>>: Digest for August 09, 2021

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Table of Contents

बाड़मेर.
खेतों में भरे पड़े जिप्सम के खजाने को लेकर खनिज विभाग का राजस्व महज एक साल में दुगुना हो गया है। दरअसल, सरकार ने गत साल पर्यावरण संबंधी स्वीकृति पर राहत देने का आदेश जारी किया था। जिसमें परमिट लेने के दौरान आवेदक को पर्यावरण क्लीयरेंस लेने की जरुरत नहीं थी।


जिले में कृषक खेत में खनिज का खनन कर भूमि सुधार करने के साथ-साथ जिप्सम बेच रहे है। जिसमें वर्तमान में एक सरकारी जिप्सम की खदान है। केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गैर खनन गतिविधियों के लिए गत साल पर्यावरण क्लीयरेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। उस वक्त बाड़मेर जिले के उत्तरलाई, कवास, छीतर का पार, भीमरलाई, जाखरड़ा व थोब में जिपसम का बड़ा कारोबार है। उस दौरान बाड़मेर में 26 परमिट का संचालन हो रहा था। उसके बाद जब पयार्वरण क्लीयरेंस की बाध्यता हटाई तो परमिट दुगुने हो गए है।


हर साल मिलने लगा 10 करोड़ का राजस्व
जिले में पर्यावरण संबंधित स्वीकृति लेने के दौरान 26 परमिट संचालित हो रहे थे। गत साल पर्यावरण क्लीयरेंस समाप्त होने पर परमिट दुगुने हो गए है। अब जिले में 52 परमिट हो गए है। ऐसे में विभाग को अब करीब 10 करोड़ रुपए का हर साल राजस्व मिलना शुरू हो गया है। पूर्व में सवा पांच करोड़ रुपए मिल रहे थे।
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यों मिल रहा फायदा
- 2 मीटर तक खेत में खुदाई कर निकाल रहे जिप्सम
- निकाली गई जिप्सम बेच रहे किसान
- किसानों की जमीन होगी जिप्सम मुक्त फिर कर सकेंगे फसल बुवाई
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सरकार ने पर्यावरण क्लीयरेंस की जरुरत को गत साल खत्म कर दिया था। उसके बाद बाड़मेर जिले में परमिट दुगुने हो गए है। पर्यावरण क्लीयरेंस की अनिवार्यता के चलते आवेदकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। - भगवानसिंह, खनि अभियंता, खनिज विभाग, बाड़मेर
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बाड़मेर. कोविड महामारी की तीसरी लहर ही आशंका को लेकर तैयारियां की जा रही है। चिकित्सा संस्थानों में अगले तीन महीनों तक पर्याप्त मात्रा में दवा जो कोविड के उपचार में काम आती है, उसका स्टॉक रखना होगा। जरूरत पडऩे की स्थिति में तुरंत प्रभाव से काम में लिया जा सके।
कोविड के उपचार में कई तरह की दवाइयों की जरूरत रहती है। इसमें फ्लूइड व इंजेक्टेबल दवाइयां भी शामिल है। तीसरी लहर की आशंका को लेकर विशेषज्ञों की ओर से बार-बार अलर्ट किया जा रहा है। अन्य राज्यों में बढ़ रहे संक्रमितों के आंकड़ों से भी आशंका ज्यादा बढ़ रही है कि कहीं अगस्त-सितम्बर महीने में जताई जा रही संभावना कहीं सही साबित नहीं हो जाए। इसी के चलते चिकित्सा विभाग पहले से ही दवाइयों के स्टॉक को लेकर तैयारी कर रहा है कि जरूरत पडऩे पर तुरंत मरीजों को उपलब्ध हो सके।
दवा की नहीं हो कमी
कोविड की दूसरी लहर में इंजेक्शन सहित कुछ दवाइयों की कमी हुई थी। हालांकि बाद में इसे दुरुस्त कर लिया गया। लेकिन तीसरी लहर में दवाइयों की किसी तरह की कमी नहीं हो इसके लिए अभी से डिमांड और स्टॉक की जानकारी नियमित रूप से मुख्यालय भेजनी होगी। इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव ने प्रदेश के समस्त जिला कलक्टर को पत्र भेजा है।
कोविड उपचार की दवाइयों पर फोकस
समस्त चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल मेडिसिन तो है ही, लेकिन इस सूची के बाहर पर कोविड उपचार में काम आने वाली दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता का विशेष ध्यान रखना होगा। इसके लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं।

बाड़मेर। राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी राजकीय चिकित्सालय, बाड़मेर की बैठक का आयोजन रविवार को जिला कलक्टर सभागार में किया गया। बैठक की अध्यक्षता जिला कलक्टर लोक बंधु ने की।
अधीक्षक संलग्न चिकित्सालय समूह डॉ. बी एल मंसूरिया ने बताया कि आंखों के ऑपरेशन के लिए फेको मशीन एवं हृदय रोगियो के जांच के लिए ईको मशीन विधायक निधि कोष से खरीदने की विद्यायक मैवाराम जैन ने स्वीकृति प्रदान की।
राजकीय चिकित्सालय के डोमेस्टिक कचरा नगर परिषद् बाड़मेर द्वारा निस्तारण किया जाएगा। बायोमेडिकल वेस्ट की सीटीएफ कनेक्टिविटी के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं अधीक्षक, संलग्न चिकित्सालय समूह राजकीय मेडिकल कॉलेज, बाड़मेर को निर्देश दिए कि अपने बेड्स का आंकलन कर एनजीटी के नियमानुसार प्रस्ताव बनाकर नगर परिषद् बाड़मेर को अग्रिम कार्रवाई को प्रेषित किया जाए।
वार्ड में लगेंगे इंटरकॉम
राजकीय चिकित्सालय, बाड़मेर के सभी वार्डों में इन्टरकॉम सिस्टम के लिए नया इन्टरकॉम सिस्टम खरीदा जाएगा। इसके लिए बीएसएनएन की सेवाएं भी ली जा सकेगी। एमसीएच विंग की दूसरी लिफ्ट को भी दूरस्त करवाकर एएमसी करवाई जाए। इस दौरान सोसायटी वर्ष 2020-2021 की आय-व्यय का लेखा जोखा प्रतिवेदन का निरीक्षण कर अनुमोदित किया गया।
सोसायटी की नई कार्यकारिणी
राज्य सरकार के निर्देशानुसार सोसायटी की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें डॉ. दिनेश परमार सहआचार्य एवं डॉ. कमला वर्मा सहआचार्य को वरिष्ठ चिकित्सक के तौर पर अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया गया।
ऑक्सीजन प्लांट जल्द हो शुरू
नवस्थापित ऑक्सीजन जनरेशन प्लान्ट को क्रियाशील करने के लिए विद्युत कार्य सार्वजनिक निमाज़्ण विभाग की इलेक्ट्रीक विंग बाड़मेर से कराए जाने का निर्णय लिया। वहीं ऐसे प्लांट जिनका सिविल कार्य पूर्ण हो चुका है लेकिन प्लान्ट अभी तक नहीं आए है वेंडर्स से जल्द सम्पर्क कर अतिशीघ्र इंन्टालेशन कराने के लिए निर्देश दिए गए।
क्लास के लिए खरीदा जाएगा फर्नीचर
एमबीबीएस स्टूडेन्ट की क्लीनिकल क्लास शुरू होने के कारण कक्षा-कक्ष के लिए आवश्यक फर्नीचर एवं अन्य विभागों के लिए फर्नीचर के लिए 5 लाख तक की मंजूरी दी गई। राजकीय चिकित्सालय, बाड़मेर में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच के अलावा की जा रही अन्य जाचों के शुल्क का निर्धारण एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर द्वारा निर्धारित दरों पर करने का निर्णय लिया। बैठक में विधायक मैवाराम जैन, प्राचार्य एवं नियत्रंक डॉ. आर के आसेरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी एल विश्नोई, डॉ. हनुमान चौधरी, आयुक्त दलीप पूनिया आदि उपस्थित रहे।

बाड़मेर. स्थानीय रोडवेज डिपो परिचालकों की कमी से जूझ रहा है। कई परिचालक लम्बे रूट पर रोजाना ही चल रहे हैं। ऐसे में उनको रेस्ट भी नहीं मिल पाती है। बसें अधिक और परिचालक कम होने के कारण अवकाश देना मशक्कत भरा हो गया है।
बाड़मेर डिपो को बसों के संचालन अनुसार वर्तमान में 115 कंडक्डर्स की आवश्यकता है। लेकिन डिपो के पास 77 परिचालक ही है। इसके कारण बसों के संचालन को लेकर भारी समस्या हो रही है। परिचालकों को लगातार ड्यूटी करनी पड़ रही है।
इसलिए होती है परिचालकों की कमी
रोडवेज में निगम की बसों की संख्या कम और अनुबंधित की ज्यादा है। अनुबंधित बसों की देखरेख और चालक रोडवेज का नहीं होता है। लेकिन बसों में चलने वाले कंडक्टर रोडवेज के होते हैं। ऐसे में परिचालकों को इन बसों में भी प्रबंधन को लगाना पड़ता है। इसके कारण परिचालकों की कमी हो जाती है।
डिपो की 66 बसें दौड़ रही
स्थानीय डिपो से प्रतिदिन 66 बसों का संचालन चल रहा है। ऐसे में जितने परिचालक अभी है, वो काफी कम है। कंडक्टर्स को जरूरत के वक्त कई बार छुट्टी नहीं मिल पाती है। कई परिचालक तो लम्बे रूट पर भी बिना रेस्ट के चलते हैं। प्रबंधन के पास कंडक्टर नहीं होने से वह भी उसी परिचालक पर निर्भर करता है। कंडक्टर छुट्टी पर चला जाए तो बस संचालन नहीं होने का खतरा बन जाता है।
परिचालकों की कमी है
अभी डिपो के पास 77 कंडक्टर है। लेकिन जरूरत 115 परिचालकों की है। इसके कारण संचालन काफी मुश्किल होता है। फिर भी कोशिश करते है कि बसों का संचालन नियमित रूप से बेहतर तरीके से हो, जिससे यात्रियों को कोई परेशानी नहीं हो।
उमेश नागर, मुख्य प्रबंधक बाड़मेर आगार

बाड़मेर.
पांच साल की जस्सू और दो साल के विक्रम का वही सवाल है जो चार दिन पहले राधे बजरंग का था...हमें क्यों मारा? मृतका रसालकंवर के लिए यह दोनों बच्चे इतने दुलारे रहे होंगे कि इनके कांटा चुभते ही दर्द उसको होता है लेकिन पारिवारिक कलह में मानसिक संतुलन इतना खो दिया कि खुद अपने ही हाथों से इनको फंदे पर लटका दिया और खुद ने भी इहलीला समाप्त कर दी।


मामला दहेज प्रताडऩा में दर्ज हुआ है, जिसमें रसाल के पीहर पक्ष ने आरोप लगाया है कि उसको मानसिक प्रताडि़त किया जाता था। यानि पारिवारिक कलह यहां पर भी इस कदर हो गई थी जहां समझाइश की गुंजाइश को तलाशने की जरूरत थी। परिवार, समाज और आस पड़ोस जिसने भी इस घटना को सुना उसका कलेजा कांप गया...मासूमों को फंदे पर लटकने के दर्द को हर किसी क दिल समझ रहा था। सवाल यहां पर भी परिजनों और अन्य का यही था कि बेचारे बच्चों ने क्या बिगाड़ा था? इन दो मासूमों की मौत के साथ ही संख्या बढ़कर 52 हो गई है।


तड़पकर हुई मौत
इन मासूम बच्चों को न तो फांसी का पता है और न ही आत्महत्या का। इनकी उम्र गोद में खेलने और खाने पीने की रही थी। मां ने जब इनको गोद में उठाया तो मां भले ही गुस्से में आपा खो चुकी थी लेकिन दो साल का मासूम विक्रम तो यही समझा होगा न कि मां हो सकता है दूध पिलाने के लिए उठा रही हों। विक्रम भी तो मां के इस रूप में रोया चिल्लाया होगा, लेकिन गुस्से के आगे बेबस थे। दोनों मासूमों की तड़पकर हुई मौत ने एक बार फिर बच्चों की पारिवारिक झगड़ों में दुर्दशा की कलेजा कांपने वाली तस्वीर सामने लाई है।


टूटा राखी का धागा...
इस घटना का सबसे ज्यादा दर्द भुगतेगी तो वो ***** जो इस दौरान ननिहाल थी और पंद्रह दिन बाद राखी है। साढ़े तीन साल की यह गुडि़या भाई विक्रम के राखी बांधने के लिए ननिहाल से वह पंद्रह दिन बाद वह आने वाली थी। लेकिन उसको क्या पता कि उसकी राखी का धागा सदा-सदा के लिए टूट गया है। उम्रभर यह ***** अब इस दर्द को पालेगी कि अब उसको जीवनभर के लिए छोड़ गए है और वो मां भी तो नहीं रही जो उसके इस दर्द में सिर पर हाथ रख सके। जिस ***** के साथ वह खेलती थी, वह भी तो....,इसका संसार उजड़ गया।

बाड़मेर
चिकित्सा विभाग का फर्जी अधिकारी बनकर मेडिकल स्टोर का लाईसेंस निरस्त करवाने की धमकी देने के दर्ज मामले में कोतवाली थाना पुलिस ने शनिवार को पर्दाफाश कर आरोपी को गिरफ्तार किया।कोतवाली थाना प्रभारी उगमराज सोनी ने बताया कि अंबेडकर कॉलोनी में अनन्या मेडिकल स्टोर पर अज्ञात युवक ने मेडिकल अफसर बताते हुए लाईसेंस निरस्त करवाने की बात कररे पैसे मांगकर नहीं देने पर मारपीट कर स्टोर के गले में रखे रुपए लूट लिए। पुलिस ने रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू की। पुलिस ने तकनीकी व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच पड़ताल कर आरोपी मनदीपसिंह पुत्र अंतरसिंह निवासी नवले की चक्की, बाड़मेर को गिरफ्तार किया। कार्रवाई उप निरीक्षक छगनलाल डांगी मय टीम की अहम भूमिका रही।


इधर, शोरूम जलाने के मामले में आक्रोश
बाड़मेर. गिड़ा थाना क्षेत्र के कानोड़ गांव में एक माह पूर्व शोरुम को जलाने के मामले में कानोड़ व्यापार मण्डल की ओर से आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। दरअसल, गिड़ा पुलिस ने प्रकरण जांच के बाद एफआर पेश कर दी थी।


व्यापार मण्डल की मांग पर पुलिस अधीक्षक ने शोरूम जलाने के दर्ज प्रकरण को रिओपन कर बायतु डिप्टी को जांच सौंपी है। कानोड़ व्यापार मण्डल की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख कर बताया कि प्रार्थी भोमाराम का शिवदानसिंह मार्केट में शोरूम है। जहां 30 जून की रात बंद करने के बाद अज्ञात आरोपियों ने आग लगा दी। आग से शोरूम पूरी तरह जल गया था। आग से शोरूम में करीब 40 लाख रुपए का नुकसान हुआ। आरोप है कि घटनाक्रम से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। व्यापार मण्डल का कहना है कि पुलिस वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करें।

समदड़ी ञ्च पत्रिका. राजस्थान पत्रिका की पहल पर पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए जा रहे हरयाळो राजस्थान अभियान के तहत हरियाली अमावस्या को भगवान कुन्थुनाथ गोशाला में सरपंच खमलीदेवी माली के सान्निध्य में पौधरोपण कर हरियाली का संदेश दिया गया।

समाजसेवी गणपतराज मेहता के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में गुलमोहर, आशुपाल, नीम व कनेर सहित विभिन्न किस्मों के इक्कीस पौधे लगाए गए।

इस मौके पर सरपंच खमलीदेवी माली ने पत्रिका की ओर से चलाए जा रहे इस अभियान की सराहना की। समाजसेवी गणपतराज मेहता ने बताया कि इस अभियान के तहत आगामी दिनों में और पौधारोपण किया जाएगा।

अतिथियों ने बताया कि पत्रिका के अभियान से आमजन को पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के प्रति प्रेरणा मिलेगी। आगामी दिनों में अधिक से अधिक पौधे लगा संरक्षण किया जाएगा।

पूर्व उप सरपंच मदनलाल कामदार, व्यापार संघ उपाध्यक्ष उच्छबलाल नेताणी, श्रमण संघ के मंत्री प्रकाशचंद मेहता,व्यवसायी पुखराज नेताणी ने पौधे लगाने का संदेश दिया । निसं.

बाड़मेर. जटिया (रैगर) समाज सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को जटिया समाज शिक्षण संस्थान में लाइब्रेरी का शुभारंभ किया गया।

मुख्य अतिथि विधायक मेवाराम जैन, विशिष्ट अतिथि सभापति दिलीप माली, एससी/एसटी एकता मंच संयोजक लक्ष्मण बडेरा, पूर्व अति.मुख्य अभियंता ताराचंद जाटोल, डॉ.सिद्धार्थ चौहान, डॉ. वीरेंद्र सिंगाडिय़ा, पार्षद भूरीदेवी सुवांसिया, पार्षद मिश्रीमल सुवांसिया, पार्षद भीमराज खोरवाल, पार्षद किशन मेघवाल आदि अतिथियों ने फीता काट लाइबे्ररी का शुभारम्भ किया।

विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि शिक्षित व्यक्ति ही समाज को आगे ले जा सकते हैं इसलिए समाज शिक्षा को सबसे दें। समाज की यह लाइब्रेरी सभी छात्रों के लिए बहुत ही उपयेगी साबित होगी। रमेश बडेरा, चन्दन जाटोल, स्वपन चौहान ने लाइब्रेरी की उपयोगिता को लेकर विचार व्यक्त किए।भीम आर्मी जिलाध्यक्ष महिपाल खोरवाल ने वार्ड 22 में विकास कार्यो करवाने की मांग रखी।

लक्ष्मण बडेरा ने जटिया समाज के सभी लोगों को अपने घर से एक-एक किताब लाइब्रेरी को भेंट करने की बात कही। अध्यक्ष प्रेमप्रकाश चौहान ने समाज के सभी लोगो से अपील की कि अपने रहन-सहन, खान-पान के खर्चे कम करके सबसे पहले अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा ग्रहण कराएं। उपाध्यक्ष भंवरलाल खोरवाल, मिश्रीमल जैलिया ने अतिथियों का स्वागत किया।

नरसिंह गोंसाई का जटिया समाज को एक बीघा जमीन भेंट करने पर अभिनंदन किया गया। मंच संचालन अधिशासी अभियंता मिश्रीमल जैलिया ने किया। कोषाध्यक्ष प्रतापचन्द जैलिया, विशनाराम बाकोलिया, पूनमचंद खोरवाल, देवराज सुवांसिया, उम्मेद जाटोल, मांगीलाल सिंगाडिय़ा, दुर्गाराम बडेरा, सम्पतराज सुवांसिया, हेमराज खोरवाल, रमेश मौर्य आदि उपस्थित थे।

ये की घोषणाएं- शिव नगर टाउनशिप में 5वीं तक का सरकारी विद्यालय के लिए 20 लाख की घोषणा जिसमें दो हॉल बनाए जाएंगे। चौहटन रेलवे फाटक पर अंडर एवं ओवर ब्रिज, बाड़मेर शहर में 150 करोड़ बजट से सीवरेज लाइन दुरुस्त कराने, रुपाणियों की ढाणी शिव नगर में पानी की पाइप लाइन बिछाने, जटिया समाज की 6 बीघा जमीन पर हॉल के लिए 20 लाख, जटिया समाज हनुमान मंदिर में गल्र्स लाइब्रेरी के लिए 5 लाख की घोषणा की गई।

- बाड़मेर. कल्याणपुर क्षेत्र के बादु का बाड़ा गांव में पेयजल संकट की स्थिति है। गांव में पेयजल लाइन से पानी पहुंच नहीं रहा और नाडी में पानी सूख गया है।

इसके चलते पशुधन की स्थिति खराब है। पानी का प्रबंध नहीं होने पर पशुधन तालाब की ओर रुख करता है लेकिन वहां अब पानी कम और कीचड़ ज्यादा होने से पशु उसमें फंसकर अपनी जान गंवा रहे हैं। ग्रामीण् श्रेणी दान चारण बादु का बाड़ा ने बताया कि हर दिन पशु तालाब में फंस रहे हैं जिसे कई बार जानकारी पर ग्रामीण निकालते हैं।

उन्होंने बताया कि गांव की पेयजल समस्या के समाधान के लेकर कई बार जलदाय विभाग, प्रशासन के उच्च अधिकारियों से अवगत करवाया पर लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि गांव तक आने वाली पाइप लाइन से अवैध कनेक्शन लेकर भूमाफिया मनमानी के दाम पर पानी बेच रहे हैं, जिसकी जानकारी होने पर भी विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बाड़मेर. समाज सेवा से बड़ा पुण्य कार्य कोई नहीं। समाज सेवा अगर नि:स्वार्थ भाव से की जाए तो मानवता का कर्तव्य सही मायनों में निभाया जा सकता है। यह बात रविवार को पूर्व प्रांतपाल डॉ. डी एस चौधरी ने वात्सल्य केंद्र में लायंस क्लब बाड़मेर की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि हम मानव है और मानव होने के नाते हमारा पहला धर्म मानवता का परिचय देना है। कार्यक्रम अध्यक्ष नगर सभापति दिलीप माली ने कहा कि समाज के प्रत्येक नागरिक को अपने सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ समाजसेवा के लिए भी समय अवश्य निकालना चाहिए।

लायंस क्लब बाड़मेर अध्यक्ष लायन एडवोकेट मुकेश जैन ने कहा कि गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा एवं उनके उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत रहेंगे। वात्सल्य केंद्र में बालिकाओं के वार्षिक भरण पोषण के लिए सहायता राशि भेंट गई। मीडिया पर्सन ललित छाजेड ने बताया कि रेलवे स्टेशन के पास स्थापित लॉयन वाटिका मे 3 घंटे श्रमदान कर पर्यावरण के प्रति सफाई का संदेश दिया।

पवन सोलंकी की ओर से सुमेर गौशाला बिदासर में मिनी ट्रक हरा चारा भेंट किया गया। वात्सल्य केंद्र संस्थापक पुरुषोत्तम खत्री, इन्द्र प्रकाश पुरोहित, किशनलाल वडेरा, वीरचंद वडेरा, कैलाश कोटडिया, पुरुषोत्तम गुप्ता आदि मौजूद रहे।

संचालन सचिव संजय संखलेचा ने किया।

बाड़मेर. जेठ और आषाढ़ में बारिश का इंतजार थार के किसानों के लिए भारी साबित हुआ है। बाजरा की बम्पर बुवाई पर तो कुठाराघात हुआ ही अब बोई फसलों पर भी बारिश की बेरुखी भारी पड़ रही है। जिस पर फसलों का उत्पादन काफी कम होने की आशंका है। यहां का देसी बाजरा तो अब कम पकने की उम्मीद है।

हालांकि मूंंग-मोठ और तिल अभी भी होने की आस है पर किसान अब यह मान रहे हैं कि ग्वार की बुवाई ही वर्तमान परिस्थिति में बारिश होने पर अनुकू  ल रहेगी। इधर, नाडी-तालाब खाली होने से पशुपालक चिंतित है कि पशुओं के लिए पानी का प्रबंध कैसे होगा?सीमावर्ती जिले बाड़मेर में किसान लम्बे समय से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। अमूमन यहां ज्येष्ठ-आषाढ़, सावन व भाद्रपद चार माह में आठ-दस बारिश होती है।

ज्येष्ठ में बारिश होने पर हर बार अच्छा जमाना होने की उम्मीद रहती है। एेेसे में किसान ज्येष्ठ माह से ही बारिश का इंतजार करने लगते हैं। इस बार बारिश ने धरतीपुत्रों को इंतजार ज्यादा करवाया है। ज्येष्ठ व आषाढ़ में तो बारिश हुई ही नहीं अब आधा सावन बीत गया लेकिन इन्द्रदेव मेहरबान नहीं हुए हैं। इस पर फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है तो तालाब-नाडियों में भी पानी की आवक का इंतजार है। बाजरा की बुवाई का समय बीता- बाजरा की बुवाई का समय १५ जुलाई तक माना जाता है। जिले के अधिकांश भूभाग में बारिश नहीं होने से बाजरा की बुवाई ८ लाख ३५ हैक्टेयर के मुकाबले साढ़े २ लाख ४५ हैक्टेयर में ही हुई है। अब समय बीत गया है जिस पर किसान बाजरा की बुवाई में कम ही रुचि लेंगे। इस पर बाड़मेरी बाजरा की उपज इस बार काफी कम होगी।

ग्वार की बुवाई पर रहेगा जोर- आगामी चार-पांच दिन में बारिश होती है तो किसानों का ध्यान ग्वार की बुवाई पर ही रहेगा। क्योंकि ग्वार की फसल को दो-तीन पानी की ही जरूरत रहती है। एेसे में सावन-भाद्रपद में बारिश होती है तो ग्वार पैदा हो सकता है। इसलिए किसान अब ग्वार की बुवाई पर ध्यान देंगे। तिल, मूंग व मोठ की बुवाई भी अभी हो सकती है।

पशुपालकों की चिंता बढ़ी- बारिश की कमी से सबसे ज्यादा चिंतित पशुपालक है। दूर-दराज की ढाणियों व गांवों में बैठे पशुपालकों के लिए पानी का प्रबंध वैसे भी मुश्किल होता है और अब बारिश नहीं हुई है तो नाडी-तालाब भी खाली है, इसलिए पशुधन के लिए पानी का प्रबंध करना दिक्कत भरा रहेगा। गौरतलब है कि जिले में करीब ५४ लाख १६ हजार पशु है जो चारे व पानी के लिए बारिश पर ही निर्भर है।

सामान्य से काफी कम बारिश- जिले में अब तक बारिश का आंकड़ा सामान्य से काफी कम है। अब तक जिले में ७९ मिलीमीटर बारिश ही हुई है। जो सामान्य से ४३.३ एमएम कम है। खास बात यह है कि पड़ोसी जिले जैसलमेर में इन्द्र मेहरबान हुए लेकिन थार में मेह नहीं बरस रहा है।

जल्द बारिश होने पर ही उम्मीद- अभी तब पर्याप्त बारिश नहीं होने से फसलों की बुवाई तक नहीं हुई है।

चार-पांच दिन में बारिश होती है तो फिर भी कुछ उम्मीद रहेगी। बारिश होने से चारे व पानी की समस्या का समाधान होगा।- जबरसिंह, तिलवाड़ा

बारिश का इंतजर- बारिश का लम्बे समय से इंतजार कर रहे हैं। बारिश के अभाव में बोई गई फसलें भी खराब हो रही है। आगामी कुछ दिन में बारिश नहीं होती है तो फिर किसानों में निराशा छा जाएगी।- खुदाबक्स खलीफा, खलीफे की बावड़ी

बाजरा की बुवाई प्रभावित- बाजरा की बुवाई का श्रेष्ठ समय १५ जुलाई तक होता है। एेसे में अब बाजरा की बुवाई चारे के उपयोग के रूप में हो सकती है। बारिश होने पर अन्य फसलों की बुवाई होने की उम्मीद जरूर है, लेकिन बारिश में देरी होने से बुवाई प्रभावित हुई है। अभी भी चार-पांच में बरिश आती है तो पचास फीसदी बुवाई की उम्मीद रहेगी। - डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी

दिलीप दवे बाड़मेर. सीमावर्ती बाड़मेर जिले में बालिकाओं में पढऩे का जज्बा तो है लेकिन आठवीं पास करते ही उनके हाथ से किताबें छूट रही है। पहली से आठवीं तक बालिकाएं बालकों के समान अनुपात में कंधे पर बस्ता लटकाए जा रही है जो दिखलाता है कि यहां की बालिकाएं भी पढऩा चाहती है, लेकिन उच्च कक्षाओं में आते-आते इनकी तादाद घटती जाती है। बारहवीं तक तो बालिकाओं की संख्या बालकों से आधी ही रह रही है।

खास बात यह है कि प्रवेशोत्सव अभियान हो या फिर घर-घर सर्वे ये भी बड़ी कक्षाओं में छात्राओं की तादाद बढ़ाने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकारी विद्यालयों में पिछले चार शिक्षा सत्र में बालिकाओं की तादाद बालकों से करीब ढाई-तीन लाख कम है जिसमें उच्च कक्षाओं में अंतर अधिक है। उच्च प्राथमिक तक अंतर कम, फिर हो रहा ज्यादा- शिक्षा सत्र २०१८-१९ से २०२०-२१ तक के आंकड़े बताते हैं कि पहली से आठवीं कक्षा तक बालक-बालिकाओं के नामांकन में अंतर काफी कम है। पहली-दूसरी में तो लगभग बराबर की स्थिति है जबकि तीसरी से पांचवीं तक थोड़ा अंतर है। छठीं से आठवीं में प्रति कक्षा दो हजार से ज्यादा नामांकन का फासला नहीं है। इसके बाद बेटे-बेटियों के नामांकन में अंतर शुरू होता है। आठ कक्षाओं में जहां दस-बारह हजार से ज्यादा नामांकन कम नहीं है, वहां नवीं से बारहवीं में यह अंतर मात्र चार कक्षाओं में बारह से पन्द्रह हजार के बीच का आ रहा है।

बालक पढ़ाई पर ध्यान, बालिकाएं घर का काम- आठवीं कक्षा के बाद बालक और बालिकाओं की शिक्षा को लेकर बड़ा अंतर नजर आता है। आठवीं के बाद बालक जहां आगे की पढ़ाई के लिए बस्ते संभालते हैं तो बालिकाएं पढ़ाई छोड़ घर का चूल्हा-चौका संभालती है।

एेसे में जिले में बालिका शिक्षा का अनुपात कम होने लगता है।

इस शिक्षा सत्र में ही यही स्थिति- वर्तमान शिक्षा सत्र २०२१-२२ में प्रवेशोत्सव का दौर खत्म हो चुका है। हालांकि पहली से आठवीं तक की कक्षाओं का नामांकन वर्षपर्यन्त चलता है लेकिन अब तक की स्थिति के अनुसार ५ लाख ७१ हजार का नामांकन हो चुका है। इसमें बालिकाओं की तादाद २ लाख ९९ हजार है जबकि बालिकाओं का नामांकन २ लाख ७२ हजार अनुमानित है।

विशेप प्रयास किया जाएगा- बालिकाओं का नामांकन बालकों की तादाद में कम है। आठवीं के बाद अनुपात बढ़ रहा है जो कि चिंता की बात है। हम प्रवेशोत्सव के साथ अभिभावकों से समझाइश करते हैं कि वे बालिकाओं को भी स्कू  ल भेजें। स्वयंपाठी के रूप में भी बालिकाएं पढ़ती है। हमारा विशेष प्रयास रहेगा कि बालिकाओं का नामांकन बढ़े।- नरसिंगप्रसाद जांगिड़, सहायक निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक मुख्यालय बाड़मेर

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