>>: Digest for August 21, 2021

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Table of Contents

भुवनेश पंड्या

ये टीम वैक्सीन है। इस टीम ने लोगों तक समय पर कोविशील्ड व कोवैक्सीन का टीका पहुंचाकर सुरक्षा घेरा बनाया है। ये वही जिलास्तरीय टीम हैं, जिसने ना रात देखी ना दिन, जब भी वैक्सीन पहुंचती, टीम मुस्तैदी से काम में लग जाती है। अधिकांश समय जयपुर से लाने, स्टोरेज करने, समय पर अस्पतालों तक पहुंचाने व समस्या पर लोगों की मदद के लिए तैयार टीम ने टीके की डोर से लोगों से जीवन का बंधन बांध दिया है। टीकाकरण में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली टीम हर किसी के लिए जीवनदायी कार्य कर रही है।
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उदयपुर. जिले में कोरोना वेक्सीन का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है, जिसके पीछे कई लोगों की मेहनत एवं समर्पण है। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक आदित्य की अगुवाई में टीम लगातार काम में जुटी है। वेक्सीनेशन के कार्य पूरा करने में मोहम्मद अकरम खान एवं अखिलेश आमेटा अहम भूमिका में है, जो वैक्सीन वितरण करना तय करते हैं। ये सुबह 6 बजे से कार्य में जुट जाते हैं, जो देर रात तक लगातार चलता रहता है। इसमें एयरपोर्ट से वैक्सीन प्राप्त करने से लेकर जयपुर निदेशालय की ओर से निर्देशित जिलों एवं उदयपुर के सभी ब्लॉक एवं उदयपुर शहर के सेंटर तक वेक्सीन पहुंचाना है।
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इस तरह निभाई जा रही जिम्मेदारी

- डॉ. आदित्य, मुदित माथुर एवं बनवारी लाल बुम्बरिया की ओर से सत्र तैयार करने का कार्य यानी कहां-कहां टीके लगेंगे, निर्धारण किया जाता है। टीकाकरण के लिए स्थान चयन एवं वैक्सीन खपत के आधार पर अगले दिन के लिए टीकाकरण की कार्य योजना तैयार कर टीके लगाए जा रहे हैं। टीके लगाने से पहले केन्द्र पर वैक्सीन पहुंचाने के समय से लेकर वैक्सीन की मात्रा भी तय की जाती है, ताकि जरुरत के मुताबिक वायल खुले और डोज खराब नहीं हो।

- वैक्सीन वितरण में डॉ. अरूण सिंह चौधरी द्वारा विभिन्न ब्लॉक से समन्वय स्थापित कर वेक्सीन की निर्बाध रूप से आपूर्ति की जा रही है। जिले के सभी ब्लॉक से प्रतिदिन वेक्सीनेशन के बाद बची डोज का हिसाब लेना व अगले दिन टीकाकरण सेशन से जुड़े कार्य डॉ. राजेश दतात्रेय, चन्दन सिंह, राकेश मीणा की ओर से किया जा रहा है।
- विभिन्न टीकाकरण स्थलों से वेक्सीनेशन कार्य प्रगति एवं रिपोर्ट संकलन का कार्य सुरेन्द्र सिंह एवं पूर्णिमा स्वर्णकार की ओर से किया जा रहा है। टीम में वाहन चालक अकिल अहमद, सत्यनारायण गंधर्व, राहुल वर्मा एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नकरलाल का सहयोग महत्वपूर्ण है। जो जयपुर और डबोक एयरपोर्ट से वेक्सीन प्राप्तकर जिले के टीकाकरण केंद्रों तक वेक्सीन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।

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उदयपुर से कई जिलों में आपूर्ति

उदयपुर में राज्यस्तरीय एवं संभागस्तरीय वेक्सीन स्टोर है। ऐसे में राज्य के अन्य जिले- भीलवाडा, झालावाड़, बाड़मेर, जालोर, पाली, सिरोही, अजमेर, बंूदी आदि को भी वेक्सीन पहुंचाई जा रही है।
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संभाग स्तर से सत्र के दौरान जो-जो तकनीकी खामियां होती थी, उसका तुरन्त निवारण किया, ताकि लोगों का टीकाकरण नहीं रुके और स्थल पर आपसी तनातनी वाली स्थिति नहीं बने।

मुदित माथुर, यूएनडीपी कार्यक्रम अधिकारी

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राज्य व एयरपोर्ट से वैक्सीन लेकर जिले में व अन्य जिलों को तय समय में वैक्सीन भेजना और साथ ही यहां पर स्टोरेज का पूरा ख्याल रखने का कार्य किया। एक भी डोज खराब नहीं हो इसका पूरा ध्यान रखा गया है।

मो. अकरम खान, वैक्सीन स्टोर प्रभारी

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जिले में संस्थानों से प्राप्त वैक्सीन सत्रों के यूजर आईडी व पासवर्ड बनाना, सत्र सही तरीके से चले इसकी मोनिटरिंग का कार्य व हर समस्या को तत्काल हल करना है।
बनवारी लाल बुम्बरिया, सांख्यिकी अधिकारी

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हमें इस बात की खुशी है कि हमने लगातार टीकाकरण कार्य किया है, लोगों का जीवन सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है।

डॉ. अशोक आदित्य, आरसीएचओ उदयपुर
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अब तक लगे टीके

कोविशील्ड

प्रथम डोज- 1031422
द्वितीय डोज- 314682

कुल- 1346104

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कोवैक्सीन
प्रथम- 128017

द्वितीय- 73214

कुल-201231

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कुल दोनों डोज

प्रथम- 1159439

द्वितीय- 387896

कुल- 1547331

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. एक ओर जहां राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए ग्राम ओलम्पिक करवाने की शुरुआत कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय अधिकारियों की अनदेखी से महाराणा प्रताप खेलगांव के अटके काम आगे बढऩे का नाम ही नहीं ले रहे है। महाराणा प्रताप खेलगांव अब तक कई खिलाडि़यों की राह देख रहा है। इसलिए कि कई खिलाड़ी यहां केवल इसलिए नहीं आते कि यहां उनके अभ्यास की सहूलियत नहीं है। नगर विकास प्रन्यास अधूरे काम पूरे नहीं कर पा रहा है। एेसे में खिलाड़ी अपने ट्रेक या अपने फील्ड का इन्तजार कर रहे हैं। मैदान तैयार हो तो खिलाडिय़ों का अभ्यास भी शुरू हो जाएगा। प्रन्यास के अधिकारी हर बार की तरह अटके काम जल्द पूरा करने का रट्टा लगा रहे हैं। यूआइटी को यहां करीब साढे़ सात करोड़ के कार्य करवाने हैं।

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ये काम है बाकी

- एथलेटिक्स सिंथेटिक ट्रेक, लागत ७.१९ करोड़ : सिंथेटिक ट्रेक बनने के बाद यहां खिलाडि़यों को बेहतर सुविधाएं मिलेगी। ये एथलेटिक्स ४०० मीटर का ट्रेक बनना है, जितने राष्ट्रीय स्तर व अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं, वह एेसे ही ट्रेक पर प्रेक्टिस करते हैं। कुशन, स्पंज, स्पीक, मिलेगी, मांस पेशियों को राहत मिलती है। दौड़, रिले, बाधा दौड़, सभी प्रकार के थ्रो इसमें किए जाते हैं।
- क्रिकेट फील्ड वर्क, लागत २५ लाख : इसमें क्रिकेट के दो विकेट तैयार करने हैं तो अन्य जरूरी कार्य भी किया जाना है।

- स्केटिंग रिंक, लागत १२ लाख : यह स्केट्स के लिए है, यहां स्केटिंग रिंक नहीं होने से खिलाड़ी प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे। उधड़ी सडक़ पर उन्हें मजबूरन स्केट करने के लिए़ आना पड़ता था, लेकिन अब तो वह भी खेल गांव छोडऩे लगे हैं।
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अधिकांश कार्यों के टेंडर पूरे हो चुके हैं, जल्द ही वर्क ऑर्डर देकर इसे शुरू करवाएंगे। कुछ छोटे कार्य तो कम ही समय में पूरे कर लेंगे।
विमल मेहता, अधिशाषी अभियन्ता, यूआईटी

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यहां की जो दशा खराब है, उसे सुधारेंगे, यूआईटी सचिव से बात कर काम पूरा करवाएंगे। कोशिश तो ये है कि किसी काम में देरी नहीं हो और जल्द कार्य पूर्ण हो।

डेरिक जॉय पेट्रिक, खेल अधिकारी, खेलगांव

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. सुखाडिय़ा विवि में अब 26 अगस्त तक प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन हो सकेंगे। रजिस्ट्रार सीआर देवासी ने आदेश जारी किया है कि सभी स्नातक, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स के लिए अब ऑनलाइन आवेदन की तिथि बढ़ाकर 26 अगस्त कर दी गई है। विवि के डिपार्टमेंट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एंड डिजाइनिंग मोहनलाल सुखाडयि़ा विश्वविद्यालय एवं कार्यालय विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आदिवासी महिलाओं को सिलाई मशीन एवं टूल किट वितरण समारोह आयोजित किया गया। इसमें 50 महिलाओं को सिलाई मशीन एवं टूल किट वितरित किए गए। मुख्य अतिथि प्रो अमेरिका सिंह थे। विवि के जनस्वास्थ्य किट विज्ञान प्रयोगशाला के शोधार्थियों ने सुविवि के संघटक महाविद्यालयो एवम विश्विद्यालय परिसर तथा उदयपुर शहर के विभिन्न चयनित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर वहां मौजूद मच्छरों के विभिन्न प्रजनन स्त्रोतों की पहचान कर उन्हें नष्ट किया। शोधार्थियों ने 150 से अधिक मच्छरों के प्रजनन स्थलों का सर्वेक्षण किया जिसमें से 98 प्रजनन स्थलों में मच्छरों के लार्वा की उपस्थिति पायी गयी जिन्हें नष्ट किया गया। विवि कुलपति प्रो सिंह ने बताया कि पेंशनर्स को देंगे सहुलियत के लिए सभी दस्तावेज ऑनलाइन किए जाएंगे। वह पेंशनर्स कर्मचारियों से संबोधित कर रहे थे।

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वीएमओयू की प्रवेश तिथि बढ़ाई

उदयपुर. वर्धमान महावीर खुला विवि कोटा की दिसम्बर 2020 की सत्रांत परीक्षाओ के परिणाम घाषित कर दिए गए हें, जून 2021 में होने वाली सत्रांत परीक्षाएं अब सितम्बर माह में होगी। डिफाल्टर फार्म 21 अगस्त तक जमा हो सकेंगे। परीक्षा नियंत्रक प्रो बी अरूणकुमार ने बताया कि परीक्षार्थी टाइम टेबल विवि की वेबसाइट से देख सकेंगे। जिसे जल्द अपलोड किया जाएगा, और उन्हं प्रवेश पत्र भी वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा। वर्तमान में सत्र जुलाई 21 के प्रवेश की अंतिम तिथि 10 अगस्त से बढ़ा कर 10 सितम्बर कर दी गई है।

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पोलिटेक्निक कॉलेज: 20 अगस्त की परीक्षाएं 28 को

उदयपुर. राजकीय महिला पोलिटेक्निक महाविद्यालय, प्रताप नगर उदयपुर में मोहर्रम के चलते (इंजीनियरिंग) परीक्षा कार्यक्रम में आंशिक संशोधन किया गया है। 20 अगस्त को होने वाली सभी परीक्षाएं अब 28 अगस्त को पूर्व निर्धारित समय पर होगी। शेष अन्य परीक्षाओं का कार्यक्रम यथावत रहेगा। प्रधानाचार्य दुर्गेश नंदिनी ने बताया कि गुरुवार के स्थान पर शुक्रवार को प्रदेश भर में सार्वजनिक अवकाश घोषित होने के चलते प्राविधिक शिक्षा मंडल जोधपुर की ओर से आयोजित परीक्षा सत्र 2020-21 (इंजीनियरिंग) अंतिम वर्ष के परीक्षा कार्यक्रम में आंशिक संशोधन किया गया है।

कानोड़. (उदयपुर). नगर के प्रमुख कमलवाले तालाब के नाम से विख्यात रहे जलाशय में अब कमल नहीं बल्कि पालिका की अनदेखी के चलते गाजर घास ने जड़े जमा ली है। पूरे तालाब को गाजर घास ने अपने आगोश में ले लिया है। लोगों को उम्मीद थी कि तालाब में फिर से कमल उगाने के प्रयास किए जाएंगे।
पूर्व पालिका बोर्ड में कमल बीज डालकर प्रयास भी किया गया लेकिन तालाब में पर्याप्त पानी नहीं रहने के कारण सफलता नहीं मिल पाई । अब हालात यह हो गए है कि तालाब में उगी इस जहरीली गाजर घास से उठ रही दुर्गंध सुबह-शाम को तालाब के पास टहलने वाले नगरवासियों के लिए भी मुश्किल हो गई है ।
नगर का एक जलाशय पहले से ही गंदे नालों का पानी जाने से वह बदबूदार बना हुआ है । नगरवासियों ने गाजर घास को समय रहते हटाने के लिए पालिका प्रशासन को अवगत भी करवाया है लेकिन अभी तक गाजर घास को हटाने की कोई कार्यवाहीं पालिका प्रशासन द्वारा नहीं किया जाना स्थानीय लोगों को निराश कर रहा है ।

कानोड़. (उदयपुर). नगर के प्रमुख कमलवाले तालाब के नाम से विख्यात रहे जलाशय में अब कमल नहीं बल्कि पालिका की अनदेखी के चलते गाजर घास ने जड़े जमा ली है। पूरे तालाब को गाजर घास ने अपने आगोश में ले लिया है। लोगों को उम्मीद थी कि तालाब में फिर से कमल उगाने के प्रयास किए जाएंगे।
पूर्व पालिका बोर्ड में कमल बीज डालकर प्रयास भी किया गया लेकिन तालाब में पर्याप्त पानी नहीं रहने के कारण सफलता नहीं मिल पाई । अब हालात यह हो गए है कि तालाब में उगी इस जहरीली गाजर घास से उठ रही दुर्गंध सुबह-शाम को तालाब के पास टहलने वाले नगरवासियों के लिए भी मुश्किल हो गई है ।
नगर का एक जलाशय पहले से ही गंदे नालों का पानी जाने से वह बदबूदार बना हुआ है । नगरवासियों ने गाजर घास को समय रहते हटाने के लिए पालिका प्रशासन को अवगत भी करवाया है लेकिन अभी तक गाजर घास को हटाने की कोई कार्यवाहीं पालिका प्रशासन द्वारा नहीं किया जाना स्थानीय लोगों को निराश कर रहा है ।

उमेश मेनारिया / शंकर पटेल

मेनार (उदयपुर) . जिले के वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के मेनार में शुक्रवार को आयोजित किसान सम्मेलन में प्रदेश के परिवहन मंत्री एवं उदयपुर के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दाढ़ी वाले बाबा कहा।

उन्होंने पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ती कीमतों पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के समय को याद दिलाते हुए कहा कि उस समय क्रूड ऑयल महंगा था मगर पेट्रोल-डीजल सस्ता था, क्योंकि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह अंबानी और अडानी की चिंता नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि मोदी सिर्फ बोलते ही बोलते है, कितनी देर सुनें, तंज कसते हुए कहा कि काम की बात तो करो बाबाजी, दाढ़ी बढ़ाने से देश नहीं चलता।

उन्होंने कहा कि राम राज का मतलब विकास और जलकल्याणकारी योजना होता है। उन्होंने राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि गहलोत सरकार किसानों की हितैषी है। मेनार पहुचने के बाद सबसे पहले खाचरियावास प्रसिद्ध शक्तिपीठ अम्बा माता मंदिर पहुँचे जंहा दर्शन करने के बाद सम्मेलन में शामिल हुए। बाद में उन्होंने इसी विस क्षेत्र के कुराबड़ में भी सभा को संबोधित किया।

कुराबड़ नया बस स्टैण्ड़ पर हुई सभा में खाचरियावास ने कहा कि जोश के साथ चुनाव जीता जाता है, जो वल्लभनगर क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं में देखा जा रहा है। पार्टी में टिकट मांगने का हक सच्चे सिपाही को है, लेकिन जिसे भी टिकट मिले एकमत होकर उसके साथ लग जाए। इस दौरान मंत्री सरकार की तारीफ कर केन्द्र की मोदी सरकार हमले किए। उन्होंने कहा कि कोरोना में मोदी ने केवल भाषण दिए और लोगों को राशन तक नहीं मिला। मोदी सरकार जुमला सरकार है। ना तो 15- 15 लाख खातों में आए न ही सस्ता पेट्रोल हुआ। किसान कई महीनों से आंदोलनरत है लेकिन सुनने को तैयार नहीं। सम्मेलन में नवल सिंह चुण्ड़ावत, दिलीप जारोली, मनोहर सिंह मेड़तिया, दुष्यराज सिंह, हकुम सिंह चुण्डावत, कमलेन्द्र सिंह आदि मौजूद थे।

उदयपुर. श्रावण मास की एकादशी पर शहर में हुई तेज बारिश के बाद गुरुवार को बादल छाए रहे और कुछ जगहों पर बूंदाबांदी हुई। अधिकतर क्षेत्रों में दिन सूख ही बीत गया। हालांकि एक दिन पहले बरसात होने से हवाओं में ठंडक बनी रही।

मौसम विभाग ने 20 से 22 अगस्त तक पूर्वी राजस्थान के उदयपुर व अन्य स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग जयपुर के अनुसार पूर्वी भारत में बना कम दबाव का सिस्टम अब कमजोर होकर परिसंचरण तंत्र में परिवर्तित हो चुका है। आगामी 48 घंटों के दौरान पूर्वी राजस्थान के कोटा, उदयपुर, भरतपुर व जयपुर संभागों के जिलों में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

4 डिग्री लुढक़ा पारा
बारिश के बाद गर्मी से कुछ राहत मिली है। गुरुवार को दिनभर बादल छाए रहने व हवाएं चलने से मौसम में ठंडक बनी रही। बुधवार को जहां अधिकतम तापमान 34.4 डिग्री था, वहीं गुरुवार को अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री दर्ज किया गया। एक दिन में 4.4 डिग्री की गिरावट रही। न्यूनतम तापमान 25 डिग्री दर्ज किया गया।

मुकेश हिंगड़
उदयपुर. वर्ष 2020 में कोरोना की लहर और लम्बे लॉकडाउन होने के बावजूद भी सबसे ज्यादा शादियां हुई है। यह बात सरकारी पोर्टल पहचान पर उपलब्ध आंकड़े बता रहे है। असल में उस समय शादियों को लेकर भी बड़ी बंदिशें थी लेकिन घर पर ही यहां सीमित संख्या में शादियों की अनुमति थी। उस समय कई शादियां निरस्त भी कर दी गई थी और कई आगे बढ़ा दी थी। शादियों के पंजीयन के पिछले वर्षों के आंकड़े बता रहे है कि 2020 में ही सबसे ज्यादा शादियां हुई है।
आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के उप निदेशक पुनीत शर्मा बताते है कि कोरोनाकाल में भी शादियों की संख्या में कमी नहीं आई, सिविल रजिस्ट्रेशन पोर्टल 'पहचान' पर उपलब्ध आंकड़ों की पिछले सालों से तुलना की तो 2020 में ही ज्यादा शादियां थी।

एक नजर में पिछले पांच साल में शादियां
वर्ष.... शादियों का पंजीकरण
2020... 8939
्र2019... 8587
2018... 7226
2017... 4907
2016... 2468
(आंकड़े उदयपुर जिले के)

तीन माह में लगभग ढाई लाख प्रमाण पत्र होंगे कंप्यूटराइज्ड
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों के डिजिटलाइजेशन की कवायद जिले में शुरू कर दी है। इसके तहत जिले में वर्ष 2011 से 2013 तक की अवधि में जारी हुए सभी जन्म, मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्रों को डिजिटलाइज्ड करने के लिए कार्य सौंपा गया है। तीन माह में लगभग ढाई लाख प्रमाण पत्रों को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा। आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग उदयपुर ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के जन्म-मृत्यु पंजीकरण से संबंधित पुराने रिकॉर्ड को राजस्थान सरकार के सिविल रजिस्ट्रेशन पोर्टल पहचान पर डिजिटल रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

उदयपुर. रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त रविवार को मनाया जाएगा। उससे पूर्व शहर के प्रमुख बाजारों में खरीदारी की होड़ लगी हुई है। स्थानीय ही नहीं बल्कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों से भी लोग खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में बाजारों में भीड़भाड़ की स्थिति बनी हुई है। सूरजपोल अंदर, धानमंडी, देहलीगेट, लखारा चौक, मालदास स्ट्रीट, बड़ा बाजार, सिंधी बाजार आदि जगहों पर कपड़े, राखियां, मिठाइयां, पूजन सामग्री व नारियल की खूब खरीद हो रही है।


कोरोना संक्रमण कम होने से बढ़ा उत्साह

सूरजपोल, धानमंडी आदि जगहों पर राखियों की स्टॉल्स सज गई है। यहां महिलाएं राखियां खरीदती नजर आ रही है। इस बार राखियों में अलग-अलग तरह की डिजाइंस व स्टोनवर्क वाली राखियां पसंद की जा रही है। बच्चों के लिए भी आकर्षक राखियां उपलब्ध है। थोक व्यापारी हिमांशु जैन ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार खरीद जोरों पर है। पिछले साल लॉकडाउन होने से लोग घरों से नहीं निकल पाए थे। इस साल संक्रमण कम पडऩे से राहत मिली है, बाजार खुले है।

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कपड़े व मिठाइयों की खूब खरीद
मालदास स्ट्रीट, हाथीपोल व अन्य बाजारों में कपड़ों की खरीदारी भी हो रही है। ग्रामीणी क्षेत्रों से भी लोग यहां पहुंच रहे है। कपड़ा व्यवसायी संजय चपलोत ने बताया कि कुछ दिनों से खरीदारी बढ़ी है। महिलाएं लहरिया व वर्क वाली साडिय़ां पसंद कर रही है। मिठाई, नमकीन व नारियल की बिक्री भी बढ़ चुकी है। गिफ्ट्स गैलरी में भी गिफ्ट, कार्ड, चॉकलेट पैक्स, सॉफ्ट टॉयज की खरीद हो रही है।


ड्राय फ्रूट्स हुए महंगे

ड्राय फ्रूट व्यापारी अनिल कस्तूरी ने बताया कि इन दिनों ड्राय फ्रूट्स की डिमांड बढ़ी है, लेकिन इनकी कीमतें बढऩे से खरीद में मात्रा कम हुई है। कीमतें बढऩे का कारण अमरीका में कई खेतों में आग लगने से फसल को नुकसान होना है। भारत में 80 प्रतिशत बादाम अमरीका से आता है। वहीं, अफगानिस्तान मामले के कारण भी असर पड़ा है।

ड्राय फ्रूट्स के वर्तमान भाव
बादाम - 950 रुपए किलो

काजू - 750 से 800 रुपए किलो
पिस्ता - 850 रुपए किलो

किशमिश - 240 से लेकर 300 किलो
अखरोट -250 रुपए किलो

छुआरे - 160 रूपए किलो

संदीप पुरोहित

केन्द्र सरकार की उज्ज्वला गैस योजना का आदिवासी अंचल में दम फूल गया है। गैस के आसमां छूते भावों से केन्द्र की महत्वाकांशी योजना पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। उदयपुर संभाग के आदिवासी अंचल में सरकार की महत्वपूर्ण उज्ज्वला योजना महंगी गैस व सब्सिडी के अभाव में आखिरी सांसे गिन रही है। आलम यह है कि उज्जवला योजना में मिले गैस सिंलेडर और चूल्हे साइड में शो पीस की तरह पड़े है। गैस सिलेंडर के दाम लगातार बढऩे से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। इस कारण केन्द्र सरकार की ओर से जिस उद्देश्य से यह योजना संचालित की जा रही है वह आदिवासी बहुल क्षेत्रों में उपयोगी साबित नहीं हो पा रही है।

आदिवासी महिलाएं गैस सिलेंडर और चूल्हे होने के बावजूद जंगल में जाकर लकडिय़ां लेकर आ रही है। इसके बाद ही सुबह-शाम के भोजन का प्रबंध हो पाता है। सिलेंडर का रिफिल इतना महंगा है कि आदिवासी अंचल के लोग उसे नहीं भरवा पा रहे है। सुरसा की बैल की तरह सिलेडर की कीमतें बढ़ती ही जा रही है, वहीं सरकार की सब्सिडी भी अब नाम मात्र की रह गई है। इन क्षेत्रों के लोग कृषि और मजदूरी पर ही निर्भर है, यह जरूरी है कि इन क्षेत्रों में सब्सिडी के साथ—साथ विशेष पैकेज भी दिया जाए। जब सरकार विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज दे सकती है तो कम से कम आदिवासी अंचल के लिए गैस पर सब्सिडी का विशेष पैकेज तो दे ही सकती है। तब ही इन पिछड़े क्षेत्रों की महिलाओं को धूूएं से निजात मिलेगी और प्रधानमंत्री की ये महत्वपूर्ण योजना साकार हो पाएगी।

शहर के लोग तो जैसे तैसे कर सिलेडर का प्रबंध कर लेते हैं लेकिन आदिवासियों के लिए अब भी यह सफेद हाथी की तरह दिखावा मात्र ही है। आदिवासी अंचल में जब इस योजना के तहत हजारों महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए गए थे तब पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल था। केन्द्र सरकार द्वारा पहली बार जो गैस टंकी दी गई तब महिलाओं की आंखों में चमक थी, उम्मीद थी कि धूएं से छूटकारा मिल जाएगा पर महंगी गैस ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

आज जमीनी हकीकत यह है कि महिलाओं द्वारा गैस का उपभोग आदिवासी अंचल में नहीं हो रहा है, गैस चूल्हें एवं टंकी की जगह वापस परम्परागत चूल्हे ने जगह ले ली है क्योंकि सिलेंडर रिफल कराना इनके बूते के बाहर है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना तभी उपयोगी साबित हो पाएगी जब आदिवासी व पिछड़़ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष पैकेज का सरकार कदम उठाएगी। सरकार को जल्द से जल्द आदिवासी अंचल के लिए गैस पर पचास फीसदी सब्सिडी का विशेष पैकेज का ऐलान करना चाहिए तब ही जाकर आदिवासियों का उज्जवला का उजाला बिखरेगा।

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