>>: महज 2 इंच के मोबाइल से चला रहे अपराध की दुनिया, सेंट्रल जेल में मच गया हड़कंप, जानिए पूरा मामला

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विकास चौधरी, जोधपुर। हाथ की सबसे छोटी वाली अंगुली से भी छोटे आकार के मोबाइल जेल के भीतर तक पहुंचने लगे हैं। आकार में मात्र दो इंच वाले इन मोबाइल से बंदी व कैदी जेल में बैठकर अपनों से न सिर्फ संवाद कर रहे हैं, बल्कि जेल से बाहर गिरोह भी चला रहे हैं। गत तीन-चार आकस्मिक तलाशी अभियान में ऐसे सूक्ष्म मोबाइल मिलने से जेल और पुलिस प्रशासन सकते में हैं। सूक्ष्म आकार के मोबाइल मिलने के बाद रातानाडा थाना पुलिस को सौंपे गए हैं। इनके आइएमइआइ नम्बर के आधार पर जांच शुरू की गई है। इसके बाद ही खुलासा हो पाएगा कि इन मोबाइल में कौन सी सिम उपयोग में ली जा रही थी और किसने व किन-किन से सम्पर्क किया गया था।

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जेल से गिरोह का संचालन व आपराधिक गतिविधि
जेल में कई कुख्यात बदमाश व गिरोह सरगना बंद हैं, जो मोबाइल के मार्फत गिरोह का संचालन कर रहे हैं। कुछ वर्ष पहले जेल में बंद हार्डकोर बदमाश ने अफीम मंगवाई थी। जिसे खुर्द-बुर्द करने को लेकर उपजे विवाद में कुड़ी भगतासनी थाना क्षेत्र में दो व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी। जेल से बंदी ने निजी बसों को आग के हवाले करवा दिया था।

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डोडा पोस्त तस्कर से मिला सूक्ष्म मोबाइल
18 अगस्त : जेल में आकस्मिक तलाशी के दौरान वार्ड-6 के बैरिक-1 में लावारिस हालत में एक स्मार्ट मोबाइल व सिम जब्त की गई। वहीं, एक क्विंटल डोडा पोस्त तस्करी में बंद मांगीलाल बिश्नोई की तलाशी लेने पर एक की-पेड मोबाइल जब्त किया गया था। मांगीलाल के पास मात्र दो इंच का मोबाइल मिला था।
19 अगस्त : जेल प्रशासन ने जेल के वार्ड-6 में बैरिक-3 की तलाशी ली, जहां बंदी विक्रम बिश्नोई के पास कम्बल के नीचे छुपा मिनी की-पेड मोबाइल जब्त किया गया था।


छुपाने व उपयोग में लेने में आसानी
जेल में मोबाइल रखना राजस्थान कारागार अधिनियम 2015 के तहत निषेध है। ऐसे में सूक्ष्म यानि माइक्रो आकार वाले मोबाइल जेल के भीतर आसानी से ले जाए जा सकते हैं। सूक्ष्म या माइक्रो मोबाइल को बंदी आसानी से बैरिक में बिस्तर या जमीन में गाड़कर छुपा लेते हैं। जेल में सीसीटीवी कैमरों से मॉनिटरिंग की जा रही है। बंदी कैमरों में पकड़े जाने से बचने के लिए भी इन मोबाइल का उपयोग करते है।


'हाल ही में तलाशी अभियान में काफी सूक्ष्म आकार के मोबाइल जब्त किए गए हैं। जो सबसे छोटी अंगुली से भी छोटे आकार में हैं। इनसे कैसे बात होती है, समझ से परे है।'
राजपालसिंह, अधीक्षक, जोधपुर सेन्ट्रल जेल

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