>>: Digest for July 06, 2021

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भरतपुर. शहर में आयुक्त निवास लेकर जवाहर नगर कॉलोनी समेत गलियों में बन रहे सड़क निर्माण का मामला रविवार को उस समय सुर्खियों में आया, जब वहां से गुजर रहे तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग की नजर उस समय सड़क निर्माण पर पड़ी। उन्होंने सड़क निर्माण में घटिया स्तर की सामग्री लगाने की आशंका पर नाराजगी व्यक्त की।
रविवार को जब राज्यमंत्री जवाहर नगर कॉलोनी से होकर गुजर रहे थे तो उन्होंने सड़क निर्माण कथित गड़बड़ी की आशंका पर नाराजगी जताई और मौके पर मौजूद नगर निगम के अधिशाषी अभियन्ता को निर्देश दिए कि कार्य को बन्द कराकर निर्माण सामग्री के नमूने लें और जांच के लिए तीन अलग अलग एजेन्सियों को भिजवाएं। यदि निर्माण सामग्री घटिया स्तर की पाई जाए तो एजेन्सी को नोटिस देकर उसे ब्लेक लिस्ट करने की कार्यवाही करें। हालांकि इस प्रकरण के बाद नगर निगम के अधिकारी दबी जुबां में सड़क निर्माण में कोई भी गड़बड़ी नहीं होने की बात कहते नजर आए।

बड़ा सवाल...हरेक सड़क की जांच कराएं तो पता चले

हकीकत यह है कि पिछले काफी समय से शहर में सड़कों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी हर बार चुप्पी साध लेते हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन का खेल छिपा होने के कारण कोई सुनवाई भी नहीं होती है। ऐसे में यह खेल बंद होने के बजाय लगातार चलता ही रहता है।

35 से 40 प्रतिशत तक बिलो रेट, इसलिए गुणवत्ता खराब

नगर सुधार न्यास से लेकर नगर निगम हो या सार्वजनिक निर्माण विभाग या फिर जिले का कोई अन्य निकाय, हर जगह बिलो रेट पर टेंडर लेने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। यह परंपरा बंद होने के बजाय अब और भी बढ़ती जा रही है। शहर में तो टेंडरों की हालत इतनी खराब है कि 35 से 40 प्रतिशत बिलो रेट पर भी टेंडर लिए जा रहे हैं। ऐसे में इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिलो रेट पर टेंडर लेने के बाद ठेकेदार काम किस हद तक सही करेगा। क्योंकि कमीशन की चेन से जुड़ा बिलो रेट पर टेंडर का खेल भी सड़कों की गुणवत्ता खराब करने का जिम्मेदार है।

भरतपुर. मरीजों का मर्ज मिटाने का दावा करने वाले 'माननीयÓ अपना फर्ज भूलते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि जननी का मर्ज मिटने का नाम नहीं ले रहा है। मर्ज पर मल्हम तो दूर जनाना में जननी को पंखे-कूलर की हवा तक नसीब नहीं हो रही है। साथ ही नवजात भी गर्मी में कुम्हलाते नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि गर्मी में व्याकुल जच्चा-बच्चा की आह सुनने वाला यहां कोई नजर नहीं आ रहा।
प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्थाओं की बागडोर संभालने का जिम्मा जिले से ताल्लुक रखने वाले चिकित्सा राज्यमंत्री पर है, लेकिन संभाग मुख्यालय के जनाना अस्पताल की पीड़ा देखने की फुर्सत उन्हें नहीं मिल रही है। भीषण गर्मी में पसीने से लथपथ मरीज व्यवस्थाओं को कोसते नजर आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। अस्पताल के वार्डों में लगे कूलर-पंखे हवा के नाम पर मरीजों को चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि कई कूलर बंद पड़े हैं तो किसी में पानी भरने की व्यवस्था नहीं है। कई पंखे खुद हांफ रहे हैं तो कई चलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि मरीजों को यहां राहत नहीं मिल रही है।

अस्पताल सरकारी, कूलर-पंखे निजी

अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को राहत देने के नाम पर आंखें बंद कर ली हैं। ऐसे में मरीजों के परिजन घर से कूलर-पंखे लाकर मरीजों को हवा के जतन कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने गैलरी एवं बरामदों में लगे पंखों के कनेक्शन तक काट दिए हैं। ऐसे में तीमारदार पसीने-पसीने हो रहे हैं। मरीजों ने बताया कि वह रात-रात भर पंखा झलकर गर्मी से निजात पा रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है।

यह बोले मरीज और परिजन

29 जून को पुत्र हुआ था। उसकी तबीयत खराब है, जो एनआईसीएम में भर्ती है। बाहर बैठकर इंतजार करना पड़ता है, लेकिन यहां पर अस्पताल प्रशासन की ओर से पंखों के तार भी काट दिए हैं। उमस इतनी है कि बैठना मुश्किल हो रहा है।
- राजू, निवासी कुम्हेर गेट

मेरे छोटे भाई की बहू आवा रानी शनिवार से एनआईसीएम के अमृत कक्ष में भर्ती है। बड़ा हॉल है, लेकिन इसमें सिर्फ दो ही पंखे लगे हैं। उमस के कारण हाल-बेहाल है। गर्मी की वजह से रात निकालना मुश्किल हो जाता है।
- महेंद्र सिंह, नोनेरा कामां

मेरी बहन अर्चना को बच्चा हुआ है, जो पोस्ट नेटल वार्ड की शिशु इकाई में भर्ती है। वार्ड का पंखा खराब पड़ा हुआ है। गर्मी के कारण सभी मरीज और परिजन बहुत परेशान हैं। यहां मजबूरी में रुकना पड़ रहा है।
- मिथिलेश, निवासी त्योंगा

गर्मी में तेज उमस से हाल बेहाल हैं। बहू सायना का बच्चा हुआ है, एनआईसीएम में भर्ती है। यहां गर्मी से रहना मुश्किल हो रहा है। वार्ड में कूलर लगने चाहिए, जिससे गर्मी से राहत मिल सके।
- केसंती, निवासी गोबरा

गर्मी इतनी है कि अस्पताल में भर्ती बहू कृष्णा को घबराहट हो रही थी। बेड के ऊपर लगे पंखे की हवा नहीं आ रही थी। इसलिए घर से पंखा लेकर आना पड़ा। अस्पताल में सभी मरीज परेशान हैं।
- चंदा निवासी वैद्य कॉलोनी गोपालगढ़

मेरी बहन पिंकी निवासी पचोरा कुम्हेर गायनी वार्ड में भर्ती है। गर्मी और उमस बहुत है। गर्मी से हाल बेहाल हैं। वार्ड में उमस के चलते टिकना मुश्किल हो रहा है। मरीजों को राहत देने के कोई इंतजाम नहीं हैं।
- शैतान सिंह, निवासी कठूमर

वार्ड में गर्मी की वजह से बहू सपना को घबराहट हो रही थी। यहां कूलर-पंखों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण घर से पंखा लेकर आना पड़ा है।
- आशा देवी, निवासी सर्वोदय नगर कॉलोनी

मेरी पत्नी सपना कुमारी को पुत्र हुआ है। वह वार्ड में भर्ती है। वार्ड में गर्मी बहुत है। वार्डों में पंखा भी सही तरीके से नहीं चल रहे। ऐसे में घर से पंखा लाना पड़ा है।
- रविन्द्र सिंह, निवासी सर्वोदय नगर

भरतपुर. शिक्षा महकमे के साहब की मेहरबानी से मिड डे मील के मार्फत स्वयं सहायता समूह तो फल-फूल गए, लेकिन राजकीय कोष मुरझा गया है। तमाम नियम-कायदों को ताक पर रखकर साहब ने करीब चार वर्षों में 70 से 80 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान स्वयं सहायता समूह एवं अन्नपूर्णा महिला सहकारी समितियों को किया है, जिनका समायोजन तक नहीं हुआ है। स्वयं सहायता समूहों पर वर्तमान में करीब चार करोड़ की राशि अग्रिम के रूप से बकाया है, जिनकी वसूली नहीं हो सकी है।
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से मिडडे मील क्रियान्वयन के लिए 90 स्वयं सहायता समूहों को तीन-तीन माह की राशि बिना नियमों के अग्रिम के रूप में भुगतान की गई है। इस राशि का समायोजन लंबे समय से नहीं कराया है। खास बात यह है कि मिड डे मील संचालन के लिए अग्रिम राशि देने का कहीं प्रावधान नहीं बताया गया है, लेकिन साहब ने तमाम कायदों को ताक पर रखकर तीन-तीन माह की अग्रिम राशि समूहों को दे दी है। स्वयं सहायता समूह एवं अन्नपूर्णा महिला सहकारी समितियों को पिछले चार वर्षों में करीब 70 से 80 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है। नियमानुसार इस राशि का समायोजन होना था, लेकिन वह साहब की मेहरबानी से नहीं हो सका है।

नहीं किए अनुबंध

सरकारी निर्देशों के अनुसार स्वयं सहायता समूह एवं समिति को पोषाहार वितरण का कार्य देने से पूर्व जिलास्तर पर अनुबंध किए जाने का प्रावधान है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय प्रारंभिक शिक्षा की ओर से स्वयं सहायता समूहों को कार्य आवंटित करते समय अनुबंध नहीं किया गया। इसके पीछे मंशा उन्हें अनुचित रूप से लाभ देना माना जा रहा है। इसके अलावा समूहों को कार्य क्षेत्र आवंटित करने से पूर्व अमानत राशि नहीं ली गई, जो वित्तीय नियमों के विपरीत है। सूत्रों का दावा है कि कई ऐसे स्वयं सहायता समूहों को कार्य का आवंटन किया गया है, जो सहकारिता विभाग में रजिस्टर्ड तक नहीं हैं।

मनमाने तरीके से किया कार्य आवंटन

नियमानुसार एक समिति या समूह को अधिकतम 10 विद्यालयों में भोजन पकाने का कार्य दिया जा सकता है। इससे अधिक विद्यालयों में यह कार्य विशेष परिस्थितियों में दिया जा सकता है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने बिना परिस्थितियों का उल्लेख किए दस से अधिक विद्यालयों को कार्य आवंटित कर दिया। जिले में ऐसे कई समूह भी हैं, जिनको कार्यक्षेत्र के विपरीत जाकर अन्य ग्राम पंचायत में संचालित विद्यालयों में भोजन पकाने का कार्य दिया है। कई ऐसे समूह भी हैं, जो जिनके शिकायत के आधार पर कार्यादेश निरस्त हो चुके हैं। ऐसे समूहों पर लाखों रुपए बकाया चल रहा हैं, लेकिन उनसे आज तक राशि वसूल नहीं की गई है।

ऑडियो हुआ वायरल, फिर भी चुप्पी

जानकारी में आया है कि जिला शिक्षा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से अग्रिम भुगतान के एवज में समिति एवं समूहों से राशि ली जाती है। इसका एक ऑडियो भी वॉट्सएप पर वायरल हो चुका है। इसमें अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी के लिए 60 हजार रुपए की मांगने की बात सामने आ रही है। इसके बाद भी अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हो सका है। यह खेल जिले में लंबे समय से चल रहा है, लेकिन उच्चाधिकारियों की अनदेखी के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में है। खास बात यह है कि यह मामला जिले के उच्चाधिकारियों के साथ विभाग के तमाम बड़े अधिकारियों की निगाह में है। इसके बाद भी सभी चुप्पी साधे बैठे हैं।

दो गाइड लाइन में उलझे विभाग

सूत्रों का कहना है कि मिडडे मील का भुगतान और स्वयं समूह रखने में दो गाइड लाइन विभागीय उलझन का कारण बनी हुई हैं। पहले वर्ष 2010 में स्कूलों में खाना देने का कार्य जिला परिषद के माध्यम से होता था। यह कार्य जिला परिषद की ओर से निकलने वाली सालाना पत्रिका की गाइड लाइन के मुताबिक किया जाता था, जबकि वर्ष 2014 में आयुक्त मिडडे मील ने इसके लिए नई गाइड लाइन जारी कर दी। अब शिक्षा विभाग भुगतान तो पुरानी जिला परिषद की गाइड लाइन के मुताबिक कर रहा है, जबकि स्वयं सहायता समूह रखने का कार्य वर्ष 2014 की गाइड लाइन से किया गया है। ऐसे में इससे अधिकारी भी भ्रमित हो रहे हैं।

मिड डे मील एक नजर में

420 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय

122 राजकीय माध्यमिक विद्यालय

576 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय

628 राजकीय प्राथमिक विद्यालय

34 मदरसा

1780 कुल विद्यालय

126655 नामांकन कक्षा 1 से 5 तक

58703 नामांकन कक्षा 6 से 8 तक

185358 कुल नामांकित छात्र-छात्रा

इनका कहना है

सारा कार्य नियमानुसार ही किया गया है। वर्ष 2010 की गाइड लाइन के अनुसार ही यह भुगतान किया गया है। यह टीओ साब के यहां से मार्क हुआ है। राशि वापस आ रही है। आगे भी कार्रवाई चल रही है। इसमें कुछ लॉकडाउन का फर्क पड़ गया था। नियमों की अनदेखी जैसी कोई बात नहीं है।
- साहब सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय प्रारंभिक शिक्षा

भरतपुर. पहाड़ी पुलिस ने दौसा जिले के महुआ थाने के एक पुलिस की हत्या करने समेत अन्य मामलों वंाछित इनामी गोतस्कर को सोमवार को फतेहपुर गांव से अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया है। थाना प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर क्षेत्र के गांव फतेहपुर में दबिश देकर पुलिस ने एक जने को धरदबोचा। पूछताछ करन पर उसने अपना नाम फतेहपुर निवासी इदरीश उर्फ बहरा पुत्र खान मोहम्मद उर्फ छंगा मेव बताया। तलाशी में उसके कब्जे से लोडेड एक अवैध कट़टा बरामद किया गया। अरोपी कुख्यात गोतस्कर है। आरोपी ने साल २०१२ में गोतस्करी की गाड़ी से महुआ थाने के एक पुलिस कर्मी पर फायरिंग कर कुचल दिया था। जिसमें उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद साल २०१८ में सिकन्दरा दौसा में पुलिस की मुठभेड में गोली लगने से घायल हो गया था। इसी तरह २१ फरवरी २०२० को पहाड़ी थाने की पुलिस के साथ घाटमीका के जंगल में दबिश के दौरान गोतस्करों के साथ मुठभेड़ हो गई थी। जिसमें एएसआई सुनील कुमार को गोली लगने से वह गंभीर घायल हो गया था। आरोपी की गिरफ्तारी पर एसपी कार्यालय से 2 हजार रुपए का इनाम घोषित था। उसके खिलाफ न्यायालय से स्थाई गिरफ्तारी वांरट भी जारी था।

महाविद्यालय में लगेंगे 9 गेस्ट फेकल्टी शिक्षक
बयाना. कस्बे के राजकीय महाविद्यालय में भी 9 विषयों के गेस्ट फेकल्टी शिक्षक लगाए जाएंगे। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. हनुमान प्रसाद मीना ने बताया कि कॉलेज में कला संकाय में अर्थशास्त्र, हिंदी, राजनीति विज्ञान एवं कॉमर्स संकाय में ईएएफएम तथा विज्ञान संकाय में गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, प्राणी शास्त्र व वनस्पति शास्त्र विषयों में गेस्ट फेकल्टी शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए 29 जुलाई तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। न्यूनतम 21 वर्ष के निर्धारित शैक्षणिक योग्यताधारी अभ्यर्थी सहित सेवानिवृत्त शैक्षणिक अधिकारी भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन का प्रारूप, न्यूनतम योग्यता, शर्तें व शपथ पत्र आदि के बारे में महाविद्यालय की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

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