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एक करोड़ 20 लाख होंगे खर्च, तैयार हो रहा ऑक्सीजन प्लांट, सांसद ने किया निरीक्षण
हनुमानगढ़. देश में कोरोना की दूसरी घातक लहर के दौरान संपूर्ण देश को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा था। इस स्थिति से निपटने और भविष्य के लिए तैयार रहने के उद्देश्य से पीएम नरेंद मोदी ने देश के प्रत्येक जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने और सुनिश्चित करने को पीएम केयर्स फंड से देश के 551 सार्वजनिक जिला अस्पतालों पर समर्पित पीएसए (प्रेशर स्विंग एड्सॉप्र्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना किए जाने को मंजूरी दी थी। पीएसए (प्रेशर स्विंग एड्सॉप्र्शन)चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना का जिम्मा केंद्र सरकार ने रक्षा विभाग के संगठन डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को सौंपा है। अलग-अलग फेजों में इन संयंत्रों की स्थापना देश के विभिन्न जिलों में होगा। सांसद निहाल चंद के प्रयासों से हनुमानगढ़ जिले में इस संयंत्र की स्थापना पहले ही फेज में किए जाने को मंजूरी मिल गई है और अब इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। जल्द ही इस संयंत्र की सेवाएं जिला अस्पताल को मिलनी शुरू हो जाएगी। सांसद निहाल चंद ने राजकीय अस्पताल, इस संयंत्र के निर्माण कार्य और भटनेर दुर्ग का निरिक्षण कर वर्तमान हालातों का जायजा लिया। इस दौरान सांसद ने संयंत्र के जल्द निर्माण और गुणवत्तापूर्ण कार्य करने पर जोर देते हुए अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए।
सुशील बिश्नोई (सलाहकार, एनएचएआई), भाजपा जिलाध्यक्ष बलवीर बिश्नोई, भाजपा नेता अमित सहू, पूर्व चेयरमैन नगर परिषद, अमरसिंह राठौड़ समेत अन्य पदाधिकारी, कार्यकर्ता व गणमान्य लोग उपस्थित रहे। एक करोड़ 20 लाख रुपए की लागत से जिला अस्पताल, हनुमानगढ़ में लगने वाले इस पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्सॉप्र्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र की क्षमता 1 हजार लीटर ऑक्सीजन प्रतिदिन है। इससे 195 ऑक्सीजन सिलिंडरों को भरा जा सकेगा। सांसद निहाल चंद ने हनुमानगढ़ टाउन में स्थित ऐतिहासिक भटनेर दुर्ग का भी दौरा कर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की ओर से किए जा रहे संरक्षण व विकास कार्यों का निरीक्षण किया।

हनुमानगढ़ में विद्युत ट्रांसफार्मर फटा, उबलता तेल ऊपर गिरने से कर्मचारी की मौत
- तकनीकी कर्मचारी ने इलाज के दौरान तोड़ा दम
- 22 जून की रात फाल्ट ठीक करते समय झुलसा
हनुमानगढ़. जंक्शन स्थित शंकरनगर ग्रिड सब स्टेशन पर फाल्ट ठीक करते समय झुलसे तकनीकी कर्मचारी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वह ट्रांसफार्मर में लगे सीटीपीटी में विस्फोट होने के कारण उबलता मोबिल ऑयल गिरने से झुलस गया था। उसे जिला अस्पताल से बीकानेर पीबीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया था। तब से वहां उपचाराधीन था। उसकी शनिवार को मौत हो गई। गौरतलब है कि 22 जून की रात जीएसएस में फाल्ट आ गया था। ड्यूटी पर तैनात तकनीकी कर्मचारी राजेश कुमार रात करीब दो बजे फाल्ट ठीक करने लगा। लोड अधिक होने से ट्रांसफार्मर में विस्फोट हो गया। इससे गर्म मोबिल ऑयल राजेश कुमार पर गिर गया। वह गंभीर रूप से झुलस गया। वह अकेला ही जीएसएस पर तैनात था। उसे आसपास के लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। जानकारों के अनुसार सीटीपीटी उपकरण की जांच के तीन प्रमुख स्तर हैं। पहला जब कंपनी को उपकरण आपूर्ति का ऑर्डर दिया जाता है तो अधिशासी अभियंता या सहायक अभियंता उस सामान की गुणवत्ता जांचता है। इसके बाद जोधपुर स्थित लैब में उसका टेस्ट होता है। फिर सहायक अभियंता मीटर उपकरण की गुणवत्ता जांचता है।

सीएमओ तक जा चुकी रिपोर्ट, फिर भी नहीं हो सका काम
- सीएमओ के ध्यान में आने के बावजूद नहीं मिला हनुमानगढ़ को हक
- महीनों बीतने के बावजूद स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी
हनुमानगढ़. जब किसी सरकारी कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय रिपोर्ट मांग चुका हो तो यही उम्मीद रहती है कि अब काम जल्दी हो जाएगा। मगर जिले में मंजूरशुदा दो सरकारी बीएसटीसी कॉलेज संचालन के मामले में बिल्कुल भी ऐसा नहीं है। सीएमओ को रिपोर्ट भेजे करीब ग्यारह महीने बीत चुके हैं। अब तक दोनों बीएसटीसी कॉलेज संचालन की प्रक्रिया वहीं की वहीं अटकी पड़ी है। मुख्यमंत्री कार्यालय तक पीड़ा पहुंचाने के बावजूद हनुमानगढ़ को उसका हक नहीं मिल सका है।
सीएमओ को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के साथ ही डाइट के अधिकारी निरंतर एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फोर टीचर एजुकेशन), नई दिल्ली तथा क्षेत्रीय कमेटी जयपुर के संपर्क में हैं। इसके बावजूद बीएसटीसी कक्षाओं के संचालन वगैरह को लेकर कोई सकारात्मक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। जबकि बीएसटीसी कॉलेज मंजूर हुए आधा दशक से भी ज्यादा समय बीत चुका है। सरकारी दफ्तरों की धींगामस्ती में मान्यता व संचालन की स्वीकृति कहीं खो गई है। गौरतलब है कि हनुमानगढ़ में मंजूर बीएसटीसी कॉलेज का संचालन तो एनसीटीई की मंजूरी मिलने के साथ ही शुरू हो जाएगा। जबकि नोहर बाइट (ब्लॉक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन) में पहले मंजूर पद भरे जाएंगे। इसके बाद ही बीएसटीसी कॉलेज का संचालन हो सकेगा।
तो क्यों गुजरते इतने बरस
जानकारी के अनुसार गत वर्ष पत्रिका ने निरंतर हनुमानगढ़ व नोहर में बीएसटीसी कॉलेज संचालन का मुद्दा उठाया। इसके बाद स्थानीय जन प्रतिनिधि भी सक्रिय हुए। इसका परिणाम यह रहा कि सितम्बर 2020 में मुख्यमंत्री कार्यालय ने शिक्षा निदेशालय के जरिए डाइट प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। डाइट प्रशासन ने तत्काल अब तक किए गए प्रयासों तथा वर्तमान स्थिति के संबंध में रिपोर्ट भिजवा दी। सीएमओ कार्यालय ने शासन सचिव को निपटारे का आदेश दिया। शिक्षा निदेशालय ने डाइट प्रशासन को नई दिल्ली एनसीटीई कार्यालय जाकर मंजूरी की प्रक्रिया पूर्ण करने को लेकर अधिकृत किया। जबकि डाइट प्रशासन तो निरंतर दिल्ली के धक्के खा रहा था। वहां उनकी सुनवाई होती तो इतने बरस ही क्यों गुजरते।
नहीं मिली मान्यता
एनसीटीई ने फरवरी 2014 में राजकीय बीएसटीसी स्कूल को मंजूरी दी थी। एनसीटीई ने उत्तर क्षेत्रीय कमेटी जयपुर को मान्यता जारी करने के लिए भी लिखा था। इसके लिए पर्याप्त स्टाफ का पदस्थापन पहले ही डाइट में किया जा चुका था। विद्यार्थियों के लिए छात्रावास भी बनकर तैयार है। मगर बीएसटीसी में कक्षाओं के संचालन के लिए मान्यता जारी नहीं की गई। इसके लिए डाइट की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। डाइट प्रशासन ने बीएसटीसी कॉलेज निर्माण के लिए राज्य सरकार को दो करोड़ बानवे लाख रुपए का प्रस्ताव भी भिजवा रखा है। बीएसटीसी स्कूल संचालन में कई वर्ष की देरी का नुकसान यह है कि 50 अतिरिक्त सीट स्वीकृति में भी देरी होती रहेगी। क्योंकि बीएसटीसी में पहले साल 50 सीटों पर विद्यार्थियों को प्रवेश मिलना है। इसके बाद सीटों की संख्या 100 होने की संभावना है। यदि मंजूरी के साथ ही इसका संचालन शुरू हो जाता तो अब तक 100 सीट हो जाती।
शिक्षा की नहीं चिंता
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ष 2013 में प्रदेश के चार जिलों में बाइट मंजूर किए थे। इसके तहत नोहर ब्लॉक का चयन बाइट स्थापना के लिए किया गया। चक राजासर रोड पर अलग से बाइट के लिए भूमि आवंटित कर वहां भवन का निर्माण करवाया गया। मगर बाइट के संचालन की मंजूरी आज तक नहीं मिल सकी है। बाइट की स्थापना होने से शिक्षकों के विभिन्न तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम वहां करवाए जा सकेंगे। नोहर, भादरा व रावतसर के शिक्षकों को हनुमानगढ़ नहीं आना पड़ेगा। इसके अलावा बाइट में एससी व एसटी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए अलग से बीएसटीसी स्कूल का भी संचालन किया जाना है। इस संबंध में कई बार डाइट प्रशासन तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फोर टीचर एजुकेशन), नई दिल्ली को पत्र लिख चुके हैं। मगर अब तक इसके संचालन को मंजूरी नहीं मिल सकी है। जबकि बाइट भवन बने व पद मंजूर हुए पांच बरस से ज्यादा समय बीत गया है।

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