>>: कांग्रेस- पायलट के प्रभाव वाले क्षेत्र में 35 दिन में तीसरी बार मुख्यमंत्री गहलोत

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अजमेर @ पत्रिका. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 35 दिनों के अंतराल में तीसरी बार अजमेर यात्रा को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है। भाजपा के गढ़ और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के प्रभाव क्षेत्र वाले अजमेर की कमान खुद गहलोत ने संभाली है। वे आगामी चुनाव से दावेदारों और पार्टी की नब्ज टटोलने में जुटे हैं। साल 2003 से अजमेर उत्तर और दक्षिण विधानसभा सीट कांग्रेस से दूर है। स्थानीय कांग्रेसियों की अंदरूनी गुटबाजी और संगठन में बिखराव के चलते यह स्थिति बनी है। पायलट के मजबूत किले और भाजपा के गढ़ को साधने की गरज से खुद गहलोत ने कमान संभाली है। पिछले 35 दिन में उनकी तीसरी अजमेर यात्रा कुछ यही बयां कर रही है।
संगठन कमजोर
ढाई साल से शहर और देहात कांग्रेस का गठन नहीं हुआ है। तीन साल तक केकड़ी विधायक डॉ. रघु शर्मा अजमेर और जिले की राजनीति की धुरी रहे। एक साल से आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ सक्रिय हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष को लेकर लगातार मांग उठती रही है, लेकिन गुटबाजी के चलते अभी तक इन पदों पर ताजपोशी नहीं हो पाई, हालांकि पूर्व अध्यक्ष ही सक्रिय रहे। संगठन के नाम पर सरकार ही सक्रिय रही है।
ले रहे अंदरूनी फीडबैक
गहलोत अजमेर की दोनों विधानसभा सीट के लिए अंदरूनी फीडबैक ले रहे हैं। महंगाई राहत कैंप में नेताओं -कार्यकर्ताओं की सक्रियता, कार्यक्रम में उपस्थिति, जातिगत समीकरण, संगठन के प्रति निष्ठा जैसे फीड बैक शामिल हैं। लिहाजा कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले संगठन से नेताओं तक सबको साधने की तैयारी में है।


कांग्रेस- पायलट के प्रभाव वाले क्षेत्र में 35 दिन में तीसरी बार मुख्यमंत्री गहलोत

मुख्यमंत्री ने इन कार्यक्रमों में की शिरकत
गहलोत एक अप्रेल को जवाहर स्कूल में संभाग स्तरीय सम्मेलन में शामिल हुए। इसके बाद 21 अप्रेल को चन्दवरदायी खेल स्टेडियम में संभाग स्तरीय मेगा जॉब फेयर में शामिल हुए। अब शुक्रवार को फिर उनकी यात्रा को लेकर कांग्रेस पार्टी में उत्साह नजर आ रहा है।

पायलट की अजमेर से दूरी की भी चर्चा
उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट 2009 में अजमेर से सांसद रहे थे। उन्हें यूपीए सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव भी उन्होंने अजमेर से लड़ा था। हालांकि प्रदेश के तत्कालीन कबिना मंत्री और कद्दावर जाट नेता सांवरलाल जाट (भाजपा) से वे चुनाव हार गए। टोंक विधायक व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट लम्बे समय से अजमेर शहर में किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। शहर व कांग्रेस में भी चर्चा है कि कांग्रेस संगठन का कार्यक्रम हो चाहे पार्टी के अन्य आयोजन में पायलट नहीं आए। उनकी दूरी कांग्रेस नेताओं को अब खलने लगी है। जबकि बड़ी संख्या में यहां उनके समर्थक भी है। अजमेर जिले के मसूदा विधायक राकेश पारीक पायलट के करीबी हैं।

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