>>: Digest for July 12, 2021

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नागौर. जिले की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, पिछले दस सालों में हम 5 लाख से अधिक बढकऱ 38 लाख पार हो चुके हैं। इस दर से आबादी का बढऩा न तो जिले के हित में है और न देश के हित में है। जनसंख्या की यह वृद्धि प्रगति के सारे प्रयत्नों को निरर्थक व निष्फल कर रही है। जिस गति से जनसंख्या वृद्धि हो रही है, उसकी तुलना में आधारभूत सुविधाओं व संसाधनों की वृद्धि नहीं हो रही है। जनसंया के दबाव में सुविधाएं कमतर साबित हो रही हैं। चिकित्सा, शिक्षा, पानी, परिवहन के साधन, आधारभूत सुविधाएं आदि आबादी की तुलना में बहुत कम बढ़ी हैं।
जनसख्ंया पर नियंत्रण नहीं होना कई क्षेत्रों में चुनौती पैदा कर रहा है। सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक क्षेत्र में है। कॉलेज में प्रवेश का मामला हो या फिर पानी के लिए भटकते लोग हो, अस्पतालों में खाली पड़े चिकित्सकों के पदों के चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगे दाम पर इलाज की मजबूरी विकास की नीति पर सवालिया निशान लगा रही है। जनसंख्या का दुष्प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। भूमि, वन, पहाड़, खनिज सभी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ रहा है। भूमिगत जल दूषित हो रहा है, प्रदूषण बढ़ रहा है। प्राकृतिक असंतुलन बढ़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या ने परिवारों को उपलब्ध सुविधाएं, पक्के आवास, पेयजल व बिजली की आपूर्ति, सरकार के दावों को समाप्त कर दिया है। सुरक्षित पेयजल आपूर्ति अभी कोसों दूर है। वहीं बढ़ती आबादी के लिहाज से स्वास्थ्य सेवाएं कराह रही हैं। इसका ताला उदाहरण हमने कोरोना की दूसरी लहर में देखा है। ओपीडी में फिजीशियन को प्रतिदिन 100 से अधिक मरीजों को देखना पड़ रहा है।


नागौर जिले पर एक नजर

जनगणना 2011 में ये थे हम

  • क्षेत्रफल के हिसाब से नागौर जिला राजस्थान का पांचवा सबसे बड़ा जिला है, जबकि जनसंख्या की दृष्टि से चौथा बड़ा जिला है। नागौर का क्षेत्रफल 17718 वर्ग किलोमीटर है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नागौर की जनसंया 33,07,743 थी। इसमें पुरुष 16 लाख, 96 हजार 325 थे, जबकि महिलाएं 16 लाख, 11 हजार 418 थी।
  • वर्ष 20211 में नागौर जिले का लिंगानुपाल 950 था, जिसके हिसाब से नागौर का प्रदेश में 12वां स्थान था।
  • राहत : नागौर जिले का जनघनत्व 187 है और जनघनत्व के हिसाब से हमारे जिले का प्रदेश में 23वां स्थान है।

अब हमारी स्थिति ये

  • जिला निर्वाचन विभाग की ओर से 18 जनवरी 2021 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार जिले की प्रोजेक्टेड जनसंख्या 38 लाख, 14 हजार, 960 है, इसमें पुरुष जनसंख्या 19 लाख, 38 हजार, 615 है, जबकि महिलाएं 18 लाख, 76 हजार, 345 हैं।
  • हालांकि यह आंकड़े अनुमानित हैं, लेकिन मतदाता सूची में जुड़े नामों को देखते हुए यह आंकड़ों लगभग सटीक हैं, ऐसे में पिछले 10 सालों में जिले की जनसंख्या 5 लाख, 7 हजार 217 बढ़ी है, इसका औसत देखें तो एक साल में हमारी संख्या 50 हजार जनसंख्या बढ़ रही है।
  • राहत : पिछले दस सालों में सुखद पहलू यह है कि लिंगानुपात काफी सुधरा है, जनवरी 2021 के अनुसार जिले का लिंगानुपात 968 है।

इसलिए मनाते हैं विश्व जनसंख्या दिवस
11 जुलाई 1987 तक विश्व में जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार पहुंच चुका था। तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 'विश्व जनसंख्या दिवस' world population day के रूप में निर्धारित करने का निर्णय लिया गया था और दिसंबर 1990 में इसे आधिकारिक बनाया गया।


नसबंदी में हम प्रदेश में चौथे स्थान पर
परिवार नियोजन को लेकर की जा रही नसबंदी के मामले में हमारी स्थिति प्रदेश में काफी अच्छी है। इस वर्ष अप्रेल, मई व जून में की गई नसबंदी में नागौर चौथे नम्बर पर है। इन तीन महीनों में नागौर में 1582 नसबंदी की गई है। नागौर से ज्यादा जयपुर, अजमेर व जोधपुर में नसबंदी हुई है।

जनसंख्या नियंत्रण अतिआवश्यक
संसाधनों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए परिवार नियोजन तथा जनसंख्या नियंत्रण आज अतिआवश्यक हो गया है। जन्म दर को कम कर अर्थव्यवस्था के अनुरूप लाना होगा। चिकित्सा विभाग इस दिशा में पूरा प्रयास कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले तीन महीने में कोरोना महामारी से उत्पन्न हुई विकट परिस्थितियों के बावजूद हम प्रदेश में चौथे स्थान पर हैं। हमारा प्रयास रहेगा कि इस वर्ष प्रदेश में टॉप पर रहें।
- डॉ. शीशराम चौधरी, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नागौर

नागौर. कोरोना के दौरान परिषद ने वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर काम किया। सेवा कार्यों के माध्यम से आमजन को राहत पहुंचाने का प्रयास किया गया। सुगनसिंह सर्किल स्थित झंवर धर्मशाला में हुए भारत विकास परिषद के स्थापना दिवस समारोह में उत्तर प्रांत के क्षेत्रीय मंत्री नृत्यगोपाल मित्तल बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कारक्षम कार्यक्रमों के आयोजन के कारण परिषद की सम्पूर्ण विश्व में एक अनूठी पहचान है। सज्जन लोगों की सामाजिक और राष्ट्रहित के मुद्दों पर निष्क्रियता के कारण देश को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। भारत विकास परिषद में पद और अधिकारों को महत्व नहीं दिया जाता है, बल्कि दायित्व बोध को प्रमुखता दी जाती है। मित्तल ने संपर्क आयाम पर जोर देकर अपरिचित को परिचित, परिचित को मित्र और मित्रों को संगठन से जोडऩे की बात कही। इससे पूर्व संस्थापक संरक्षक डॉ. बी.एल.भूतड़ा ने कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करते हुए परिषद की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने का आह्वान किया। डॉ. भूतड़ा ने परिषद के वरिष्ठ सदस्य सेवानिवृत प्रोफेसर भवानीशंकर रांकावत के ऑनलाइन प्राप्त संदेश को भी पढकऱ सुनाया। लंबे समय से निष्क्रिय रहे सदस्यों को पुन: मुख्य धारा में जोडऩे का संकल्प लिया। शाखा अध्यक्ष कैलाश सारड़ा ने वर्ष में एक बार प्रत्येक सदस्य के घर पर जाकर संपर्क करने का संकल्प लेने के साथ एक स्थायी चिकित्सा उपकरण प्रकल्प को प्रारम्भ करने का आह्वान किया। पूर्व अध्यक्ष रामकिशोर सारड़ा, कोषाध्यक्ष चरण प्रकाश डागा, वरिष्ठ सदस्य जगदीश मीणा, राजेन्द्र डागा, रामनिवास राठी, रामनिवास पालडिय़ा, रामानुज मालाणी, केशव चांडक, डॉ. पल्लव शर्मा, महेंद्र कुमार सोनी,चंद्रशेखर शर्मा, सागर सर्वा, बजरंग लाल शर्मा आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए। इससे पूर्व सुबह काल परिषद सदस्यों ने साईं सेवा समिति में जरूरतमंदों को भोजन करवाया। हेमंत सोनी ने भोजन के पश्चात सभी व्यक्तियों को मास्क वितरित किया। इस अवसर पर साईं सेवा समिति के संचालक सदस्यों ने अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत स्वामी विवेकानंद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर हुई। कार्यक्रम की प्रस्तावना वरिष्ठ सदस्य हेमंत जोशी ने प्रस्तुत की। शाखा सचिव रवि प्रकाश सोनी ने कोरोना काल में परिषद द्वारा किए गए सेवा कार्यों का वृत निवेदन किया।

 

नागौर. जिले के उपखंड के खाटू बड़ी इलाके मे खसरा नं 1148 की गोचर भूमि पर लम्बें समय से अवैध खनन करकें अवैध खनन माफिया चांदी कूट रहें है। ग्रामीणों ने इस आशय का आरोप लगाते हुए कलक्टर को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। बताया जाता है कि पिछले 25 दिनो में खनिज विभाग की टीम तीन बार कर चुकी है। गत चार जुलाई कों ग्रामीणों ने पक्षपात करने का आरोप लगाया सभी अवैध खनन को बंद करने की मांग की तो खनिज विभाग की टीम कार्रवाई नही कर सकी मगर युवको ने मौके पर विडियो बनाकर वायरल कर दिया। जिसमें कुछ लोगों की ओर से कार्रवाई आगे से ना हो पैसे इकठे करने की बात कह रहे है बताते हैं कि खनिज विभाग के अधिकारियों की कथित रूप से मिलीभगत के चलते इस जगह सेंड स्टोन का अवैध खनन लंबे समय से किया जा रहा है। इस संबंध में लोगों ने पहले भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे नाराज ग्रामीणों ने गत शुक्रवार को नागौर जिला कलक्टर को ज्ञापन सौपकर अवैध खनन को बंद करने की मांग की थी। ग्रामीणों में ज्ञापन देने आए चैनाराम, मुकेश, हरेन्द्र, नरेन्द्र, गजेन्द्र आदि कहना था कि विभागीय अधिकारियों की ओर से बरती गई लापरवाही के चलते बेहद ही खराब हो चुके हैं। बिगड़े हालातों की जानकारी होने के बाद भी अधिकारियों की खामोशी से उनकी कार्यशैली पर ग्रामीणों ने सवालिया निशान लगाया है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना तो घातक परिणाम
नागौर. महावीर इंटरनेशनल की ओर से विश्व जनसंख्या दिवस पर संस्था के रोग निदान केन्द्र में संगोष्ठी हुई। इसमें पद्मश्री हिम्मताराम भांभू ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना तो देश के लिए इसके घातक परिणाम होंगे। संसाधन सीमित है तो फिर जनसंख्या भी सीमित रखने के लिए विशेष कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। देश की जनसंख्या 140 करोड़ हो गई है और इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया तो यह इतनी अनियंत्रित हो जाएगी कि संसाधन कम पड़ेंगे। उन्होंने कहा जनसंख्या ने रोको भाई, लाख रोग की एक दवा, सब चीजा ही कम पड़ जासी धरती, पानी और हवा। आज भारत में जनसंख्या नियंत्रण हेतु कानून नहीं बना तो आने वाले समय में भावी पीढ़ी को खाने के लिए अन्न, जल और जमीन सभी कम पड़ जाएंगे। संस्था के अध्यक्ष गौतम चंद कोठारी ने कहा बेटे और बेटी में फर्क के कारण बेटों की चाहत में लोग 2 से ज्यादा बच्चे भी पैदा कर रहे हैं, जबकि आज बेटी भी बेटों से कम नहीं है। हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है। संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनिल बांटिया ने कहा कि जनकल्याण की विभिन्न योजनाएं वर्तमान जनसंख्या के आधार पर बनाई जाती है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण संसाधन कम पड़ जाते हैं और योजनाओं का क्रियान्वयन उतना बेहतर तरीके से नहीं हो सकता है। बेहतर जीवन यापन के लिए जरूरी है कि जनसंख्या को नियंत्रित किया जाए। ताकि उपलब्ध संसाधन का बेहतरीन उपयोग हो सके। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर महावीर इंटरनेशनल द्वारा महावीर इंटरनेशनल रोग निदान केंद्र नागौर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें संस्था सह सचिव प्रीतम छिमु ललवाणी, पूर्व अध्यक्ष सरदार मल डागा, नरेन्द्र संकलेचा, नरेन्द्र गोयल, प्रकाश चन्द बोहरा, उपाध्यक्ष राजकुमार मच्छी, हिम्मत सिंह, विमलेश समदडिय़ा आदि उपस्थित थे।

नागौर. जिले के घरों में अब जल्द ही औषधीपरक पौधे नजर आएंगे। वन विभाग की नर्सरियों में गिलोय एवं अश्वगंधा व तुलसी सरीखे पौधों को विकसित करने में वनकर्मी लगे हुए हैं। पौधों का वितरण योजनाबद्ध तरीके से चार से पांच चरण तक में किया जाएगा। पहला चरण जुलाई के बाद से चलेगा। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि योजना के तहत प्रत्येक घरों में औषधीपरक पौधों को लगवाना है। ताकी पर्यावरण के साथ लोगों की सेहत भी सही रहे। इस पूरे कार्य को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए जिला स्तरीय टॉस्क फोर्स का गठन भी किया गया है। ताकी योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा न आ सके।
वन विभाग की ओर से घर-घर औषधी योजना के तहत तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय एवं कालमेघ सरीखे पौधों का वितरण किया जाएगा। विभाग की ओर से स्थापित जिले की कुल 11 नर्सरियों में इनको सुव्यवस्थित करने का जिम्मा वनकर्मियों को सौंपा गया है। योजना के तहत पौधों का वितरण पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा एवं पांचवें चरण में किया जाएगा। पांचवा चरण अंतिम चरण होगा। इसके लिए विभाग की ओर से चरणबद्ध तरीके से परिवारों की संख्या के आंकलन का काम भी पूरा कर लिया गया है। अकेले गोगेलॉव नर्सरी में ही साढ़े तीन लाख से ज्यादा पौधों को तैयार करने में कैटल गार्ड मनोहरसिंह राठौड़, प्रभुराम कस्वां एवं प्रभुराम हुड्डा की टीम लगी हुई है।
गोगेलॉव में नर्सरी में लगे पौधों का विवरण
औषधी पौधे संख्या
गिलोय 90000
अश्वगंधा 90000
तुलसी 90000
कालमेघ 90000
गिलोय खाने के लाभ
गिलोय का इस्तेमाल बुखार में एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में लाभ पहुंचाता है. इसका इस्तेमाल डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत सारे फायदे हैं. डायबिटीज में गिलोय का सेवन करने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है और पाचन तंत्र बेहतर बनाता है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार होता है।
संक्रमण दूर करती है तुलसी
शरीर में ऊर्जा का प्रवाह तुलसी के नियमित सेवन से नियंत्रत रहता है, साथ ही व्यक्ति की उम्र भी बढ़ जाती है। एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण तुलसी में रहते हैं, जो शरीर को संक्रमण से लडऩे के काबिल बनाती है। घर में तुलसी का पौधा होने से वातावरण शुद्ध रहता है और तुलसी संक्रमण रोगों से लड़ती है।
अश्वगंधा की विशेषताएं
अश्वगंधा का सेवन करने से दिल संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं. इसका सेवन से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है।
कालमेघ का महत्व
कालमेघ का उपयोग मलेरिया, ब्रोंकाइटिस रोगो में किया जाता है। इसका उपयोग यकृत सम्बन्धी रोगों को दूर करने में होता है। इसकी जड़ का उपयोग भूख लगने वाली औषधि के रूप में भी होता है। कालमेघ का उपयोग पेट में गैस, अपच, पेट में केचुएँ आदि को दूर करता है।

इस तरह से होगा पौधों का वितरण
घर-घर औषधी योजना के तहत पहला चरण जुलाई में चलेगा, दूसरा चरण अक्टूबर में चलेगा। इसके बाद तीसरे वर्ष शतप्रतिशत लोगों को पौधे दिए जाएंगे। चौथे एवं पांचवें चरण पचास-पचास प्रतिशत पौधे प्रत्येक परिवार को मिलेगा। विभाग की ओर से पहले चरण में दो लाख 88 हजार परिवारों में पौधों का वितरण होगा। कुल पांच लाख 34 हजार परिवारों में इसके वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कुल मिलाकर प्रत्येक परिवारों को सभी चरणों की समाप्ति तक आठ-आठ पौधे मिलेंगे।
इनका कहना है...
घर-घर औषधी योजना के तहत पांच चरण में कुल पांच लाख 34 परिवारों में पौधों का वितरण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पहले चरण में ही ढाई लाख से ज्यादा परिवारों को पौधें मिलेंगे।
ज्ञानचंद मकवाना, उपवन संरक्षक नागौर

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