Jaipur आमेर वॉच टॉवर (Amer mahal watch tower accident) की पहाड़ी पर रविवार रात गिरी बिजली ने कई चिराग बुझा दिए। इसमें 11 लोगों की मौत हुई और 11 लोग एसएमएस (SMS Hospital) में अभी इलाज ले रहे हैं। यहां भर्ती मरीजों को अपनी कई चोट से ज्यादा उस लम्हे की तकलीफ है, जब उन्होंने अपने दोस्तों को खो दिया। फिलहाल सभी सदमे में है। एक-दो के अलावा ज्यादातर अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं। बिजली गिरने की बात पर ही अब तक उनके शरीर कांप रहे हैं। वो उस लम्हे जो डर महसूस किया, मौत का सामना किया, उससे अब तक डर रहे हैं। 20 से 25 साल के ये युवा मानसून की इस बारिश में दोस्तों के साथ घूमने पहुंचे थे कि एक पल में इनकी हंसी, डर में बदल गई। कुछ मौत के मुंह में चले गए, कुछ बेहोश हुए तो कुछ होश में रहकर भी इतने सदमे में हैं कि कुछ बताने में भी उनके होंठ लरज रहे हैं।
एग्जाम देने आई थी, पहुंची अस्पताल
सवाईमाधोपुर निवासी 21 साल की कोमल रविवार सुबह ही जयपुर आई थी। सोमवार सुबह 8 बजे उसका बैंकिंग का एग्जाम था। जूनियर एसोसिएट पद का यह एग्जाम देने के लिए आई कोमल आमेर में अपने ननिहाल के घर में थी। मौसम अच्छा देख पास ही की एक सहेली ने पहाड़ी तक जाने को कहा। दोनों पहाड़ी के नीचे ही थी कि अचानक धमाका हुआ। कोमल वहीं बेहोश हो गई, वो कहती है कि अब तक समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या हुआ था? उसे यह भी समझ नहीं आ रहा कि अपना एग्जाम ना दे पाने का दुख होना चाहिए या जिंदा होने की खुशी।
जिसने दोस्तों को इकट्ठा किया, वही नहीं रहा
एसएमएस के ट्रोमा सेंटर में भर्ती इजहार अली अब भी सदमे में है। वो कहते हैं कि मौत बिलकुल सामने थी। शाकिब ने दोस्तों को बुलाया था, कि अच्छे मौसम में दोस्त साथ होंगे तो मजा आएगा। हम पांच वहां पहुंचे ही थे कि बिजली गिर गई। शाकिब की वहीं मौत हो गई। बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचे। होश आया तो पता चला कि सोनू यानी साकिब अब नहीं है।
6 लोगों की मौत देखी
27 साल के घाटगेट निवासी शरीफ के गर्दन और कंधे पर घाव है। वो याद कर बताता है कि हम (Amer mahal watch tower) में बारिश में भीग रहे थे। अचानक आंखों के आगे एक रोशनी आई और मैं बेहोश हो गया। कुछ देर में होश भी आया, लेकिन दूसरी बार फिर बिजली गिरी। वहां धमाके से लोगों की मौत हुई। हमारे सामने ही छह लोग वहां मर चुके थे। चीखने-चिल्लाने की आवाजें और बिजली गिरने की आवाजें अंदर तक हिला रही थीं।
होश आया तो पता चला जिंदा हैं...
19 साल के इश्तियाक बताते हैं कि बारिश शुरू हुई, तब तक घर ही थे। दोस्तों ने जाने को कहा तो हम पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए। वहां ऐसे मौसम में अक्सर जाते रहे हैं। पता ना था कि इस बार बिजली यों गिरेगी। एक धमाके के बाद मैं बेहोश हो गया। होश आया तो हैरान था कि इतने बड़े धमाके के बाद भी बच गया। उसके बाद एम्बुलेंस आ गई थीं और हमें एसएमएस ले आई।
अब भी नहीं बता पा रहा कि क्या हुआ था?
बिजली गिरने से घायल हुए विश्वजीत की बहर संतोषी कहती हैं कि इसकी हालत ठीक नहीं। उपरी तौर पर कोई बड़ी चोट नहीं आई है, लेकिन वो आंख खोलता है और बंद कर लेता है। सीटी स्कैन सहित कई जांच हो चुकी, डॉक्टर ने कहा सदमे में है। वो बताती है कि अपने चार दोस्तों के साथ विश्वजीत दोपहर 2 बजे घर से निकला था, किसी को नहीं पता था कि वो कहा गया। रात नौ बजे फोन किया तो उसका फोन स्विच ऑफ था। फेसबुक पर उसके कुछ दोस्तों को पता चला कि यह हादसा हो गया है तो हमें जानकारी मिली और एसएमएस पहुंचे। विश्वजीत के दो दोस्तों राजादास और अवीनिश की मौत इस हादसे में हो चुकी है।