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लोकनृत्य के दम पर बेटियों को दिलाया जीने का अधिकार Monday 12 June 2023 09:13 AM UTC+00 जयपुर। गुलाबो सपेरा देश-दुनिया में आज एक जाना-पहचाना नाम है। हालांकि, जन्म से लेकर अब तक की उनकी जिंदगी सपेरा डांस, अपने समुदाय और संगीत के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है। उनके लिए कालबेलिया डांस और संगीत उनकी जीवन भर की पूंजी है। गुलाबो ने बताया वह जीवन में बहुत कुछ हासिल कर चुकी हैं, इसलिए अब वह नई पीढ़ी को अपना अनुभव लौटाने के लिए अजमेर में एक कालबेलिया डांस स्कूल शुरू करना चाहती हैं। समाज ने रोका, लोकनृत्य से बनाई पहचान सात भाई-बहनों में सबसे छोटी गुलाबो को पैदा होने के पांच घंटे बाद ही जमीन गाड़ दिया गया था। घुमंतु कालबेलिया आदिवासी समुदाय में बेटियों को जन्म लेते ही जमीन में दफ्ना देने की कुरीति थी। हालांकि, पांच घंटे बाद जमीन में दफ्न रहने के बाद भी वह जिंदा रहीं। 1981 में उन्होंने पुष्कर मेले में अपनी पहली पेशेवर प्रस्तुति दी। उसके बाद वह जयपुर आईं और यहां ट्यूरिज्म डिपार्टमेंट के लिए परफॉर्म करने लगीं। आज समाज का गौरव बनीं गुलाबो बेटियों को दिलाया जीने का अधिकार |
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