नई सरकार से बंधी उम्मीदें, स्पिनफैड से अलग कर हनुमानगढ़ मिल को स्वतंत्र इकाई घोषित करने की कवायद पूरी
-वाहवाही लूटकर स्पिनिंग मिल का ताला खोलना भूल गई कांग्रेस सरकार
-सहकारी स्पिनिंग मिल के संचालन का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में कैद होने से बेरोजगारों में मायूसी
हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर स्थापित सहकारी स्पिनिंग मिल करीब आठ बरस से बंद है। राजनीति का शिकार हुई यह मिल कब चलेगी, इसे लेकर कोई सरकार सही स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है। ऐसे में इसके फिर से शुरू करने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में बंद है। स्थिति यह है कि जनवरी २०२३ में तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत जब हनुमानगढ़ दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भरी सभा में इस मिल के चलाने की घोषणा की थी। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने खूब वाहवाही भी बटोरी। लेकिन सिवाय वाहवाही बटोरने के तत्कालीन गहलोत सरकार ने किसी तरह का ठोस कदम उठाने से परहेज किया। घोषणा के बाद अपने बचे कार्यकाल में गहलोत सरकार मिल संचालन को लेकर ठोस निर्णय नहीं ले सकी। इस वजह से मिल पर लटका ताला खुल नहीं सका। इसमें धागे का उत्पादन शुरू नहीं हो सका। हालांकि इस मिल को स्पिनफैड फैडरेशन से अलग करके हनुमानगढ़ धागा मिल को स्वतंत्र इकाई घोषित करने का काम तत्कालीन गहलोत सरकार ने जरूर कर दिया। परंतु इसके बाद सरकार चुनावी तैयारी में जुट गई। इस तरह मिल संचालन का मामला अधरझूल में लटकता रहा। अब प्रदेश में भाजपा के भजनलाल नए मुख्यमंत्री बने हैं। प्रदेश की राजनीति में इन्हें अभी किसी भी पूर्वाग्रह से परे मान सकते हैं। इस स्थिति में स्थानीय जनप्रतिनिधि मिलकर यदि मिल मुद्दे को फिर से सरकार तक उचित तरीके से उठाएंगे तो निश्चित ही मिल का ताला खुलने की उम्मीद प्रबल हो सकती है। हजारों हाथों को रोजगार मिल सकता है। शहर की आर्थिक स्थिति को ऊंचाई मिल सकती है। इसके लिए सबको मिलजुल कर नए सिरे से प्रयास शुरू करने होंगे। तभी मिल में फिर से धागे का उत्पादन शुरू हो सकेगा।
बंद है हूटर, किसी सरकार में चलाने की नहीं हिम्मत
किसी वक्त स्पिनिंग मिल में लगा हूटर पूरे शहर को जगाता था। इसकी आवाज दिन में कई बार गूंजती थी। इसके आधार पर लोग समय का अनुमान भी लगाते थे। लेकिन करीब आठ बरसों से मिल पर ताला लटका होने से हूटर भी खामोश हुआ पड़ा है। किसी भी सरकार में इतना दम नहीं है कि वह इसे चला सके।
नहीं थी फैडरेशन की जरूरत
हनुमागढ़ व श्रीगंगानगर जिले में कपास उत्पादक किसानों व मजदूरों को खुशहाल करने के लक्ष्य के साथ धागा मिल की स्थापना की गई थी। वर्ष १९९२-९३ में हनुमानगढ़ स्पिनिंग मिल के खाते से गुलाबपुरा यूनिट को करीब आठ करोड़ रुपए देने के बाद सरकार ने यह राशि स्थानीय यूनिट को दिलाने को लेकर ठोस प्रयास नहीं किए। इसके अलावा तीन मिलों की फैडरेशन बनाने का नुकसान भी हनुमानगढ़ मिल का हुआ। सहकारिता से जुड़े जानकार कहते हैं कि जब यहां की मिल फायदे में चल रही थी तो फैडरेशन बनाने की जरूरत नहीं थी। श्रमिक संगठनों की मांग के बावजूद अब तक सरकारों ने फैडरेशन को तोडऩे की जहमत नहीं उठाई। सहकारिता के जानकार कहते हैं कि पूर्व की तरह यदि एमडी यहां बैठने लगे और शेयर होल्डरों को विश्वास में लेकर फायदा-नुकसान का मूल्यांकन स्थानीय स्तर पर होने लगे तो मिल चलाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। यह मिल सरकार के कुप्रबंधन के कारण ही बंद हुई है। सकारात्मक सोच के साथ इसका संचालन शुरू किया जाएगा तो निश्चित ही अच्छे परिणाम रहेंगे।
सबके लिए मददगार
इस मिल को वर्तमान सरकार चलाती है तो निश्चित तौर पर यह जिले के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही किसानों को भी कपास उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने में मददगार साबित होगी। किसी वक्त कपास पट्टी के नाम से क्षेत्र चर्चित रह चुका है। धागा उत्पादन के क्षेत्र में इस मिल का स्वर्णिम इतिहास रहा है। मिल को अब राजनीतिक निर्णय ही इस भंवरजाल से बाहर निकालेगी। हनुमानगढ़ के धागा मिल के बंद होने की कहानी जिस तरह से लिखी गई थी, उसी तरह से इसे फिर से चलाने को लेकर नए तरीके से सोचना होगा। तभी इसमें सफलता मिल सकेगी।
कब होगा श्रीगणेश
वर्ष २०१५ में भाजपा राज में सहकारी स्पिनिंग मिल को बंद करने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद यहां पर पब्लिक ने आगामी चुनाव में तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी डॉ. रामप्रताप को हरा दिया। वर्ष २०२३ के चुनाव से पहले कांग्रेस के सीएम अशोक गहलोत ने इसे चलाने की घोषणा को लेकर नई सियासी चाल चली। लेकिन घोषणा के बाद इसके संचालन को लेकर गहलोत सरकार ने ठोस प्रयास नहीं किया। विधानसभा चुनाव में पब्लिक ने कांग्रेस व भाजपा दोनों प्रत्याशियों को हराकर अब निर्दलीय प्रत्याशी गणेशराज को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब विधायक गणेशराज बंसल विधानसभा में मजबूती से स्पिनिंग मिल की आवाज को बुलंद करेंगे। यदि वह मिल का संचालन शुरू करवाते हैं तो निश्चित ही यह शहर के लिए बड़ी सौगात साबित होगी।
.....फैक्ट फाइल....
-वर्ष २०१५ में भाजपा राज में सहकारी स्पिनिंग मिल को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
-वर्ष १९९२-९३ में हनुमानगढ़ स्पिनिंग मिल के खाते से गुलाबपुरा यूनिट को करीब ०८ करोड़ रुपए देने का निर्णय तत्कालीन सरकार ने लिया था। जो हनुमानगढ़ की मिल को सरकार स्तर पर वापस नहीं लौटाया गया।
- २० जनवरी २०२३ में कांग्रेस के तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने हनुमानगढ़ में मिल को चलाने की घोषणा की थी।
- हनुमानगढ़ की धागा मिल से प्रत्यक्ष रूप से करीब दो-तीन हजार मजदूरों तथा अप्रत्यक्ष रूप से हजारों कपास उत्पादकों का हित जुड़ा हुआ है।
........वर्जन....
मुख्यालय में मौजूद
सहकारी स्पिनिंग मिल हनुमानगढ़ को चलाने की घोषणा गहलोत सरकार ने की थी। इसके बाद मिल के फैडरेशन को तोडक़र इसे स्वतंत्र इकाई घोषित कर दिया गया। आगे का काम शुरू होता, इस दौरान सरकार बदल गई। मिल को स्वतंत्र इकाई घोषित करने के दस्तावेज मुख्यालय में मौजूद हैं।
-कार्यवाहक फैक्ट्री मैनेजर, सहकारी स्पिनिंग मिल हनुमानगढ़