>>Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment! |
स्वार्थपूर्ति के लिए मनमानी बर्दाश्त नहीं Thursday 04 April 2024 08:42 PM UTC+00 | Tags: special टिप्पणी - सुरेंद्र सिंह राव विकास तो हो लेकिन इसके बदले न तो पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलनी चाहिए और न ही पहाड़ों पर बुलडोजर चलने चाहिए। रही बात जंगलों की तो, आज वहां क्या हालात हैं यह किसी से छिपा नहीं है। पूर्व में वनों के चलते पर्यावरण अनुकूल रहता था, लेकिन वनों का विनाश क्या हुआ मौसम तंत्र एक तरह से गड़बड़ा गया। किसी समय वन्य जीवों के लिए जंगल मुफीद थे। जहां इन्हें भोजन-पानी सहजता से उपलब्ध हो जाता था, लेकिन मनुष्य इसकी टेरेटरी में घुसपैठ करते चले गए तो स्वाभाविक है कि इन्होंने बस्तियों की ओर रुख कर लिया। वर्तमान में बस्तियों में वन्यजीवों के हमलों की जो घटनाएं हो रही हैं, उसका जिम्मेदार कुछ हद तक मनुष्य ही है। अगर जंगल का सफाया कर दिया जाएगा और भोजन-पानी नहीं मिलेगा तो भूख से व्याकुल वन्य जीव कहां जाएंगे? पिछले वर्षों से पैंथर का मूवमेंट बस्तियों, यहां तक कि घरों की ओर बढ़ा है। जंगल में शिकार नहीं है तो जल स्रोत भी सूखे पड़े हैं। वनों में आधिपत्य की मनुष्य की यह मनमानी नहीं है तो और क्या है ? क्यों किसी के आश्रय स्थलों पर गिद्ध दृष्टि डालकर उन्हें वहां से जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। विकास के नाम पर वनों का विनाश किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। जिम्मेदारों को अब कुंभकर्णी नींद से जागना होगा और वन्य जीवों के हित में अगर वे कोई पहल करते हैं तो इससे बड़ा नेक कार्य कोई दूसरा नहीं हो सकता है।स्वार्थपूर्ति के लिए किसी प्रकार की मनमानी नहीं होनी चाहिए। कागजी फरमानों के सहारे आखिर कब तक वन्यजीवों की जिंदगी से खिलवाड़ होता रहेगा। ऐसे ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे वन्य जीवों को अपना आश्रय छोड़ कर भटकना न पड़े। बहरहाल बस्तियों में वन्यजीवों के घुसने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदारों को भी मुस्तैदी दिखानी होगी। तंत्र को भी ऐसे घटनाक्रमों की रोकथाम के लिए कागजी कार्रवाई के बजाय सख्ती दिखानी होगी, ताकि वन्य जीवों के हमले में किसी की जान न चली जाए। surendra.rao@in.patrika.com Tags:
|
| You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription. |
