>>: Digest for August 30, 2021

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जैसलमेर. जन सेवा समिति की ओर से संचालित बिसानी नेत्र चिकित्सा केंद्र में पूर्व विधायक गोवर्धनदास कल्ला व समाजसेवी रमेशचन्द्र कल्ला की स्मृति में नगरपरिषद सभापति हरिवल्लभ कल्ला की ओर से प्रायोजित समिति का 165 वा नेत्र चिकित्सा शिविर सम्पन्न हुआ। शिविर में 440 मरीजों ने आंखों की जांच कराई। इस दौरान 243 मरीजों को मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए भर्ती किया। ऑपरेशन पूर्व की आवश्यक जांचों के बाद 237 मरीजों के मोतियाबिंद के लैंस प्रत्यारोपण के ऑपरेशन कर नवज्योति प्रदान की गई और 6 मरीजों के ऑपरेशन के बाद आंख पर आई झिल्ली को हटाने के लिए लेजर के ऑपरेशन किए गए। शेष 6 मरीजों को आवश्यक परामर्श देकर छुट्टी दी गई। समिति के प्रवक्ता अमृत भूतड़ा ने बताया कि पश्चिम राजस्थान के जैसलमेर जिले में पिछले 15 वर्षों से हर महीने की 25 तारीख को आयोजित नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर में फेंको पद्धति से मोतियाबिंद के लेंस प्रत्यारोपण के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अब तक 17500 से अधिक नेत्र लैंस लगाए गए हैं। यह शिविर भामाशाहों के सहयोग से आयोजित किए जाते हैं। शिविर के भामाशाह कल्ला परिवार के एवम् नगर सभापति हरिवल्लभ कल्ला का अभिनंदन समिति के अध्यक्ष डॉ दाऊलाल शर्मा ने शॉल ओढ़ाकर किया।
शिविर के समापन के अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष मदनलाल डांगरा ने समिति की ओर से दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में विस्तार से बताया। शिविर प्रायोजक हरिवल्लभ कल्ला ने बताया कि जन सेवा समिति की ओर से जैसलमेर में संचालित की जा रही नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविरों के माध्यम से सेवाएं बहुत ही सराहनीय है। संस्था की ओर से दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं से हमारे जिले का नाम रोशन हुआ है। समिति अध्यक्ष डॉ. दाऊलाल शर्मा ने शिविर में सेवा देने वाली सर्जिकल टीम व प्रायोजक परिवार का आभार जताया। उन्होंने ऑपरेशन के बाद बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी दी। नेत्र जांच केंद्र पर जाने का आग्रह किया। इस अवसर पर उन्होंने गीता आश्रम के अध्यक्ष राजेंद्र व्यास व सचिव सुरेश केवलिया का आवास व्यवस्था नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया समिति के अध्यक्ष डॉ. दाऊलाल शर्मा ने बताया कि सोमवार को फतेहगढ़, मंगलवार को रामगढ़, बुधवार को जैसलमेर, गुरुवार को पोकरण, शुक्रवार को फलसूंड व शनिवार को देवीकोट में नेत्र जांच शिविर का लाभ लें। मंच संचालन अमृत भूतड़ा ने किया।


पोकरण. सांकड़ा थानाक्षेत्र के माधोपुरा गांव के पास शनिवार को अडाणी कंपनी के विद्युत टॉवर की चपेट में आने से एक बालक की हुई मौत को लेकर ग्रामीणों की ओर से सांकड़ा अस्पताल के बाहर किया जा रहा आंदोलन रविवार को देर शाम तक भी जारी रहा। हालांकि प्रशासन, पुलिस व अडाणी कंपनी के अधिकारियों की ओर से समझोते के प्रयास भी किए गए, लेकिन देर रात तक भी वार्ता सफल नहीं हो पाई। गौरतलब है कि शनिवार को दोपहर तीन बजे माधोपुरा निवासी सुरेन्द्रसिंह (15) पुत्र मेहताबसिंह माधोपुरा गांव से कुछ दूरी पर बकरियां चरा रहा था। इसी दौरान विद्युत टॉवर की चपेट में आने से उसे करंट लगा और झुलसकर नीचे गिर पड़ा। उसे तत्काल सांकड़ा के राजकीय अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसी हादसे को लेकर ग्रामीणों ने मृत बालक के शव का पोस्टमार्टम करवाने व शव लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी अधिकारियों की लापरवाही के कारण विद्युत पोल में करंट प्रवाहित हो रहा है। इससे बालक सुरेन्द्रसिंह की मौत हो गई तथा पूर्व में भी एक बालक रफीक पुत्र तमाचीखां भी गंभीर रूप से घायल हो चुका है। उन्होंने मोर्चरी के बाहर धरना व विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
धरना रहा जारी
विद्युत टॉवर की चपेट में आने से बालक की मौत की खबर रविवार सुबह तक आसपास क्षेत्र में पहुंच गई तथा सांकड़ा, माधोपुरा सहित आसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में ग्रामीण अस्पताल परिसर में एकत्रित हो गए और माहौल गर्मा गया। सांकड़ा के भोमसिंह, पंचायत समिति सांकड़ा के प्रधान भगवतसिंह तंवर, सरपंच गफूरखां माधोपुरा, पंचायत समिति सदस्य भीखसिंह, भाजपा नेता शैतानसिंह राठौड़, सांगसिंह भाटी, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष सांगसिंह गड़ी, सरपंच समंदरसिंह रामदेवरा, शिवदानसिंह नेड़ान, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष हाथीसिंह मूलाना, भीखसिंह लूणा, रघुवीरसिंह ओला, विजयसिंह भैंसड़ा, राजूसिंह केलावा, नाथूसिंह चौक सहित आंदोलनकारियों के नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्रशासन, पुलिस व कंपनी के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। भाजपा नेता सांगसिंह ने प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों पर कंपनी अधिकारियों के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस की ओर से क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ दुव्र्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने ऐसे पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की। भाजपा नेता शैतानसिंह ने भी अधिकारियों पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की मांग की।

नाचना. क्षेत्र के सत्याया गांव के पास रविार को सुबह एक बोलेरो कैम्पर पलट जाने से उसमें सवार दो महिलाओं व तीन बच्चों सहित सात जने घायल हो गए। जिनमें से चार गंभीर घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रैफर किया गया है। रविवार को सुबह करीब 11 बजे कुछ लोग एक बोलेरो कैम्पर में सवार होकर सत्याया से अपने खेत की तरफ जा रहे थे। इस दौरान मोहनगढ़ रोड पर घुमावदार मोड़ में अचानक संतुलन बिगड़ जाने से गाड़ी पलट गई। जिससे उसमें सवार सत्याया निवासी नरेश (40) पुत्र दीनाराम मेघवाल, निजरोदेवी (35) पत्नी नरेश, अशोक (11) पुत्र नरेश मेघवाल, कपिल (6) पुत्र नरेश मेघवाल, अन्नाराम (12) पुत्र बाबूराम मेघवाल, साऊदेवी (35) पत्नी पूराराम मेघवाल, रूपाराम (45) पुत्र खाखूराम मेघवाल घायल हो गए। साथ ही वे गाड़ी में फंस गए। मोबाइल से सत्याया गांव में सूचना दी, तो गांव के कई लोग मौके पर पहुंचे। उन्होंने गाड़ी में फंसे लोगों को बाहर निकाला तथा निजी वाहनों से नाचना अस्पताल पहुंचाया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर हालत में नरेश, रूपाराम, कपिल व साऊदेवी को जोधपुर रैफर किया गया। जबकि शेष घायलों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी।
परिजनों के वाहन से एक घायल
हादसे के बाद सत्याया निवासी हनीफखां (40) पुत्र भारेखां बोलेरो कैम्पर में फंसे लोगों को बाहर निकालकर सड़क पर खड़ा था। इस दौरान घायलों के परिजन के वाहन ने हनीफखां को टक्कर मार दी। जिससे वह भी घायल हो गए। उसका भी नाचना अस्पताल लाकर उपचार करवाया गया।


जैसलमेर. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की याद में 29 अगस्त को देश भर में खेल दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर भी सीमावर्ती जैसलमेर जिले में खेलों के निरंतर हो रहे नुकसान की तरफ जिम्मेदारों का ध्यान जाना मुश्किल ही है। विगत कुछ वर्षों के दौरान स्कूली स्तर पर खेलों की दशा निराशाजनक देखने केा मिली है।कहने को शासन-प्रशासन प्रत्येक गांव में स्थित राजकीय विद्यालय के लिए खेल मैदान की व्यवस्था पर जोर देते हैं लेकिन असलियत यह है कि जैसलमेर जिला मुख्यालय पर भी प्राथमिक स्तर के सरकारी स्कूलों की बात जाने दें, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों के लिए खेल मैदान नहीं है। रियासतकाल में स्थापित अमर शहीद सागरमल गोपा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का बेहद शानदार खेल मैदान विगत वर्षों के दौरान प्रशासन ने अघोषित रूप से छीन ही लिया है। अब यह नगरपरिषद की संपत्ति कहलाता है तथा शिक्षा विभाग व विद्यालय के तत्कालीन प्रशासन की नाकामी की कहानी खुद कह रहा है। वर्तमान कोरोना काल को छोड़ दिया जाए तो कहने को प्रतिवर्ष जिला व राज्य स्तरीय स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताओं में जैसलमेर जिले के बालक-बालिकाएं भी भाग लेते हैं लेकिन खेल संस्कृति तथा विद्यालयों में संसाधनों के अभाव में वे उभरकर नहीं आ पाते। जबकि दमखम के मामले में यहां के बच्चे राज्य के अन्य जिलों की भांति किसी लिहाज से कम नहीं हैं।
खेल मैदान के लिए जगह नहीं
अव्वल तो हरियाणा जैसे प्रांत की तुलना में राजस्थान में स्कूली व कॉलेज स्तर पर खेलों को प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया बहुत धीमी है लेकिन जो कुछ काम हो भी रहा है, वह सीमांत जैसलमेर तक नहीं पहुंच पा रहा। जैसलमेर शहरी क्षेत्र में राजकीय अमर शहीद सागरमल गोपा उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय और राजकीय माध्यमिक विद्यालय तीन सबसे बड़े सरकारी स्कूल हैं। आबादी के घनत्व के लिहाज से सबसे पीछे आने वाले जैसलमेर में ही विद्यालयों के खेल मैदान के लिए जमीन नहीं है। इसके लिए ना कभी जनप्रतिनिधियों ने प्रयास किए न प्रशासन और शिक्षा विभाग चेता। जबकि बिना खेल मैदान के भी जैसलमेर कई बार राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजक बनता रहा है।
अमर शहीद गोपा विद्यालय का मैदान छिना
शहर के सबसे व्यस्ततम हनुमान चौराहा पर अमर शहीद सागरमल गोपा विद्यालय ऐतिहासिक विद्यालय है। यहां स्थित शहीद पूनमसिंह स्टेडियम पहले इसी विद्यालय के अधीन था, लेकिन तत्कालीन शिक्षा अधिकारी और विद्यालय प्रशासन की बेरुखी के बीच स्थानीय निकाय के पास अब यह आ गया है। प्रशासन व निकाय मिलकर इसका साल भर अपने हिसाब से उपयोग करते हैं। हमेशा से स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर जिलास्तरीय आयोजन इसी मैदान पर होते आए, तब भी यह मैदान सागरमल गोपा विद्यालय के अधीन ही था। उस समय यह जैसलमेर शहर के राजकीय विद्यालयों के लिए एकमात्र खेल मैदान था।
हो रहे दुष्परिणाम
खेल मैदान के अभाव में यहां से खिलाड़ी तैयार नहीं हो पाए। जिले की टीम विगत दशकों में राज्य स्तर पर विद्यालय स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में कबड्डी, खो-खो, फुटबॉल आदि में कभी पदक प्राप्त नहीं कर सकी। यहां के खिलाड़ी औपचारिकता के तौर पर खेलकूद में भाग लेते रहे। इसके चलते जिले में स्थानीय शारीरिक शिक्षकों की भारी कमी रही और विद्यालयों में अधिकांशत: दूसरे जिलों के शारीरिक शिक्षक यहां पदस्थापित रहे। आज आलम यह है कि कई वर्षों से जैसलमेर जिला स्तरीय प्रतियोगिता में राष्ट्रीय खेल हॉकी का कोरम भी पूरा नहीं कर पाता। जबकि इंदिरा इंडोर स्टेडियम में बास्केटबॉल अकादमी बनने के बाद यहां के खिलाड़ी राज्य-राष्ट्र ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे।
राष्ट्रीय खेल की दुर्दशा
जिस मेजर ध्यानचंद की याद में खेल दिवस मनाया जाता है, वे हॉकी के जादूगर थे। वीर प्रसूता भूमि जैसलमेर जिले में हॉकी का एक भी मैच नहीं होता। इस में न जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली और न प्रशासन ने। यह प्रत्यक्ष तौर पर खेल दिवस की लिए एक चुनौती है कि जिले में राष्ट्रीय खेल हॉकी का कोरम भी पूरा नहीं होता। किसी भी खेलकूद प्रतियोगिता करवाने के लिए चार टीमों का आना आवश्यक होता है फिर उनमें से राज्य स्तरीय टीम का चयन होता है। उदासीनता का शिकार जैसलमेर जिला हॉकी टीम का कोरम भी पूरा कर नहीं पाता। जानकारी के अनुसार किसी वक्त बडोड़ा गांव जैसे विद्यालय की टीमें हॉकी में अच्छा प्रदर्शन किया करती थी।

फैक्ट फाइल -
- ३०९ पद शारीरिक शिक्षकों के
- २३१ पदों पर लगे हैं शिक्षक
- १८८ राजकीय माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय

हमने किए प्रयास
जैसलमेर में स्कूल के खेल मैदान के लिए वर्ष 2017-18 में संघर्ष किया। तत्कालीन शिक्षा मंत्री व सरकार के सामने संघर्ष किया। सांसद को भी घेरा। भविष्य में भी इसके लिए हम संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
-प्रकाश विश्नोई, प्रदेश मंत्री, राज. शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ

नगरपरिषद के पास स्वामित्व
पूर्व में पूनम स्टेडियम अवश्य हाई स्कूल का मैदान कहलाता था और बच्चे भी यहां खेलते थे। मैदान के संबंध में विद्यालय के पास कोई कागजात नहीं है और फिलहाल यह नगरपरिषद के पास ही है।
-दलपतसिंह सोलंकी, जिला शिक्षा अधिकारी, जैसलमेर


पोकरण/रामदेवरा. नियम भी है और उनके क्रियान्वयन की व्यवस्था भी तथा इन्हें लागू करवाने वाले भी है, लेकिन कमी है, तो मात्र अधिकारियों की कार्यशैली व इच्छाशक्ति में। जिससे बस हो या टैक्सी अथवा ट्रक, पिकअप व मालवाहक वाहन, सरपट ओवरलोड दौड़ रहे है। परिवहन व पुलिस की सख्ती के बावजूद नियमों को दरकिनार करने वालों की कमी नहीं है। प्रतिदिन दौड़ते ओवरलोड वाहन दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे है। गौरतलब है कि इन दिनों ***** मेले से पूर्व रामदेवरा में स्थित लोकदेवता बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाहनों में ऊपर नीचे भरकर यहां से गुजर रहे है। जिन्हें रोकने के लिए न तो पुलिस, न ही परिवहन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे आए दिन हादसे हो रहे है।
हादसों से भी नहीं चेत रहे जिम्मेदार
रामदेवरा मेले के मौके पर विशेष सतर्कता की जरूरत है। बावजूद इसके न तो पुलिस प्रशासन के पुख्ता प्रबंध है और न वाहन चालक बाज आ रहे है। दूरदराज से आने वाली बसों, ट्रकों, पिकअप व अन्य वाहनों को रोकने के कोई पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आ रहे है। जबकि ऐसे ओवरलोड वाहनों से आए दिन हादसे हो रहे है। दो दिन पूर्व ही लवां गांव के पास एक पिकअप का टायर फट जाने से वह पलट गई तथा 27 जने घायल हो गए। कई बार ऐसे हादसों में लोग अपनी जान भी गंवा बैठते है, लेकिन ओवरलोड वाहनों पर नकेल नहीं कसी जा रही है।
प्रयास नजर आ रहे बौने
बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनोंं के लिए देश के कई राज्यों व प्रदेश के कई हिस्सों से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते है। ये श्रद्धालु राज्यों की सीमाओं के साथ कई जिलों को पार करते हुए यहां आते है। प्रत्येक जिले की सीमाओं, राष्ट्रीय राजमार्गों व अन्य जगहों पर पुलिस बल तैनात रहते है, लेकिन ऐसे वाहनों को रोकने की जहमत नहीं उठाते। इसी प्रकार पोकरण से रामदेवरा जाने वाले मार्ग पर भी यातायात पुलिस तैनात रहती है। पोकरण कस्बे में जैसलमेर रोड, जोधपुर रोड सहित मुख्य मार्गों पर यातायातकर्मी व पुलिस देखी जा सकती है, लेकिन उनकी ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बाबा की दुहाई भारी
रामदेवरा मेले में आने वाले बाहरी वाहनों के मामले में यातायात नियमों पर बाबा की दुहाई भारी पड़ रही है। ऐसे वाहनों को यदि पुलिस पकड़ती भी है, तो श्रद्धालु आगे आ जाते है और बाबा की दुहाई देकर कार्रवाई नहीं करने की मिन्नते करने लगते है। मेले में जाकर आने व श्रद्धालु होने के चलते पुलिस भी मजबूरन कागजी कार्रवाई में उलझना नहीं चाहती। इसी कारण अधिकतर वाहनों के मामले में इन दिनों खासी नरमी बरती जा रही है।
फैक्ट फाइल:-
- 1500 से अधिक वाहन आते है प्रतिदिन रामदेवरा
- 50 से अधिक यात्री बसें ओवरलोड होती है संचालित
- 1000 से अधिक छोटे, दुपहिया व मालवाहक वाहन निकलते है ओवरलोड
- 300 से अधिक ट्रैक्टर प्रतिदिन सवारियों से भरकर आते है रामेदवरा
- 12 से अधिक दुर्घटना हो चुकी है अब तक

ओरण की लगाई परिक्रमा

Sunday 29 August 2021 03:22 PM UTC+00

बडोड़ा गांव. सांखला गांव में स्थित लोकदेवता हड़बूजी की प्राचीन ओरण की परिक्रमा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। दो दशक पूर्व सांखला गांव के हड़बूजी की इस प्राचीन ओरण राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। इस ओरण से इंदिरा गांधी नहर परियोजना निकाल दी गई तथा मुरबे भी आवंटित कर दी गई। वर्ष 2003 से ग्रामीणों की ओर से मंदिर के पास बची ओरण को आरक्षित करने व अन्यंत्र जगह पर चारागाह आवंटित करने की मांग की जा रही है। वर्ष 2013 में कुछ जमीन चारागाह के लिए आरक्षित करने के आदेश उपनिवेशन विभाग की ओर से जारी किए गए थे, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। ओरण को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाकर उसका संरक्षण करने की मांग को लेकर रविवार को ओरण की परिक्रमा की गई। पर्यावरणप्रेमी व देगराय उष्ट्र संरक्षण व दुग्ध विपणन सेवा समिति के अध्यक्ष सुमेरसिंह सांवता, भोपालसिंह झलोड़ा, कुंदनसिंह मोकला, सांखला गंाव के हुकमसिंह, पूनमसिंह, मूलसिंह, हुकमसिंह, खेतसिंह, तनेरावसिंह, जितेन्द्रसिंह, जगन्नाथसिंह, स्वरूपसिंह, कूंपसिंह, चंद्रसिंह, झबरसिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पशुपालकों की ओर से परिक्रमा की गई।

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