>>: आ​खिर जिले के इस तालाब में क्यों मर रही है मछलियां ? जानें पूरा मामला...

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उदयपुर. रुण्डेडा तालाब के बीचों-बीच बनी कच्ची नहर से लगातार तालाब का पानी खाली होने से क्षेत्रवासियों ने रोष जताया हैं। वहीं जलीय जीव जंतु व मछलियां मर रही है। पानी की कमी के चलते प्रवासी पक्षियों ने भी यहां आना बंद कर दिया।

सिंचाई विभाग की बनी नहर तालाब के अंदर से होकर गुजरती है। नहर कच्ची होने के कारण तालाब का पानी नहर में होकर सिंचाई के लिए खेतों में जाता था। जबकि उस नहर में पहले से ही सरजना बांध का पानी आता है। इस नहर को पक्की करने को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया गया, लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण आज वह सुधर नहीं पाई। नतीजा सरजना बांध के अलावा रूण्डेडा तालाब का भी पानी इस नहर में जाने से यह लगातार सूखता जा रहा है। तालाब में पानी कम होने से लगातार कई बड़ी मछलियों की मौत हो रही है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। रुण्डेड़ा तालाब में सर्दी की शुरूआत के साथ ही, मेहमान परिंदों का आना शुरु हो जाता है। यहां बडी तादाद में मेहमान परिंदों को देखा जाता है, लेकिन, सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण हर वर्ष यह तालाब खाली हो रहा है, जिससे कई मछलियों की मौत रही है।

मत्स्याखेट पर लगा रखा है प्रतिबंध
रुण्डेड़ा तालाब में ग्रामीणों ने मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगा रखा है। पक्षी प्रेमी व ग्रामवासियों द्वारा पूरा ध्यान ध्यान रखा जाता है कि कोई भी पक्षियों या मछलियों का शिकार न करे। ग्रामीणों ने दो बार तो यहां पर शिकारियों को पकड़कर पुलिस को सौंपा।

इन पक्षियों का लगा रहता है डेरा
रुण्डेड़ा तालाब पर हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर देशी-विदेशी पेलिकन, रेड नेप्ड आइबिस, ग्लौसी आइबिस, कॉमन पोचार्ड, हेरोन, सारस, पेंटेड स्टोर्क, वॉली नेक्ड स्टार्क, रडी शेल डक, कोर्मोरेंट, गूज, ग्रेड कस्टर्ड ग्रैब आदि पक्षियों की बड़ी तादाद में अठखेलियां करते हुए नजर आते है।

मछलियों की मौत पर ग्रामीणों में रोष
ग्रामीणों ने बताया कि दो साल से अधिक समय से गांव के निवासियों ने सिंचाई विभाग को नहर की स्थिति के बारे में जानकारी दी। लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया। अधिकारियों ने हर बार सिर्फ मौका मुआयना किया। कहा कि अभी नहर चल रही है, नहर बंद होने के बाद नहर को पक्की बना दिया जाएगा, लेकिन कुछ नहीं किया गया।

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