देश की आजादी से पहले स्थापित कस्बे के रेलवे स्टेशन पर विभाग की ओर से गत कुछ माह पूर्व विकास कार्य करवाए गए। जिसके अंतर्गत प्लेटफार्म संख्या 1 का विस्तार कर अधिकारियों के नए कक्षों का निर्माण किया गया। जबकि प्लेटफार्म संख्या 2 के विस्तार व उद्धार को लेकर अधिकारी मौन साधे हुए है। जिसके कारण आए दिन दो रेलों के आगमन के दौरान यात्रियों को परेशानी हो रही है। साथ ही हादसे की भी आशंका बनी रहती है। गौरतलब है कि वर्ष 1938 में पोकरण में रेलवे स्टेशन की स्थापना की गई थी और पोकरण ही जोधपुर मंडल का आखिरी स्टेशन हुआ करता था। इसके बाद समय-समय पर पोकरण स्टेशन पर विकास कार्य करवाए गए। गत कुछ माह पूर्व पोकरण स्टेशन को आधुनिक करते हुए स्टेशन मास्टर सहित अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के कक्षों के साथ अन्य कक्षों एवं भवनों का निर्माण करवाया गया। साथ ही प्लेटफार्म संख्या 1 का विस्तार किया गया।
प्लेटफार्म संख्या 1 को किया विस्तार
पोकरण के रेलवे स्टेशन पर 2 प्लेटफार्म स्थित है। प्लेटफार्म संख्या 1 पर छाया के लिए शेड, बैठने के लिए बैंचें लगी हुई है। साथ ही गत दिनों विस्तार कार्य के दौरान इसे बढ़ाया गया है, ताकि रेल के आने के बाद इंजिन को वापिस घूमने में कम समय लग सके। यही नहीं यात्रियों की सुविधा को लेकर यहां अन्य कार्य भी करवाए गए है।
उपेक्षा का शिकार प्लेटफार्म संख्या 2
- रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म संख्या 2 स्थित है, जो वर्षों से उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
- यहां फर्श का निर्माण नहीं करवाए जाने के कारण कंकरीट बिखरी पड़ी है। जिससे यात्रियों का खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है।
- छाया के लिए शेड, पेड़ पौधों और बैठने के लिए बैंचों आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे धूप, बारिश केे दौरान भी यात्रियों को खुले में खड़ा रहना पड़ता है।
- प्लेटफार्म संख्या 2 तक आवागमन के लिए पुल भी नहीं बना हुआ है। जिससे यात्रियों को पटरियों के ऊपर से ही गुजरना पड़ता है।
- ऊंचे प्लेटफार्म पर नीचे उतरने, रेल में सवार यात्रियों के दूसरी तरफ से नीचे उतरने केे दौरान अधिक ऊंचाई के कारण हादसे की भी आशंका बनी हुई है।
- कई बार पटरी संख्या 1 व 2 पर रेल खड़ी होने पर तीसरी रेल को 3 नंबर पटरी पर ले जाया जाता है। 2 पटरियों पर खड़ी रेलों के बीच से होकर प्लेटफार्म संख्या 2 पर पहुंच पाना भी संभव नहीं हो पाता है।
- इस प्लेटफार्म पर रेल के आने के दौरान विशेष रूप से वृद्धजनों, महिलाओं, छोटे बच्चों को आवागमन और रेल में चढऩे उतरने के दौरान परेशानी होती है।
- इस प्लेटफार्म पर शौचालय व भीषण गर्मी के मौसम में पानी की भी कोई सुविधा नहीं है। जिससे रेल के इंतजार में खड़े यात्रियों का बेहाल हो जाता है।
- रात के समय इस प्लेटफार्म पर रोशनी की भी व्यवस्था नहीं है। जिससे किसी यात्री के गिर जाने से बड़े हादसे की भी आशंका बनी रहती है।
महत्वपूर्ण है पोकरण स्टेशन
आजादी से पूर्व अंग्रेजों के जमाने में पोकरण में स्थापित किया गया रेलवे स्टेशन ऐतिहासिक, धार्मिक व सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है। पोकरण के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते है, जो सुविधाजनक सफर के कारण रेल से यात्रा करते है। लोकदेवता बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ महाराज का आश्रम भी पोकरण में स्थित होने के कारण रामदेवरा आने वाले अधिकांश श्रद्धालु पोकरण अवश्य आते है। इसी प्रकार पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में वर्षभर सेना का युद्धाभ्यास चलता है। साथ ही पोकरण में सेना व बीएसएफ की स्थायी छावनियां भी है। सेना व बीएसएफ के जवान भी रेल से यात्रा करते है। ऐसे में सामरिक रूप से भी पोकरण का रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण है। जिससे प्रतिदिन यहां से गुजरने वाली रेलों में भीड़ नजर आती है।
लंबे समय से कर रहे है मांग
रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं के विस्तार, प्लेटफार्म संख्या 2 पर जनसुविधाओं की व्यवस्था, लंबी दूरी की रेलों को पोकरण से जोडऩे के साथ अन्य मांगे लंबे समय से की जा रही है। विभाग के अधिकारी व जनप्रतिनिधि इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। जिससे यात्री परेशान है।
- विरेन्द्र मेवाड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता, पोकरण
कब होगा उद्धार
सबसे पुराने रेलवे स्टेशन होने के बावजूद यहां सुविधाओं की कमी है। प्लेटफार्म संख्या 2 पर छाया, पानी, बैठने, शौचालय आदि की कोई सुविधा नहीं है। जिससे यात्रियों को परेशानी होती है। लंबे समय से प्लेटफार्म के उद्धार का इंतजार बना हुआ है।
- गौरीशंकर जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता, पोकरण