भीलवाड़ा।
टेक्सटाइल उद्योग को गति देने के लिए कपड़ा मंत्रालय ने अहम फैसला लिया है। कपड़ा मंत्रालय ने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन या पीएलआई योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब जल्दी ही इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।
केन्द्र सरकार ने सुस्त पड़े टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने या पुनर्जीवित करने के लिए गत जुलाई में 10 हजार 680 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी। सरकार ने इस से परिधान को बढ़ावा देने, रोजगार और निर्यात क्षमता को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना में मेनमेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल सेक्टर को जोड़ा गया है। इसके लागू होने के साथ ही भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग एक बार फिर से अपनी रफ्तार पकड़ सकेगा। भीलवाड़ा में ९० प्रतिशत उद्योगों में सिन्थेटिक्स कपड़े का उत्पादन होता है। इसमें मेनमेड फाइबर में विस्कॉस व पॉलिएस्टर शामिल होता है। भीलवाड़ा में १०० करोड़ मीटर कपड़े में से ८० करोड़ मीटर कपड़ा इसी का बनता है।
ग्रीनफील्ड और ब्राउनफ ील्ड में निवेश की संभावना
पीएलआई योजना का मुख्य फोकस मानव निर्मित फाइबर (मेनमेड फाइबर) के तहत 40 प्रोडक्ट श्रेणियों और तकनीकी वस्त्रों के तहत 10 उत्पाद श्रेणियों पर होगा। पीएलआई योजना के लागू होने से ग्रीनफील्ड (नई कंपनियां स्थापित की जा रही हैं) और ब्राउनफील्ड (कंपनियां जो पहले से ही परिचालन में हैं) में निवेश को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। पीएलआई योजना को फोकस प्रोडक्ट इंसेंटिव स्कीम (एफपीआईएस) के माध्यम से मेनमेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल सेक्टर में पांच साल के लिए निर्धारित इंक्रीमेंटल टर्नओवर पर 3 से 15 फीसदी तक प्रोत्साहन देकर वैश्विक स्तर पर ले जाने का मकसद है।
कपड़ा क्षेत्र के लिए पैकेज
कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार प्रयासरत है। सरकार ने इसके लिए जून 2016 में विशेष पैकेज का एलान किया था। इसके तहत 6 हजार करोड़ रुपए दिए गए थे। इन पैसों से परिधान और मेड अप सेगमेंट में रोजगार और निर्यात क्षमता को बढ़ावा दिया गया था।
भीलवाड़ा में 18 हजार करोड़ का टर्नओवर, एक लाख लोगों को रोजगार
देश की अर्थव्यवस्था में भीलवाड़ा टेक्सटाइल इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है। कृषि के बाद कपड़ा उद्योग या उत्पादन से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं। देश में प्रत्यक्ष रूप से 4.5 करोड़ और अप्रत्यक्ष रूप से 6 करोड़ लोग इस इंडस्ट्री में काम करते हैं। भीलवाड़ा में स्पिनिंग, वीविंग और टेक्सटाइल उद्योग का सालाना टर्नओवर लगभग 18 हजार करोड़ रुपए है। एक लाख लोग सीधे जुड़े हुए हैं। यहां लगभग 450 छोटी-बड़ी कपड़ा फैक्ट्रियां हैं। देश-विदेशों में भी भीलवाड़ा से यार्न व कपड़ा निर्यात होता है।
कपड़ा मंडी के लगेंगे फंख
पीएलआई योजना में मेनमेड फाइबर, विस्कॉस व पॉलिएस्टर प्रॉडक्ट शामिल होने से इन्हें प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना से भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग के पंख लगेंगे, क्योंकि कॉटन कपड़ा बनाने वाले उद्योगों को छोड़कर शेष सभी उद्योग पीवी कपड़ा बनाते है। इस योजना का सभी को लाभ मिलेगा। हालांकि टेक्नीकल टेक्सटाइल में भीलवाड़ा में उत्पादन नहीं होता है। इससे इसका फायदा नहीं मिलेगा।
जेके बागडोदिया, यार्न उद्यमी