जयकुमार भाटी/जोधपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के कौशल एवं समग्र विकास के साथ समझने की शक्ति को बढ़ाने के लिए लर्निंग मेथडोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। इस नवाचार के तहत पहले शिक्षकों को एक वर्कशॉप के माध्यम से सिखाया जा रहा हैं। विभिन्न विषयों के टॉपिक के अनुसार शिक्षकों के लिए आर्ट इंटीग्रेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। ताकि विद्यार्थियों को उस विषय को अच्छे से समझा सके, जिससे विषय से संबंधित सभी जानकारी उन्हें याद रहे।
आर्ट वर्कशॉप में डांस, अ भिनय कर सीख रहे शिक्षक
सीबीएसई की प्रारंभिक से पांचवी और छठी से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए यह आर्ट वर्कशॉप आयोजित हो रही हैं। शिक्षकों के लिए आयोजित आर्ट वर्कशॉप को दो भागों में बांटा गया हैं। जिसमें एक प्रदर्शन कला है और दूसरी दृश्य कलाएं हैं। ऐसे में शिक्षकों को नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, अभिनय, गायन और नृत्य जैसी प्रदर्शन कलाओं से बच्चों को पाठ पढ़ाने के बाद सिखाने का तरीका बताया गया है। वहीं दृश्य कला में पेंटिंग, मूर्तिकला, ग्राफिक्स, ड्राइंग और वास्तुकला, संगीत, कविता, फिल्म, फोटोग्राफी, वैचारिक कला और प्रिंटमेकिंग से दृश्य दिखाकर सिखाने की जानकारी दी गई। ऐसे में शिक्षकों को यह बताया गया कि बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी, ग णित, विज्ञान सहित अन्य विषयों के पाठ पढ़ाने के बाद उन्हें उसी पाठ को प्रदर्शन कला व दृश्य कला के माध्यम से करके सिखाया जाए, जिससे बच्चे उसे आसानी से याद रख सकें। वहीं वर्कशॉप में शिक्षकों ने खुद डांस, गायन, नुक्कड़ नाटक व ड्रामा करके सीखा हैं। ताकि बच्चों को पढ़ाने के साथ उन्हें इन गतिवि धियों से सिखाने में आसानी रहें।
लंबे समय तक याद रखने में सहायक
आर्ट इंटीग्रेशन वर्कशॉप का मकसद शिक्षकों के माध्यम से छात्रों को किताबों के ज्ञान के अलावा विविध ज्ञान और अनुभव प्रदान कराना है। इससे छात्र कई चीजों को लंबे समय तक याद रख सकते हैं। यह शिक्षण पद्धति बच्चों को नए अनुभवों की तलाश करने, सीखने में रूचि पैदा करने, उनकी शब्दावली को मजबूत करने और नई किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे छात्रों में आत्मविश्वास का निर्माण होता है और वे कहीं पर भी खुद को साबित कर सकते हैं कि वे कितने काबिल हैं। -बृजेश शर्मा, रिसोर्स पर्सन, सीबीएसई