>>: Success Story : राजस्थान के ‘व्यंकटेश’ का एक-दो नहीं बल्कि 5 बार हुआ अध्यापक की नौकरी में चयन, परिवार में जश्न का माहौल

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success story : पेपर लीक की घटनाओं ने राज्य के लाखों युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया तो कई आरोपी बन सरकारी मेहमान बने है। इससे कई दूर गुरुकुल से शिक्षा लेकर निकले पच्चीस वर्षीय एकलव्य दूनी कस्बा निवासी व्यंकटेश कुमार भारद्वाज ने आर्थिक तंगी से जुझते मंदिर में पुजारी का कार्य कर रहे पिता मुकुन्द भारद्वाज व मां मीनाक्षी के सपनों को साकार करने को दिन-रात प्रयास कर शिक्षा के बलबूते पांच बार अध्यापक की नौकरी प्राप्त कर परिवार व कस्बे का नाम रोशन किया। इससे पहले बड़े भाई रमण भारद्वाज का प्रथम प्रयास में अध्यापक पद चयन हुआ है। वही आर्थिक तंगी के चलते छोटी बहन वैदीका भी भाईयों के नक्शे-कदम पर चल बिना कोचिंग ज्वाइन किए घर पर ही पढ़ाई कर नौकरी में चयन की तैयारी में जुटी है।

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कस्बे में हुई प्राथमिक शिक्षा
व्यंकटेश ने प्राथमिक से उच्च प्राथमिक शिक्षा कस्बे में ही कर गुरुकुल निम्बाकाचार्य पीठ, निम्बार्कतीर्थ सलेमाबाद, अजमेर में कक्षा 9 वीं से बीए (शास्त्री) कर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर से बीएड (शिक्षा शास्त्री) व एमए (आचार्य) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद व्यंकटेश नोकरी पाने को आवेदन कर तैयारी में जुट गया ओर कोचिंग संस्थान में जाने के बजाय घर में ही तैयारी शुरू कर दी। आखिरकार मेहनत का नए वर्ष 2024 में परिणाम आने पर माता-पिता व परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। व्यंकटेश को पहला ज्वाइनिंग पत्र स्कूल व्याख्याता, सामान्य शिक्षा विभाग, रेंक-27, दूसरा स्कूल व्याख्याता, संस्कृत शिक्षा विभाग रेंक-6, तीसरा वरिष्ठ अध्यापक सामान्य शिक्षा विभाग रेंक-173, चौथा वरिष्ठ अध्यापक संस्कृत शिक्षा विभाग व पांचवा तृतीय श्रेणी अध्यापक सामान्य शिक्षा विभाग पद पर चयन हुआ। व्यंकटेश वर्तमान में सामान्य शिक्षा विभाग में सतवास जिला डीग में श्रीरामसिंह राउमावि में व्याख्याता पद पर सेवाएं दे रहा है। वही व्यंकटेश अब कॉलेज व्याख्याता में चयन को लेकर जुटा हुआ है।

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सेवा पुजा से चल रहा था परिवार का गुजारा
व्यंकटेश के पिता मुकुन्द भारद्वाज करीब बीस वर्ष से सरोली मोड़ स्थित बालक बालाजी व बीसलपुर परियोजना कार्यालय के राम दरबार मंदिर में भगवान सेवा-पुजा कर अपने पांच सदस्यी परिवार का गुजारा चला रहे थे। साथ ही उसी सेवा पुजा के सहारें तीन पुत्र-पुत्रियों का शिक्षा का खर्च वहन भी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी के चलते कभी तैयारी करने को दोनो पुत्रों को शहर में कोचिंग करने नहीं भेजा। वही पुत्री वैदीका भारद्वाज भी बीएड व एमए की शिक्षा ग्रहणकर घर पर ही पढ़ाई कर नौकरी की तैयारी में जुटी हुई है।

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