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प्रधानमंत्री की इच्छा शक्ति पर निर्भर हैं राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता Monday 08 January 2024 02:49 PM UTC+00 जोधपुर। केंद्रीय साहित्य अकादमी की और से राजस्थानी काव्य-कृति 'पळकती प्रीत' के लिए सर्वोच्च पुरस्कार कवि-आलोचक एवं जेएनवीयू के राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित को दिया जा रहा है। उन्होंने इस पुरस्कार को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बताया हैं। डॉ. राजपुरोहित ने अभी तक राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता न मिलने पर अपनी पीड़ा प्रकट करते हुए कहा कि प्रदेश के राजनेताओं की उदासीनता के कारण संवैधानिक मान्यता नहीं मिल सकी हैं। अब राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता का मामला देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा शक्ति पर निर्भर हैं, वे चाहे तो लोक सभा चुनाव से पहले प्रदेश के बारह करोड़ लोगों के सपने को साकार कर सकते हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार और राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता को लेकर डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने अपने विचार प्रकट किए है। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलेगी या नहीं पुरस्कृत कृति पळकती प्रीत का विषय क्या है |
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