अन्य गांव-कस्बों में भी बंद रहीं। हाल-चाल पूछने से ज्यादा जरूरी हो गया था तूफान का घमासान। इसकी चिंता घर-घर में थी, बच्चों तक को बाहर जाने से मनाही की जाती रही। कुछ ने अपने घर वालों की पाबंदी मानी और वे निकले भी नहीं। आमदिनों की तरह ना ट्रेफिक था ना ही लोगों की आवाजाही। आटो रिक्शा ही नहीं ई-रिक्शा तक दिख नहीं पाए। ना अदालत में गहमा-गहमी थी ना ही रेलवे स्टेशन पर भीड़-भाड़। गिनी चुनी दुकानें खुली तो थीं पर वहां भी कस्टमर नहीं दिखाई दिए। बत्ती बार-बार गुल होती रही तो अफवाहों ने भी लोगों की धड़कनें बढ़ाई। कहीं सभी ट्रेन/बस रद्द होने की खबर तो कहीं बारिश की तेजी से मकान ढहने का शोर। तूफान-तेज बारिश के पता नहीं कहां-कहां के वीडियो व्हाटसएप के जरिए धकेले जाते रहे। चिंता उनको भी थी जो ट्रेन में चढ़कर दूसरे शहर जाने वाले थे, उनकी आशंका थी कि कहीं तूफान या तेज बारिश के चलते ट्रेन घंटों खड़ी नहीं रह जाए। प्रशासन का पुख्ता इंतजाम भी था, सभी विभागों के जिम्मेदारों को यहीं डटे रहने को कहा गया था। आमतौर पर अवकाश वाले दिन लोग इधर-उधर घूमते नजर आए।


यह भी पढ़ें : चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का अनोखा असर, यहां 60 लाख रुपए के मिर्चीबड़े खा गए लोग, देखें ये रिपोर्ट

 

तीन दिन तूफानी मौसम.. प्रशासन अलर्ट, अवकाश रद्द,  राहत शिविर स्थगित

मोबाइल पर इसी की टोह
यही नहीं घर में बैठे लीलाधर हो या फिर मनीष। गुलाब हो या फिर सुनीता देवी। हर कोई दूरदराज अपने किसी रिश्तेदार-मित्र से बात करता तो बस तूफान का ही मुद्दा छाया हुआ था। कुछ कयास लगा रहे थे तो कुछ आने वाले खतरे से आगाह करते दिखे। मन को बहलाने का तरीका भले ही कुछ भी रहा पर डर/परेशानी से कोई अछूता नहीं दिखा।


यह भी पढ़ें : बिपरजॉय तूफानः बच्चों की भूख की तड़प... मां भूख लागी है, की खावा नै दे कोनी

चाय के प्याले में तूफान
स्टेशन के पास काका की दुकान हो या फिर सर्किट हाउस के पास की थड़ी। आमदिनों की तरह भीड़ नहीं थी पर जो भी दिखे बस तूफान/मौसम के बारे में बात करते दिखे। गुजरात रहे गज्जू सेठ से वीडियो कॉल के जरिए वहां के नुकसान की पूछताछ करते रहे तो कुछ अपने-अपने अंदाजे से यह बताने में जुटे रहे कि नागौर तक आते-आते तो तूफान की रफ्तार वैसे भी कम हो जाएगी। बारिश जरूर हो सकती है। इस तरह चाय के प्याले में तूफान का असर दिखाई दिया। इन दुकान पर मिले ज्ञानेश, साजिद ही नहीं सुरेश, सुनील तक इन्हीं बातों में मशगूल दिखे।

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.