भरतपुर. शहर में ब्रज संवादोत्सव कार्यक्रम में रविवार को नारी से परिवार, परिवार से राष्ट्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शहर की महिलाओं ने भाग लिया। कॉर्डिनेटर कर रही प्रोफेसर संगीता प्रणवेन्द्र ने कहा कि सशक्त नारी समाज का आधार स्तंभ है। जहां सशक्त नारी है वहीं समाज, परिवार व देश भी मजबूत बनेगा।
ब्रज मंथन की ओर से आयोजित दो दिवसीय ब्रज संवादोत्सव के समापन रविवार को हुआ। इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता सुबुही खान ने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है। जहां धरती को मां माना जाता है। यहां फेमिनिज्म को अचीव नहीं बल्कि महसूस किया जाता है। भारत में जब बाहरी आक्रमण हुए तो महिलाओं ने खुद की सुरक्षा के लिए घुंघट प्रथा जैसी कुरीतियां खुद के बचाव में शुरू की थी। जिस देश में भगवान को ही अद्र्धनारेश्वर कहा जाता है। वहां हिजाब, घूंघट जैसी कुरीतियां महिलाओं ने आत्मसम्मान बचाने के लिए शुरू की थी। लेकिन अब यह धारणा धीरे-धीरे बदल चुकी है।
लेखक प्रगति गुप्ता ने बताया कि नारी परिवार की धुरी और समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है। माता संतान की प्रथम गुरु है। यदि वह स्वयं शिक्षित, गुणवान, समर्थ, सशक्त है। आत्मबल आत्मसम्मान महसूस करती है तो वह संस्कार वो संतान को देती है। हमें अपने संस्कारों की विरासत की रक्षा करे इसके लिए नारी को आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से स्वयं को सशक्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का मतलब यह नहीं है कि हम अपने अधिकारों का दुरुपयोग करे बल्कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें।
नारी जागी तो राष्ट्र जागा
नौक्षम चौधरी बताया कि राजयोग के अभ्यास द्वारा स्वयं को तनावमुक्त बनाकर सशक्त बनाया जा सकता। नारी जागी तो समाज जागा और नारी सोई तो समाज सोएगा। अब आध्यात्मिक ज्ञान से स्वयं को जागृत सशक्त बनाना होगा।
अभिज्ञान शाकुंतलम नाट्य ने बटोरी तालियां
अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाट्य की प्रस्तुति देकर कलाकारों ने खूब तालियां बटोरी। नाटक का प्रारम्भ दुष्यन्त आखेटार्थ महर्षि कण्व के आश्रम के निकट जाने से हुई । फिर किस तरह प्रेम होता है और किस तरह आगे बढ़ता है। पूरी कहानी नाटक के माध्यम से कलाकारों ने प्रस्तुत की।