>>: Rajasthan: 2 साल पहले ग्रेजुएट किसान ने लगाया बगीचा, अब हो गया मालामाल, जानिए कैसे?

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करौली/श्रीमहावीरजी. क्षेत्र में कई किसान परंपरागत की जगह बागबानी खेती की ओर रुझान दिखा रहे हैं। कैमला निवासी प्रगतिशील ग्रेजुएट किसान गोविंद मीना बागवानी खेती की ओर उन्मुख हुआ है। जिसने अपने खेत में करीब 2 साल पहले किन्नू का बगीचा लगाया था। जिसमें अब फल लगना शुरू हो गया है। किन्नू के बगीचे के लिए यहां की जलवायु, पानी की उपलब्धता काफी उपयुक्त है। पहले करीब 200 पौधे लगाए गए थे, जो अगली साल तक पैदावार देने लगेंगे। दो साल से लगातार मौसम में बदलाव होने से पैदावार प्रभावित हुई है। किसान अपने खेत में पेड़ों के बीच दूसरी फसलें भी ले रहे हैं। किन्नू की ज्यादा सार-संभाल नहीं करनी पड़ती।

 

पंजाब से मंगवाए पौधे गोविंद मीना ने बताया कि बागबानी में अन्य परम्परागत खेती से अच्छा मुनाफा मिल जाता है। वर्तमान समय में परंपरागत खेती में अधिक खर्च के चलते मुनाफा लगातार कम हो रहा है। इसलिए बागबानी में लाभ अधिक है। ऐसे में उसने पंजाब से किन्नू के 200 पौधे लाकर 2 बीघा खेत में लगाए। किसान ने खेत में देशी खाद, ड्रिप सिस्टम से सिंचाई आदि कार्य किए हैं।

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दो साल बाद जब पौधा 4 वर्ष का होगा तब एक पौधे से करीब 3 से 4 क्विंटल फल का उत्पादन होगा। ऐसे में 200 पेड़ों से करीब 10 लाख रुपए से अधिक आय होने की उम्मीद है। खेती को बिजनेस की तर्ज पर किया विकसित किसान गोविंद मीणा ने बताया कि सामान्य तौर पर किसान खेती को साधारण तरीके से करते हैं, लेकिन यदि खेती को बिजनेस की तर्ज पर विकसित किया जाए तो यह काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।

उन्नत तरीके से खेती करने में ही फायदा मिलता है। करौली जिले में अमरूद, संतरा, पपीता आदि के बाद अब किन्नू की खेती भी फायदेमंद साबित हो रही है। मिलता है दोहरा लाभ किसान ने बताया कि क्षेत्र में पानी की कमी है। ऐसे में सिंचाई के लिए ड्रिप संयंत्र बहुत उपयोगी है। ड्रिप संयंत्र से बूंद बूंद में बेहतर ङ्क्षसचाई हो जाती है। पानी की बर्बादी नहीं होती। खास बात ये है कि किन्नू का बगीचा लगाने के साथ ही पेड़ों के बीच की भूमि में बाजरा, सरसों, चना, गेंहू आदि की खेती भी हो जाती है। ऐसे दोहरा लाभ मिलता है।

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बागवानी खेती के लिए जिले की मिट्टी और तापमान उपयुक्त है। इसमें अच्छी कमाई भी की जा सकती है। किसान फलदार पौधे लगाकर बगीचे विकसित कर सकते हैं।
बीड़ी शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, करौली।

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