>>: नोख क्षेत्र से जुड़े नेशनल हाइवे सहित पांच स्थानों पर लगे 25 कैमरे बने शो-पीस

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नोख. संदिग्ध गतिविधि के साथ अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरे मुख्य हथियार माने जाते है, लेकिन जब ये कैमरे खराब होकर खिलौने बन जाए, तो अपराधियों के हौसले बुलंद होना लाजमी है। ऐसा ही कुछ मामला हैै जैैसलमेर, जोधपुर व बीकानेर तीन जिलों की त्रिवेणी पर स्थित नोख गांव का। यहां पुलिस की तीसरी नजर को 'रतौंधीÓ हो चुकी है। बिना बिजली के बैकअप व कैमरों के आसपास रोशनीी के अभाव में गांव में 25 जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से खिलौने व शो-पीस बने हुए हैै। गौरतलब है कि नोख ग्राम पंचायत की ओर से दो वर्ष पूर्व पांच लाख रुपए की धनराशि खर्च कर गांव में पांच जगहों पर 25 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन आज भी ये कैमरे विद्युत आपूर्ति पर ही निर्भर है। बिजली गुल होते ही कैमरे बंद हो जाते है। इसके साथ रोशनी की व्यवस्था नहीं होने के कारण रात के समय इन कैमरों का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। जिससे खर्च की गई धनराशि का भी कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
लाखों खर्च, नतीजा सिफर
नोख गांव तीन जिलों की त्रिवेणी क्षेत्र का मुख्य केंद्र बिंदु है। नोख से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 911 भी निकलता है। इसके अलावा नोख सोलर हब के रूप में विकसित हो रहा है। ऐसे में नोख क्षेत्र में चोरियों, अपराध की रोकथाम के लिए यहां पर ग्राम पंचायत की ओर से करीब पांच लाख रुपए की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन इनका वर्तमान में पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र में होने वाले अपराधों में ये कैमरे कोई सहायक सिद्ध नहीं हो रहे है। ऐसे में लाखों खर्च करने के बाद भी नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है तथा धनराशि का भी दुरुपयोग हो रहा है।
5 जगह, 25 कैमरे, सभी को रतौंधी
ग्राम पंचायत की ओर से गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग, देवबन बाबा की मड़ी, शिव मंदिर, मुख्य बाजार व राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के मुख्य द्वार कुल पांच जगहों पर 25 कैमरे लगाए गए थे। ये कैमरे विद्युत आपूर्ति के दौरान कार्य करते है। बिजली गुल होने के साथ कैमरे बंद हो जाते है। इसके अलावा जिन जगहों पर ये कैमरे लगाए गए है, उन जगहों पर रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण रात के समय ये कैमरे कोई उपयोग के नहीं है।
न चेहरा नजर आता है, न ही गाड़ी के नंबर
ग्राम पंचायत की ओर से अत्याधुनिक सुविधा के लिए पांच लाख रुपए खर्च किए गए, लेकिन बैटरी बैकअप व रोशनी के लिए लाइट की सुविधा नहीं करने से इनका पूरा फायदा नहीं मिल रहा है। रात्रि के अंधेरे में इन कैमरों में कुछ भी साफ नजर नहीं आता है। हालात ऐसे है कि इन कैमरों से न तो आने जाने वालों के चेहरे नजर आते है और न ही इनके आगे से गुजरने वाली गाडिय़ों के नंबर दिख पाते है। ऐसे में लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी इनका पूरा फायदा नहीं मिल रहा है।

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