>>: अस्पताल में कफ सीरप और खून पतला करने की दवाओं का टोटा

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नए साल की शुरूआत के साथ सर्दी बढ़ने के साथ अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क दवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हाल यह है कि ह्दय, सर्दी-जुकाम के मरीज बढ़ने के साथ सरकारी अस्पतालों के दवा केन्द्रों पर कफ सीरप और कई एंटीबॉयोटिक्स दवाएं नहीं मिल पा रही है। सर्दी के सीजन में सर्दी और जुकाम की दवाओं की औसतन खपत रोजाना पांच हजार बोटल तक पहुंच जाती है। कमोबेश यही हालात जनाना अस्पताल और जिले के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों के हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से लोकल खरीद करने का दावा किया जाता है। जिला मुख्यालय पर रोजाना औसतन दो हजार से ज्यादा मरीज उपचार के लिए आते हैं।

यह है कारण

चिकित्सा विभाग की ओर से जिला अस्पतालों में एक हजार तरह की दवाओं की सप्लाई करने के दावे किए जाते हैं लेकिन हालात यह है कि हर पर्ची पर लिखी चार दवाओं में मरीजों को दो तरह की दवाएं ही मिल जाती है। सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार की आस में आने वाले मरीजों को रोजाना बाहर से रुपए देकर दवाएं खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी नाममात्र की दवाओं की खरीद की जाती है।

इन दवाओं के लिए हो रहे मरीज परेशान

कल्याण अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब दो हजार मरीज उपचार के लिए आ रहे हैं। जिनमें से खांसी-जुकाम के औसतन सौ से डेढ़ सौ मरीज हैं। सर्दी के सीजन में हाथ-पैर में दर्द, हार्ट और लकवा संबंधी रोग बढ़ जाते हैं। मरीजों ने बताया कि अस्पताल के दवा केन्द्रों पर इटरोक्सिब 50 एमजी, एसीक्लोपैरा, एक्पेक्टोरेंट सीरप, डेक्ट्रोस प्लेन, मेटोप्रोफेल, एट्रोवास 40 एमजी, सिट्रेजिन सीरप, बवासीर के उपचार में काम आने वाली कई दवाएं नहीं मिल रही है।

इनका कहना है

अस्पताल में विभागवार दवाओं की सालभर के लिए डिमांड भेजी जाती है। सरकारी सप्लाई नहीं आने पर लोकल खरीद के लिए मरीजों के लिए दवाएं खरीदी जाती है। दवाओं की कमी है तो जानकारी ली जाएगी। मरीजों को किसी तरह की समस्या नहीं आने देंगे।

डॉ. महेंद्र कुमार, अधीक्षक कल्याण अस्पताल

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