>>: साढ़े सत्रह करोड़ के इंजेक्शन के लिए राजस्थान सरकार ने निकाला सरक्यूर्लर, अब क्या बच सकेगी बच्चे की जान

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जयपुर। एसएमए से पीड़ित एक बच्चे की जिंदगी बचाने को लेकर शिक्षा महकमा आगे आया है। पत्रिका ने इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। 6 मार्च को पत्रिका ने खबर लगाई थी कि शिक्षा मंत्री दिलावर की एक अपील बचा सकती है मासूम की जिंदगी। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने खबर को गंभीरता से लिया और मासूम की जिंदगी बचाने के लिए आगे आए। अब शिक्षा विभाग की ओर से एक सरक्यूर्लर जारी किया गया है।

माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर के निदेशक आशीष मोदी की ओर से यह जारी किया गया है। जिसमें सभी अधिकारी और कर्मचारियों से अपील की गई है कि राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय द्वारिकापुरी, जयपुर में पदस्थापित प्रयोगशाला सहायक पूनम जांगिड़ का पुत्र अर्जुन जांगिड़ जिसकी आयु 22 माह 15 दिन है। यह बच्चा स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी से पीड़ित है। जो की एक दुर्लभ आनुवांशिक विकार है। उक्त बीमारी के कारण बच्चे की गतिशीलता सामान्य बच्चों की तरह नहीं है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है। उसे सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।

चिकित्सकों के अनुसार उक्त बीमारी का इलाज एकमात्र जोलगेंसमा नामक इंजक्शन है। जिसकी कीमत लगभग साढ़े सत्रह करोड़ रुपए है। जो की बच्चे के परिवार की आर्थिक क्षमताओं से परे है। बच्चे का उक्त इंजेक्शन 24 माह तक ही लगाया जाना है। इस प्रकार बच्चे के पास अब इंजेक्शन लगाने के लिए सिर्फ एक महीने का समय बचा है। अत: मैं शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी और आमजन से आग्रह करना चाहता हूं कि आप अपने सामथर्य अनुसार सहयोग राशि सीधे पीड़ित बच्चे अर्जुन के खाते में जमा कराएं।

बोली अर्जुन की मां, क्या करें समझ ही नहीं आता...

सूम अर्जुन की मां पूनम जागिड़ का कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि वह क्या करे और क्या नहीं करे। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनके साथ ऐसा होगा। अर्जुन जब चार पांच महीने का था तब से उसमें यह प्रॉब्लम शुरू हुई। जो धीरे धीरे बढ़ती चली गई। अब सिर्फ अर्जुन के पास करीब दो महीने का समय बचा है। ऐसे में घर के हालात भी बिगड़ चुके है। हर समय दादा—दादी व खुद माता—पिता रोते रहते है। समझ ही नही आता है कि अब करे तो क्या करें। कैसे अर्जुन को बचाया जा सकता है।

पिता ने कहा : मदद मिल रही है, लेकिन अर्जुन के पास समय कम..

पिता पंकज जांगिड़ ने बताया कि उन्हें मदद मिल रही है। उनके पास अब तक करीब चार से पांच करोड़ की मदद हो चुकी है। लेकिन अब अर्जुन के पास समय कम है और राशि की जरूरत ज्यादा है। ऐसे में साढ़े सत्रह करोड़ रुपए की जरूरत है। अगर समय पर व्यवस्था हो जाएं तो अर्जुन की जिंदगी बच सकती है।

जानिए: क्या है एसएमए बीमारी..

स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रोफी से पीड़ित है। यह एक जानलेवा दुर्लभ रोग है, जो स्‍पाइनल कॉर्ड के मोटर न्‍यूरॉन्‍स पर असर डालता है। इससे मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे चलना-फिरना बंद हो जाता है। एसएमए में मोटर न्‍यूरॉन्‍स धीरे-धीरे खत्‍म होते जाते हैं, जिससे मरीजों की चलने-फिरने की क्षमता और शरीर के जरूरी काम प्रभावित होते हैं। इनमें हिलने-डुलने, सांस लेने, निगलने, आदि में कठिनाई शामिल है। सही समय पर पता न चलने के कारण कई पीड़ित बच्चे तो अपने दूसरे जन्‍मदिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं। मरीजों को होने वाली विभिन्‍न चुनौतियों के साथ-साथ उनके परिजन और देखभाल करने वाले लोग भी कई संघर्षों तथा कठिनाइयों का अनुभव करते हैं।

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