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नागौर. नागौर शहर के बालवा रोड स्थित राजस्थान आवासन मंडल की डॉ. भीमराव अम्बेडकर आवासीय कॉलोनी में अलग-अलग ठेकेदारों द्वारा बनाए गए घटिया मकानों का भुगतान कराने के लिए बोर्ड के अधिकारी उतावले हो रहे हैं। बचे-खुच्चे मकान औने-पौने दामों में बेचने के बाद अब उचाधिकारी आवंटियों की मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने की बजाए ठेकेदारों को भुगतान कराने की कोशिश में जुटे हैं। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार बार-बार जयपुर में अधिकारियों के हाजरी लगा रहे हैं, ताकि उनका भुगतान ऊपरा-ऊपरी हो जाए और आवंटी नागौर में परेशान होते रहें।

गौरतलब है कि बालवा रोड स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर आवासीय कॉलोनी में बोर्ड द्वारा 2096 मकान बनवाए गए, जिनमें अधिकारियों की अनदेखी के चलते ठेकेदारों ने घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग कर आवंटियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी। आवासीय कॉलोनी में किए गए भ्रष्टाचार की पोल राजस्थान पत्रिका ने वर्ष 2015 में 'रेत के मकानों में कैसे रहें हम' समाचार अभियान के तहत सिलेसिलेवार समाचार प्रकाशित कर खोली थी, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नागौर दौरे के दौरान 29 अक्टूबर 2015 को खुद मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य बंद करवाया और मौके से ही एसीबी जांच के आदेश दिए। एसीबी ने कॉलोनी के सेक्टर दो व तीन से निर्माण सामग्री के कुल 15 नमूने लिए थे, लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते एसीबी ने भी इस कॉलोनी से जुड़े मुकदमों की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी, जिसके चलते आज भी जांच अधूरी है।

इनको बनाया था आरोपी
सेक्टर तीन से लिए गए 11 सैम्पल में हाउसिंग बोर्ड नागौर के तत्कालीन एक्सईएन सर्वेश शर्मा, एईएन एसएस साद, ठेकेदार जयनारायण गोदारा को आरोपी बनाया। इसी प्रकार सेक्टर 2 से लिए गए 4 सैम्पल में तत्कालीन आवासीय अभियंता पीएम डिंगरवाल व हाकमचंद पंवार, एईएन बाबूलाल मीणा, पीके माथुर व ठेकेदार जुगलसिंह को आरोपी मानते हुए प्रकरण दर्ज करने के लिए रिपोर्ट जयपुर भेजी थी।

एक मामला 8 साल पुराना
हाउसिंग बोर्ड में घटिया निर्माण का एक अन्य मामला पिछले 8 साल से एसीबी में चल रहा है। फरवरी 2013 में आवासन मंडल के मकानों में घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग की शिकायतें सामने आने पर एसीबी ने सेक्टर एक व 4 से 105 मकानों के सैम्पल लिए थे। हालांकि इस मामले में एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद जुलाई 2013 में सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई, लेकिन अभी तक चालान पेश नहीं हो पाया है।

हिम्मत तो देखो, इसके बावजूद अधिकारी भुगतान करने की फिराक में
कॉलोनी में बनाए गए घटिया मकानों की जांच के तीन मामले एसीबी में चल रहे हैं, इसके बावजूद जयपुर में बैठे अधिकारी ठेकेदारों को भुगतान कराने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खुद मुख्य अभियंता जीएस बाघेला पत्र पर पत्र लिखकर नागौर में अस्थाई तौर पर लगाए गए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं।

एजेंसी ने की थी 54 मकान ध्वस्त करने की सिफारिश, फिर भी बेच दिए
पूर्व मुख्यमंत्री राजे के निर्देश के बाद हाउसिंग बोर्ड ने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करवाया। नागौर में बोर्ड के कहने पर गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर व एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर की टीम ने इंस्पेक्शन कर सैंपल लिए। ये सैम्पल एचआईजी, एमआईजी- ए और बी श्रेणी के मकानों से लिए गए। जिनकी रिपोर्ट में मकानों में लगी निर्माण सामग्री को घटिया माना। एक एजेंसी ने तो एमआईजी के 54 मकानों को ध्वस्त करने की सिफारिश तक कर दी थी। जांच में पाया कि ईंटों की चिनाई कमजोर थी, टाइल की दीवार घटिया तरीके से बनाई गई थी। फर्श पर लगने वाली विक्ट्रीफाइड टाइल्स कमजोर थी। मकानों की सीढिय़ों पर बनने वाली छत कमजोर थी। मकानों की क्वालिटी के संबंध में लिए गए दो सैम्पल गुणवत्ता में फेल हो गए। इसके बावजूद हाउसिंग बोर्ड अधिकारियों ने उन मकानों को बेच दिया।

एक साल से स्थाई अधिकारी नहीं
नागौर की आवासीय कॉलोनी से करोड़ों रुपए कमाने वाले आवासन मंडल ने अब अपने डेरे को समेटना शुरू कर दिया है। गत वर्ष आवासीय अभियंता का कार्यालय हटाने के बाद आवंटियों द्वारा किए गए विरोध पर अस्थाई तौर पर दो-दो महीने तारीख आगे बढ़ाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर नागौर में स्थाई अधिकारी भी नहीं लगाया जा रहा है, जिसके चलते अधिकारी महीने में तीन-चार बार कार्यालय आते हैं, जिसके कारण आवंटियों को दस्तावेज तैयार कराने के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

अभी किसी का भुगतान नहीं किया
अभी हमने किसी का भुगतान नहीं किया है और न ही किसी को कर रहे हैं। जहां तक जर्जर मकानों की मरम्मत का मामला है तो आवंटी लिखकर देंगे तो मरम्मत करवा देंगे। हमारे मुख्य समस्या यह है कि नागौर में कोई अधिकारी रहना ही नहीं चाहता। बिना स्टाफ काम कैसे करवाएं।
- जीएस बाघेला, मुख्य अभियंता (द्वितीय), आरएचबी, जयपुर

नागौर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रकृति के संतुलन और पर्यावरण संरक्षण के लिए वनों का बड़ा महत्व है। साथ ही हमारी संस्कृति एवं चिकित्सा पद्धतियों में औषधीय पौधों का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों की स्वास्थ्य रक्षा तथा औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से राज्य सरकार ने घर-घर औषधि जैसी अभिनव योजना का शुभारम्भ किया है। राजस्थान संभवत: पहला प्रदेश है, जिसने औषधीय पौधों के प्रति जन चेतना जागृत करने के लिए वृहद स्तर पर ऐसी अनूठी योजना लागू की है। यह हमारी भावी पीढ़ी की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।

मुख्यमंत्री गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास से वर्चुअल रूप से आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं 'घर-घर औषधि योजना' के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री निवास पर उन्होंने गिलोय का औषधीय पौधा लगाकर योजना की शुरुआत की। इस दौरान नागौर जिला मुख्यालय स्थित भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र से जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के साथ नगर परिषद सभापति मीतू बोथरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी, जिला रसद अधिकारी पार्थ सारथी, जिला वन संरक्षक ज्ञानचंद मकवाना, सीडीपीओ दुर्गासिंह उदावत, सीओ गाइड मीनाक्षी भाटी, सीओ स्काउट अशफाक पंवार सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी वीसी से जुड़े।

योजना को देंगे जन आंदोलन का रूप
गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है। इसके साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने औषधीय पौधों का लाभ लिया है। निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए भावी पीढ़ी को भी इन औषधीय पौधों के महत्व और उपयोग की जानकारी मिलना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में 'घर-घर औषधीय योजना' प्रारम्भ करने की घोषणा की गई थी, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है।

1.26 करोड़ परिवारों को मिलेंगे नि:शुल्क औषधीय पौधे
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से आगामी पांच वर्षों में प्रदेश के सभी 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पौधे वन विभाग अपनी पौधशालाओं में तैयार करेगा। राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रुपए व्यय करेगी।

प्रत्येक परिवार औषधीय पौधे लगाए
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि योजना के तहत दिए जाने वाले पौधों को वे अपने घरों या अन्य किसी उचित स्थान पर लगाएं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों को योजना में भागीदारी निभाने तथा लोगों को जागरूक करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नि:शुल्क वितरण के लिए तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधों का चयन किया है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सर्वाधिक कारगर हैं।

लघु वन उपज बढ़ाने के लिए वन विकास निगम का गठन
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए लगातार प्रयासरत है। जोधपुर में पद्मश्री कैलाश सांखला स्मृति वन विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। लघु वन उपज उत्पादन वृद्धि के लिए राज्य वन विकास निगम का गठन किया गया है। साथ ही ताल छापर अभयारण्य में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।

नागौर. सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप घर-घर औषधी योजना का शुभारंभ जिला मुख्यालय में अमृतादेवी उद्यान में हुआ। कलक्टर जितेन्द्र सोनी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौेके पर कलक्टर सोनी ने कहा कि चार औषधीय पौधे तुलसी , गिलोय , अश्वगंधा व कालमेघ का आयुर्वेद में बहुत महत्व है। यह भी बताया कि जिले में करीब 23 लाख पौधों का घरों में वितरण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दौरान पौधरोपण भी किया गया। यह पौधे कोरोना की इस विषम परिस्थिति में इम्यूनिटी पावर को बढ़ाएंगे । इस माह प्रथम चरण तथा अक्टूबर में द्वितीय चरण में वितरण होगा । इस योजना में नगर निकायों के आधे वार्ड तथा आधी ग्राम पंचायत शामिल होगी । वन विभाग द्वारा इस संबंध में विस्तृत कार्य योजना बनाई गई है जिसमें रूट चार्ट व पौधों की संख्या भी शामिल है । इसमें शहरी क्षेत्र के लोगों में जिनके पास भूमि कम है, वह गमलों में ही इन पौधों को लगाएं । जनप्रतिनिधियों से शहर का सौंदर्यीकरण व पर्यावरण के क्षेत्र में और अधिक सक्रियता से कार्य करने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि बरसात के इस मौसम में जाति , मजहब व दलगत से ऊपर उठकर नागरिकों को इस बात के लिए तैयार करें कि वह मार्गो तथा भवनों के मध्य के खाली जगह में युक्तिसंगत तरीके से पौधे लगाए। जिला कलक्टर ने जनप्रतिनिधियों से गोगेलाव कन्वर्शन क्षेत्र में निवास बनाने वाले जंगली पशुओं की रक्षा के लिए कार्य करने का आह्वान किया । उन्होंने स्काउट व गाइड टीम को भी इस संबंध में सहयोग करने का आग्रह किया । जिला कलक्टर ने गोगेलाव रोड पर स्थित तारबंदी वन क्षेत्र में उगे बबूल के पेड़ों के स्थान पर अन्य पौधे रिप्लेस करने का भी निर्देश दिया।
पार्क का करें विस्तार , सौंदर्यकरण पर दें जोर
जिला कलक्टर ने अमृता देवी उद्यान के विस्तार पर बल दिया । उन्होंने नगर परिषद व राजस्व कार्मिकों से पार्क में आने वाले रास्तों के और विकल्प तलाश करने का भी निर्देश दिया । उन्होंने पार्क को तारबंदी से सुरक्षित रखने तथा इसके संरक्षण के निमित्त सीमेंट पत्थर से युक्त खंभे जनसहयोग से बनाने का भी आह्वान किया । इस दौरान परिषद उपसभापति सदाकत अली ने 25 , पार्षद भरत टाक , पदमश्री भांभू , राकेश सेन , पार्षद गोविंद कड़वा , ललित लोमरोड़ व हरिराम ने 10-10 खंबे निर्माण के लिए अपनी ओर से सहयोग करने की घोषणा की ।
पेड़ों के अधिकाधिक लगाने पर बल, 400 पौधे लगे
सीईओ जवाहर चौधरी ने कहा कि पौधरोपण के माध्यम से एक धरती एक आसमान की परिकल्पना साकार होगी । पदमश्री हिम्मतराम भांभू ने कहा कि कितना भी विकास हो लेकिन वह प्राणवायु ऑक्सीजन नहीं दे सकता । अतिरिक्त जिला कलक्टर मोहनलाल खटनावलिया ने कहा कि पौधों से प्राणवायु ऑक्सीजन प्राप्त होती है जो प्राकृत होती है । नगर परिषद सभापति नीतू बोथरा ने कहा कि 72 वें वन महोत्सव के आयोजन से हमें यह संदेश लेना चाहिए कि वृक्ष ही जीवन है । पर्यावरणविद रामरतन बिश्नोई ने भी अपने विचार व्यक्त किए । जिला वन संरक्षण अधिकारी ज्ञानचंद मकवाना ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि रखी । इस अवसर पर जिला खेल अधिकारी भंवराराम सियाक, सीओ स्काउट अशफाक पंवार , सीओ गाइड मीनाक्षी भाटी , पार्षद नवरत्न बोथरा सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने एक एक पौधा लगाया । उद्यान में 400 पौधे लगाए गए ।

नागौर. राजकीय शिक्षण संस्थानों के स्वाधीनता दिवस समारोह में इस बार विद्यार्थी बिलकुल नजर नहीं आएंगे। संस्था प्रधानों को यह कार्यक्रम स्कूल के स्तर पर ही मनाना होगा। कार्यक्रम में झण्डारोहण के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाएंगे। इसमें शिक्षक या व्याख्याता कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस बार भी गरिमामय समारोहों में बच्चों की उपस्थिति बिलकुल नहीं रहेगी। यही वजह रही है कि मुख्य समारोह से करीब पंद्रह दिन पूर्व ही हर वर्ष नोडल स्कूलों में इसकी तैयारियां शुरू करा दी जाती थी, लेकिन इस वर्ष स्कूल परिसर के मैदान पूरी तरह से सूने नजर आ रहे हैं। स्कूलों में हालांकि साफ-सफाई की व्यवस्थाएं तो कराई जा रही है, लेकिन कार्यक्रम स्थल पर केवल शिक्षक ही संस्था प्रधान ही मौजूद रहेंगे। शिक्षा निदेशालय से भी इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। निदेशालय से आए दिशा-निर्देश मिलने के बाद जिला शिक्षाधिकारी की ओर से जिले के करीब साढ़े तीन हजार शिक्षण संस्थानों के संस्था प्रधानों को इससे अवगत करा दिया गया है। संस्था प्रधानों को स्पष्ट तौर पर कह दिया गया है कि विद्यालय स्तर पर होने वाले कार्यक्रम में झण्डारोहण आदि के कार्यक्रमों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बिलकुल नहीं रहनी चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना को ध्यान में रखते हुए समारोहों को कराने के निर्देश हैं। समारोह दिवसों पर शिक्षाधिकारियों की ओर से इसकी जांच करने के लिए भी टीमें बन गई है। यह टीमें समारोह दिवस के दिन निर्धारित समयावधि में विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर इसकी जांच करेंगी कि कोविड-19 की पालना की जा रही है कि नहीं। तत्पश्चात इसकी रिपोर्ट निदेशालय भी भेजी जाएगी।
इनका कहना है...
स्वाधीनता दिवस कार्यक्रम में बच्चों की उपस्थिति बिलकुल नहीं रहेगी। इस संबंध में स्कूलों में इस आशय के दिशा-निर्देश मिल चुके हैं। कांकरिया विद्यालय में भी इसी गाइडलाइन के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।शिवशंकर व्यास, व्याख्याता सेठ किशनलाल कांकरिया विद्यालय

जायल (नागौर). जिले की जायल तहसील क्षेत्र के ग्राम धारणा की सरहद में रविवार को राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार करने की घटना सामने आई है। जानकारी के अनुसार आरोपियों को शिकार करते देख आसपास के बाशिंदों ने वन विभाग को सूचना दी।
ग्रामीणों की सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी शिव नगवाडिय़ा, वन रक्षक रामधन, सहीराम, भंवरलाल नेतड़ व कालूराम मौके पर पहुंचे। वन विभाग की टीम ने मौके पर आरोपी के खेत स्थित सूखे टांके से मृत मादा मोर बरामद कर लिया। ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए मोर को टांके में डाल दिया।
टीम ने राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार करने के आरोप में मौके से कैलाश पुत्र सुखदेव व गणपत पुत्र सुखदेव बावरी निवासी धारणा को गिरफ्तार कर लिया।

शिकार करते ग्रामीणों ने देख किया पीछा
जानकारी के अनुसार आरोपियों ने रेशमी जाल बिछाकर मोर को फंसा लिया। शिकारी की भनक लगते ही ग्रामीणों ने पीछा किया तो आरोपियों ने अपने ही खेत स्थित सूखे कुएं पर मोर को डाल दिया, जिससे ग्रामीणों को भनक नहीं लगे और रात्रि में इसका उपयोग कर सके। शिकार घटना की भनक लगते ही काफी ग्रामीणों ने मौके पर पर पहुंच कर आरोपियों को दबोच लिया। पूर्व सरपंच कानाराम दन्तुसलिया की सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने शिकार बरामद कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

आए दिन शिकार की घटना पर रोष
वन्य जीव सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अर्जुन लोमरोड़ ने बताया कि एक सप्ताह पूर्व भी इसी सरहद में इन आरोपियों ने शिकार घटना को अंजाम दिया, लेकिन मुख्य आरोपी भाग छूटा, जिससे कार्रवाई नहीं कर पाए। एक सप्ताह से समिति की टीम गोपनीय तरीके से इन आरोपियों पर नजर रख रही थी, जिससे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बार बार शिकार घटना पर रोष प्रकट करते हुए मुख्य आरोपी सहित शिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है।

नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में रामनामी महंत मुरलीराम महाराज ने कहा कि गोस्वामी महाराज ने निर्गुण और सगुण की वंदना करते हुए कहा कि हमारी दृष्टि में निर्गुण और सगुण अलग अलग है, लेकिन वस्तुत: देखा जाए तो दोनों एक ही है। उन्होंने उद्धरण देते हुए समझाया कि जिस प्रकार प्लेट में हम पानी भरकर फ्रिज में रखते हैं तो पानी का कोई रंग नहीं होता। कोई आकार नहीं होता ह,ै लेकिन थोड़ी देर बाद यदि उस प्लेट को निकालते हैं तो उसमें बर्फ के टुकड़े जमे हुए मिलते हैं। इसी तरह निराकार ब्रह्म संतो के लिए तथा भक्तों के लिए निर्गुण से सगुण रूप में धरती पर अवतरित होते है। इसलिए हमें निर्गुण और सगुण में भेदभाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। भगवान कोई भी लीला करने के लिए भक्तों भक्तों को दर्शन देते हैं। गोस्वामी महाराज तो रामचरितमानस में कहते हैं, यदि आपको निर्गुण तक पहुंचना है तो सगुण का सहारा लेना ही पड़ेगा। सगुण और निर्गुण में एक रमने वाला, और एक रमाने वाला ही कार्य विद्यमान है। े व्यक्ति भृमित होकऱ निर्गुण और सगुण को अलग-अलग मान लेता है। इसलिए गोस्वामी महाराज अपना मत कहते हुए रामचरितमानस में लिखते हैं कि सगुण को अपनी आंखों में रखें, तथा निर्गुण को अपने हृदय में रखो। तभी समझ पाएंगे की नाम की महिमा क्या है। कथावाचक संत रमता राम महाराज ने रामचरितमानस में हनुमान और सीता अशोक वाटिका प्रसंग का विशेष वर्णन किया। कथा वर्णन के दौरान हनुमान एवं मां सीता की सजी जीवंत झांकी आस्था का केन्द्र बनी नजर आई। झांकी में माता सीता के समक्ष पहुंचकर हनुमान के प्रणाम करने के दृश्य जीवंत रूप में देखकर श्रद्धालू आस्था के रंग में रंगे नजर आए। इस दौरान साध्वी मोहनी बाईसा, बाल संत रामगोपाल महाराज, नंदकिशोर बजाज, नंदलाल प्रजापत, रामेश्वर तोषनीवाल, कांतिलाल कंसारा, राजाराम तोषनीवाल, मनोज शर्मा व रामअवतार शर्मा आदि मौजूद थे।
नागौर. रामपोल सत्संग भवन में प्रवचन के दौरान माता सीता व हनुमान की सजीव झांकी की

-अनुराधा की तलाश की प्लानिंग रही सुस्त
-पुराने तौर-तरीकों पर ही चलती रही पुलिस

-टीमें भी खूब और सुराग भी मिले पर कार्रवाई करने में ढील

पड़ताल

उसको पकडऩे के लिए सीकर-नागौर पुलिस की संयुक्त टीमें भी बनीं, इस ऑपरेशन में एसओजी ही नहीं जयपुर कमिश्नरेट टीम को भी शामिल किया गया, लेकिन सब धरा रह गया। गैंगस्टर काला जठेड़ी के साथ उसे यूपी के सहारनपुर में दिल्ली पुलिस ने पकड़ा। लेडी डान अनुराधा की गिरफ्तारी के लिए इनाम बढ़ा पर उसको पकडऩे में फेल रही राजस्थान पुलिस कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। शुरुआती दौर में फौरी तौर पर गठित टीमें जिले से बाहर तक कूच नहीं कर पाई। नागौर-शेखावटी इलाके तक ही उसकी तलाश को सीमित रखा।
सूत्र बताते हैं कि अनुराधा की तलाश में राजस्थान पुलिस करीब एक साल से खाक छान रही थी। तकरीब एक साल पहले कुचामन सिटी में जबरन रंगदारी वसूलने का मामला उसके खिलाफ दर्ज हुआ था। लेडी डान की तलाश की प्लानिंग भी गैंगस्टर आनंदपाल की तरह रही। मजे की बात है कि पुलिस कुछ सुराग पर काम करने के बाद भले ही असफल हो गई हो पर टारगेट की राह उसने वही बनाए रखी। लेडी डान अनुराधा को आनंदपाल के ढेर हो जाने के बाद पुलिस ने हल्के बदमाशों पर सख्ती की तो कुछ महीनों बाद पुलिस निश्चिंत हो गई। आनंदपाल के गुर्गे बाद में अपराध की कमान संभालेंगे, पुलिस ने यह सब सोचा ही नहीं। बताया जाता है कि आनंदपाल की तलाश में 21 माह के भीतर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहे। समय पर पुलिस चेती होती और नजर रखती तो लेडी डॉन को इस तरह नहीं ढूंढना पड़ता। लेडी डान के दिल्ली अथवा उसके आसपास छिपे होने की सूचना यहां की पुलिस को भी मिलती रही पर प्लानिंग सटीक नहीं होने से यहां की पुलिस के कुछ हाथ नहीं लग पाया। यहां तक कि लेडी डॉन तकरीबन आधा दर्जन गुर्गे अभी तक पुलिस के हाथ नहीं आए। टीमें तो उसकी तलाश में कई बनीं पर मिले क्लू पर सही ढंग से काम नहीं हो पाया।

दातार से मिला सुराग भी नहीं लगा पाया बेड़ा पार
करीब चार-पांच महीने पहले डीडवाना का दातार सिंह पुलिस हत्थे चढ़ा, तब पुलिस को अनु तक पहुंचने की मंजिल पास नजर आने लगी। दातार के जरिए लेडी डॉन का जठेड़ी के साथ रहने का सुराग भी मिल गया था, लेकिन बताते हैं कि राय-मशविरा, प्लानिंग-आदेश की प्रतीक्षा में ही समय निकल गया। कहा जाता है कि पुलिस की टीमों में समन्वय नहीं हो पाया या फिर दातार की बात को ही पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया, इसलिए जठेड़ी तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं की गई। और तो और जठेड़ी के गुर्गे राजस्थान में अपराध करते रहे, उनमें से कुछ पकड़े भी गए पर लेडी डॉन को लेकर मिली जानकारी को संबंधित पुलिस अफसरों से गंभीरता से नहीं लिया।

लेडी डॉन के साथ विक्की का नाम
इन बदमाशों से मिली थी कि कुचामन सिटी में हुई फायरिंग समेत कई वारदात अनुराधा व रुपेन्द्र पाल सिंह उर्फ विक्की के कहने पर हुई थी। ये शातिर आनन्दपालसिंह व रूपेन्द्रपाल गैंग की मुख्य सरगना लेडी डॉन अनुराधा चौधरी के इशारे पर हथियारों के दम पर लूट, डकैती, दहशत फैलाना व हथियारों को जोधपुर, जयपुर, चुरू आदि अन्य जिलों में पहुंचाने का काम करते थे।कुचामनसिटी में सट्टा कारोबारी के यहां हुई फायरिंग से पहले दो बार और इससे फिरौती लेने की कोशिश हुई थी। लक्ष्मण सिंह अनुराधा का खास गुर्गा है। वह सट्टा कारोबारी से फिरौती लेने आया, लेकिन प्लान असफल रहा। इसके बाद 27 दिसंबर2019 को लक्ष्मणसिंह, मूलसिंह, नरेन्द्रसिंह व विक्रमसिंह कुचामन सिटी में सट्टा व्यापारी के घर पर पेट्रोल बम फैंकने के प्लान से आए, लेकिन रात्रि का समय होने के कारण वारदात को अंजाम देने में असफ ल रहे। इसके बाद लेडी डॉन अनुराधा चौधरी ने प्रकाश व मूलसिंह को फ ोन कर चार जनवरी को कुचामन में सट्टा व्यापारी के घर पर फ ायरिंग करने का कहकर दातारसिंह को भेजकर कुचामन में हथियार पहुंचाए। जिस पर प्रकाश, शिवराज व मूलसिंह ने चार जनवरी की शाम कुचामन सिटी में सट्टा व्यापारी के घर पर फ ायरिंग की।

शेयर मार्केट में डूबा पैसा तो अपराध में कूदी
फ र्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली अनुराधा अपनी प्रभावशाली शख्सियत के दम पर ही आनंदपाल के करीब आई थी। दरअसल अनुराधा ने शेयर बाजार में रकम निवेश करने के साथ अपने काम की शुरूआत की थी। शेयर मार्केट में काफ ी पैसा डूबने के बाद उस पर काफ ी कर्ज चढ़ गया। पैसों की तंगी के बाद अनुराधा चौधरी गैंगस्टर आनंदपाल के गैंग में शामिल हुई। उसके बाद उसने फिरौती-अपहरण समेत कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया। जून 2006 को बहुचर्चित जीवणराम गोदारा हत्याकांड घटना के मुख्य गवाह प्रमोद चौधरी के भाई इंद्रचंद के अपहरण मामले में पुलिस को अनुराधा तलाश थी, जिसे वर्ष 2016 में जयपुर से गिरफ्तार किया गया था। बताया तो यह जाता है कि आनंदपाल गैंग के कोर्ट-कचहरी से लेकर अपराध की प्लानिंग का जिम्मा भी अनुराधा ही संभालती थी।

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