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रिपोर्ट दर्ज करने तक सीमित रही साइबर थाना पुलिस, बीस फीसदी मामले भी नहीं खोले Tuesday 09 January 2024 03:34 PM UTC+00 करीब डेढ़ साल पहले नागौर जिले में खुला साइबर थाना सिर्फ रिपोर्ट दर्ज करने में लगा है। इस दौरान करीब दो दर्जन मामले थाने पहुंचे, लेकिन अधिकांश मामले अभी भी नहीं खुले हैं। साइबर क्राइम के बड़े मामले खोलने के लिए बनी साइबर थाना पुलिस छोटे-छोटे मामले तक भी नहीं खोल पा रही है। खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रेवंतराम डांगा को धमकी देने वाले के बजाय इस ऑडियो को वायरल करने वाले को पुलिस दबोचकर शाबाशी बटोरने में लगी है। धमकाने वाला मुख्य आरोपी अब तक साइबर थाना पुलिस के हाथ नहीं लग पाया है। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर 2022 से यह थाना काफी उम्मीदों से खुला था। आलम यह है कि फरियादी की रिपोर्ट बस दफ्तर-दाखिल हो पाती है। एक लाख अथवा उससे अधिक की ठगी समेत अन्य तरह के साइबर क्राइम के मामले केवल दफ्तर दाखिल होते रहे। ढींगसरा निवासी प्रहलादराम के साथ कई महीने पहले इसी तरह की वारदात हुई। एसबीआई कस्टमर केयर के रूप में किसी ने फोन किया, उसने प्रहलाद राम से कहा कि आपका एटीएम कार्ड इंटरनेशनल सेवा से जुड़ा हुआ है। इसका बारह महीनों का चार्ज करीब बारह हजार रुपए देना होगा। इसे बंद करना है तो एटीएम नंबर दें, प्रहलाद के मना करने पर उसे एनी डेस्क ऐप डाउनलोड कर बंद करने को कहा। प्रहलाद राम ने जैसे ही इसे डाउनलोड किया, उसके खाते से करीब एक लाख रुपए गायब हो गए। साइबर थाना पुलिस दस महीने बाद भी इसका पता नहीं लगा पाई है। ये मामले भी अब तक नहीं खुले मार्च-2023 में शादी में मदद करने के बहाने एक युवक के खाते से चार बार में एक लाख रुपए गायब कर शातिर ने ठगी कर ली। रोहिणी निवासी मोहनराम की शादी आठ मार्च को होनी थी, पांच मार्च को मदद के लिए रकम डालने का झांसा देकर ठग ने एक लाख रुपए ठग लिए। अब तक वारदात नहीं खुल पाई है। एक अन्य वारदात में भाकरोद निवासी ओमप्रकाश जाट के साथ साइबर की यह ठगी पिछले साल फरवरी को हुई। उसके खाते से एक लाख 19 हजार गायब हुए थे। अब तक वारदात नहीं खुली है। पिछले साल फरवरी में ही क्रेडिट कार्ड का इंश्योरेंस करने का झांसा देकर देऊ फांटा निवासी मुकेश सुथार के खाते से शातिर ठग ने एक लाख बारह हजार निकाल लिए, लेकिन साइबर थाना पुलिस ग्यारह महीने बाद भी वारदात का खुलासा नहीं कर पाई। यहां भी साइबर थाना पुलिस जीरो एक-दो मामले छोड़ दें तो साइबर थाना डेढ़ साल बाद भी बढ़ते साइबर क्राइम को रोक नहीं पा रहा। अलग-अलग तरह की एक लाख से कम वाली ठगी के दर्जनों मामले तो थाना पुलिस के पास हैं। आलम यह है कि जो गिने-चुने मामले साइबर थाना पुलिस के पास पहुंचे भी वो उन्हें ही खोलने में पूरी तरह फेल रही। थाने की कमान संभाल रहे अफसर अधिकांश जांच की बात कहकर टालते रहे हैं। यहांं के सीओ उम्मेद सिंह को भी करीब छह माह हो गए हैं। करीब एक साल पहले बीस जनवरी को खींवसर इलाके के नागड़ी निवासी श्याम लाल के एक लाख सात हजार तो कुचामन के मनीष जांगिड़ के एक लाख सात हजार शातिर ठग खाते से ले उड़े, साइबर थाना पुलिस आज तक ठग नहीं पकड़ पाई है। साइबर एक्सपर्ट या तो हैं ही नहीं और हैं तो फिर वारदातें खुल क्यों नहीं रही। ऐसे में यह कैसे खुलेगा चिताणी निवासी भूटाराम ने साइबर थाना पुलिस को हाल ही में रिपोर्ट देकर लॉटरी के नाम पर करीब 44 लाख की ऑनलाइन ठगी का हवाला दिया है। ठगों ने उसे लॉटरी खुलने का झांसा देकर रकम ली। कहने को तो साइबर थाना पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है, लेकिन मामला कब खुलेगा, कौन कह सकता है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगता है कि जब साइबर थाना पुलिस एक-दो लाख तक की ऑनलाइन ठगी का पर्दाफाश नहीं कर पा रही है तो बड़ी वारदात कैसे खोल पाएगी। जागरूक करने के नाम पर मजे की बात यह कि नब्बे फीसदी मामले में साइबर थाना पुलिस के हाथ खाली हैं। जागरूक करने के नाम पर दो-चार जगह अभियान चलाकर ड्यूटी पूरी की, जनता को जागरूक करने का काम भी कई महीनों से बंद है। हाल ही में दिसम्बर को पूरी हुई रिपोर्ट में अधिकांश मामले लम्बित पाए गए हैं। यहां खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रहे रेवंतराम डांगा को मोबाइल पर धमकी देने वाले मुख्य आरोपी का कोई सुराग चार दिन बाद भी नहीं लग पाया है। साइबर थाना पुलिस के क्रिया-कलाप पर साइबर सीओ उम्मेद सिंह से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। |
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