जयपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 82 वर्ष की उम्र में निधन ( Jaswant Singh Passes Away ) हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हवाले से आज सुबह जैसे ही इस बारे में पुष्टि हुई भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच शोक की लहर दौड़ गई।
जसवंत सिंह को भारत के रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री बनने का अवसर मिला। वे वाजपेयी सरकार में भारत के विदेश मंत्री बने, बाद में यशवंत सिन्हा की जगह उन्हें वित्तमंत्री बनाया गया। गौरतलब है कि इससे पहले उनके निधन की भ्रामक खबर सोशल मीडिया पर कई बार वायरल हुई, लेकिन उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह ने उनका खंडन करते हुए उनके स्वस्थ होने की जानकारी दी थी।
प्रधानमंत्री ने जसवंत सिंह के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह का निधन दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने उनके पुत्र मानवेंद्र सिंह से बात करके संवेदना व्यक्त करने का ज़िक्र भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जसवंत सिंह पिछले छह वर्षों से बीमारी से लड़ रहे थे जो उनके अपार साहस का परिचायक है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वे अपनी अलग तरह की राजनीति के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को बाड़मेर के जसोल में हुआ था। जसवंत सिंह भाजपा के टिकट पर पांच बार राज्यसभा (1980, 1986, 1998, 1999, 2004) और चार बार (1990, 1991, 1996, 2009) लोकसभा के लिए चुने गए। वे अटल बिहारी सरकार में मंत्री जसवंत सिंह रहे।
इसलिए रहे राजनीति के दिग्गज- एक नजर
- मई 16, 1996 से जून 1, 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रहे वित्त मंत्री
- 5 दिसम्बर 1998 से 1 जुलाई 2002 के दौरान वाजपेयी सरकार में रहे विदेश मंत्री
- वर्ष 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह एकबार फिर वित्तमंत्री बने और इस पद पर मई 2004 तक रहे।
- वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया। वे स्वयं को उदारवादी नेता मानते थे।
- 15वीं लोकसभा में दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए।
- 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी रहे। पंद्रह साल की उम्र में ही वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे।
- मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवास्ला के छात्र रह चुके हैं।
- 2001 में उन्हें "सर्वश्रेष्ठ सांसद" का सम्मान मिला।
- 19 अगस्त 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस में नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें उनके राजनीतिक दल भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और फिर वापस लिया गया।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के विरोध में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। इस बगावत के लिए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया।
September 27, 2020 at 09:41AM