अकबरपुर (अलवर). राजस्थान के अलवर जिला स्थित सरिस्का अभयारण्य में राजमाता के नाम से विख्यात सबसे उम्रदराज बाघिन एसटी-2 ने मंगलवार को सरिस्का टाइगर रिजर्व से हमेशा के लिए विदाई ले ली। इस बाघिन ने 19 साल तक राज किया। पहले सवाईमाधोपुर स्थित रणथम्भौर को आबाद किया तो फिर सरिस्का में अपना कुनबा बढ़ाया। उसने दोपहर बाद दम तोड़ दिया।
यह बाघिन लंबे समय से बीमार होने के कारण एनक्लोजर में थी। इसे वर्ष 2008 में सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर उद्यान से यहां सरिस्का लाया गया था। सबसे अधिक उम्र की बाघिन होने के कारण सरिस्का में यह राजमाता के नाम से चर्चित थी। सरिस्का को बाघों से खुशहाल करने में इस बाघिन की बड़ी भूमिका रही।
सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि बाघिन एसटी-2 का उम्रदराज होने के कारण नया पानी करणाबास एनक्लोजर में उपचार किया जा रहा था। बाघिन एसटी-2 की पूंछ में घाव होने के कारण राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए की ओर से जारी एसओपी के अनुरूप मुख्य वन संरक्षक सरिस्का की ओर से गठित अधिकारियों एवं चिकित्सकों की कमेटी की निगरानी में उपचार किया जा रहा था।
बाघों का बढ़ाया कुनबा :
बाघिन एसटी-2 ने सरिस्का में बाघों का कुनबा भी खूब बढ़ाया। इस बाघिन ने सरिस्का में बाघिन एसटी-7, बाघिन एसटी-8, बाघ एसटी-13, बाघिन एसटी-14 को जन्म दिया। हालांकि बाघिन एसटी 7 व 8 की कोई संतान नहीं हुई, लेकिन बाघिन एसटी-14 ने सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाया। वहीं, बाघ एसटी-13 वर्तमान में लापता है, लेकिन इस बाघ की सरिस्का को बाघों से खुशहाल करने में बड़ी भूमिका रही है।
दोपहर से नहीं दिखा मूवमेंट
बाघिन एसटी-2 मंगलवार दोपहर से ही एक ही स्थान बैठी हुई थी। मॉनिटङ्क्षरग टीम की ओर से बाघिन शाम करीब 5 बजे बाघिन एसटी-2 का कोई मूवमेंट नहीं दिखने की सूचना दी गई। बाद में मॉनिटङ्क्षरग टीम एवं स्टाफ के एनक्लोजर के अंदर जाकर बाघिन का परीक्षण करने पर उसे मृत पाया। बाघिन की उम्र 19 साल से ज्यादा थी और सरिस्का की सबसे ज्यादा उम्र की बाघिन थी। इस बाघिन को 4 जुलाई 2008 को रणथंभौर से लाकर सरिस्का में पुनर्वासित कराया गया था।
पोस्टमार्टम आज:
बाघिन एसटी-2 का पोस्टमार्टम बुधवार को चिकित्सकों की टीम की ओर से सरिस्का एवं प्रशासन के अधिकारियों की निगरानी में किया जाएगा। सरिस्का की उम्रदराज बाघिन की मौत पर वन्यजीव प्रेमियों ने दुख जताया है।
रणथम्भौर से आए पहले बाघ नहीं रहे :
देश में बाघों का पहला पुनर्वास सरिस्का में रणथम्भौर से बाघों को लाकर किया गया। रणथम्भौर से सरिस्का आए बाघ एसटी-1 की पहले जहर देने से मौत हो चुकी है। वहीं, बाघिन एसटी-3 की मौत भी ज्यादा उम्र होने के कारण पिछले साल हुई थी। वहीं बाघिन एसटी-2 की मौत लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को हुई। इसके अलावा बाघ एसटी-4 की मौत पूर्व में एनक्लोजर में बीमारी के चलते हुई। बाघिन एसटी-5 लंबे समय तक लापता रही। बाद में उसकी शिकार से मौत होने का खुलासा हुआ। बाघ एसटी-6 की मौत भी उम्रदराज होने तथा बीमारी के कारण हुई।