>>: Rajasthan Assembly Election: मेहंदी तो मेहंदी है रंग लाएगी...मिला जीआई टैग, समर्थन मूल्य-बीमा भी जरूरी

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

रतन दवे/पाली. Rajasthan Assembly Election 2023: पाली से सोजत की ओर आगे बढ़े तो हल्की बारिश से फैली मेहंदी की भीनी-भीनी महक ने सफर के आनंद को और बढ़ा दिया। यह पौधा 100 साल तक उपज देता है, पड़दादा लगाता है और पड़पोते तक फसल लेते हैं। मेहंदी को मिले जीआई टैग ने इसे ब्राण्ड बना दिया है। विदेशों तक सोजत की मेहंदी पहुंचती है। यहां 125 से अधिक यूनिट लगी हैं और एक लाख लोगों की जिंदगी में आर्थिक रंग मेहंदी के कारण हैं। जैतारण कस्बा जमीनों के आसमान पर चढ़ रहे दाम की कमाई से मालामाल हो रहा है।

सोजत मेहंदी : 100 साल फसल देता पौधा
भैराराम कहते है कि मेहंदी को जीआई टैग का ब्राण्ड मिल गया। 18 प्रतिशत जीएसटी कम कर दी, लेकिन समर्थन मूल्य नहीं मिलता तब तक इसका कोई फायदा नहीं। मेहंदी का संघर्ष नकली व केमिकल उत्पादों से बढ़ा है। राजेश अग्रवाल यहां ट्रोमा वार्ड की जरूरत बताते है। चिकित्सक कम हैं तो नि:शुल्क योजना का लाभ नहीं मिलता, चिंरजीवी योजना को वरदान बताया। कन्हैयालाल ओझा ने कहा लम्पी फिर आ रहा है, वैक्सिनेशन की तुरंत जरूरत है। मदन मोदी और अन्य के समूह ने सोजत को जिला बनाने की वकालत की, तर्क दिया यहां पहले हाकिम बैठता था तो अब कलक्टर क्यों नहीं? सोजत से रवाना हुए तब तक रिमझिम बारिश ने घेर लिया...आगे जैतारण की ओर बढऩा था।
यह भी पढ़ें : टैक्सटाइल पर मंदी की मार...ठप पड़ा कारोबार, सब्सिडी दे सरकार

मगरा विकास बोर्ड करे काम, पानी की किल्लत
सोजत से आगे जैतारण की ओर बढ़ते है तो बर-ब्यावर की घाटियों से जुड़ा इलाका सेंदड़ा आता है, जो मगरा इलाका है। जैतारण के दो भाग है मैदान और मगरा। मगरा में 21 ग्राम पंचायते हैं, जो विधानसभा का अलग इलाका ही कहा जाएगा। सेंदड़ा के सरपंच रतनसिंह कहते है कि यहां मगरा विकास बोर्ड बना है, इसको बजट और काम दें तो इन ग्राम पंचायतों में काम हों। पांच पंचायतों में एक एएनएम है। बोरवाड़ा के गोविंदसिंह बताते है कि रींछ और पैंथर के हमले यदाकदा होत है, पशुधन का शिकार ये जंगली जानवर करते है। पचानपुरा के केसरसिंह कहते है कि यहां पाइपलाइन तो बिछा दी है, लेकिन घर-घर नल के लिए जवाई का पानी नहीं पहुंच रहा है। पानी की बड़ी किल्लत है। इस इलाके का धनिया और पोदीना प्रसिद्ध है, खेती को पूरा पानी मिले तो यह महक समूचे इलाके में फैले।
यह भी पढ़ें : सड़कें अच्छी, हवेलियां खास...पेयजल और सिंचाई परियोजनाओं से आस
ये क्या... ऑपरेशन कर दिया रॉड दिख रही
जैतारण पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। अस्पताल पहुंचे तो सीएचसी की हालत देखकर लगा कि यहां कोई धणी-धोरी नहीं है। ऑपरेटिव वार्ड में पहुंचे तो यहां पांव में रॉड लगाने का ऑपरेशन करवाकर लासणी का सुखदेव बैठा था, उसकी मां पास थी। वह पट्टी हटाकर घाव दिखाते हुए बोला, रॉड दिख रही है, यह क्या ऑपरेशन किया है। वो बताता है चिंरजीवी योजना में पैसा तो नहीं लगा। अस्पताल से एक बुजुर्ग मरीज के नली लगी हुई थी और घर जाने को कहा, वह अपने परिजनों के कंधे के सहारे चल रहा था, स्ट्रेचर नहीं थी। अस्पताल में जवाबदेह कोई नहीं मिला।

जमीन के दाम जोधपुर से आगे
जैतारण के पास ही उचारड़ा में एक ग्रामीण से बात हुई। यहां जमीन के दाम सुनकर अचंभा हुआ, इतने भाव तो जोधपुर में भी नहीं। दुकानों की कीमतें लाखों-करोड़ों में बताई। हाईवे और बिजनेस हब बनने के कारण कस्बे के आस-पास की जमीन की कीमत 70 लाख रुपए बीघा से शुरू होती है। मेहंदी यहां पर भी खेतों में है। कोटा-बिहार और मध्यप्रदेश के मजदूर जोड़े(दम्पती) आते हैं और हजार रुपए दैनिक मजदूरी पर काम करते है। जैतारण से रवाना होते-होते रात हो गई, सडक़ हाईवे है। यह सुख पूरे मारवाड़ को है, सडक़ें चमाचम।

चुनावों से जुड़ी अन्य खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.