>>: विश्व हिंदी दिवस विशेष : विदेश में रहकर बढ़ा रहे हिंदी की ताकत और मान

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Jhunjhunu News :

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी पढ़ा रही बड़ागांव की दर्शना
सात समंदर पार भी जिले की एक बेटी का हिंदी प्रेम कम नहीं हुआ। वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में बच्चों को हिंदी पढ़ा रही है। इसके अलावा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी हिंदी का महत्व बता रही है। मूल रूप से झुंझुनूं जिले के बडागांव की रहने वाली दर्शना ने बताया कि पर्थ में हिंदी समाज पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की ओर से हिंदी पाठशाला का संचालन किया जाता है। दर्शना इसी पाठशाला से जुड़ी हुई है। इस पाठशाला में हर रविवार को दो घंटे बच्चों को हिंदी पढाई जाती है। यहां अधिकतर वे ही बच्चे पढने आते हैं जो भारतीय हैं, इसके अलावा आस्ट्रेलिया के कुछ बालक भी हिंदी सीखने यहां आते हैं। दर्शना ने बताया कि पर्थ में सरकारी नौकरी करने से पहले एक योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। वह परीक्षा भी उसने उत्तीर्ण कर ली है। पर्थ के सरकारी स्कूलों में इसी वर्ष से वहां की सरकार ने हिंदी को एच्छिक विषय घोषित कर दिया है। ऐसे में अब हिंदी को पहले से ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। दर्शना के दादा श्रीराम शर्मा भी शिक्षक रहे हें।

शादी के बाद गई पर्थ
दर्शना की पढाई झुंझुनूं, पिलानी सहित कई जगह सरकारी व निजी स्कूलों में हुई। पापा देवकी नंदन शर्मा बैंक में अधिकारी थे, उनका जगह-जगह तबादला होता रहता था। झुंझुनूं से बीए व बीकानेर के राजकीय महाविद्यायल से हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इसके बाद नागौर के मौलासर निवासी प्रमोद शर्मा से शादी हो गई। इंजीनियर प्रमोद की नौकरी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में लग गई। उनके साथ दर्शना भी पर्थ चली गईं।

उदयपुरवाटी उपखंड के छोटे से गांव पापड़ा खुर्द के मूल निवासी प्रवासी गिरिराज सिंह शेखावत व उनकी पत्नी राजश्री राठौड़ पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ (ब्रूम) में रह रहे हैं। गिरिराज सिंह एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर व पत्नी राजश्री अकाउंट्स विभाग में कार्यरत है। लेकिन उनके दिलों में आज भी हिंदी जिंदा है। खास बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी भी उनसे हिंदी सीख रहे हैं। वहीं दोनों अपने इकलौते बेटे भव्य राज सिंह को भारत में पढाकर हिंदी सिखा रहे हैं। वह अभी जयपुर में कक्षा तीन में पढाई कर रहा है।

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कतर में रहकर भी बालक सीख रहे हिंदी
झुंझुनूं निवासी विनायक मिश्रा व खुशी मिश्रा की प्रारंभिक से लेकर बारहवीं तक की पढाई कतर की राजधानी दोहा में हुई। स्कूल में हिंदी नहीं चलती, लेकिन दोनों भाई-बहन हर माह अलग से हिंदी सीख रहे हैं। इसके लिए वे भारत से हिंदी विषय की पुस्तकें मंगवाते रहते हैं। अभी कॉलेज में पढ रहे विनायक ने बताया कि उसे अनेक भाषा आती है। दिसम्बर 2022 में दोहा में हुए फीफा वर्ल्ड कप में उसे लोगों के बीच संवाद के लिए विशेष नियुक्ति दी गई थी। वह अब खुद हिंदी सीख रहे हैं। साथ ही कतर में जो भी हिंदी सीखना चाहता है, उसे हिंदी के साथ व्याकरण भी सिखा रहे हैं। विनायक व खुशी ने बताया कि हिंदी में जो आत्मीयता है, वह अन्य भाषाओं में नहीं है। कतर में भारत के अनेक लोग रहते हैं, लेकिन जब भी आपस में मिलते हैं तो हिंदी में ही बात करते हैं। पिता विक्रम मिश्रा व मां संगीता भी उसे हिंदी व व्याकरण सिखाते रहते हैं।

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ऑस्ट्रेलिया में हिंदी पढ़ा रही बड़ागांव की दर्शना
सात समंदर पार भी जिले की एक बेटी का हिंदी प्रेम कम नहीं हुआ। वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में बच्चों को हिंदी पढ़ा रही है। इसके अलावा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी हिंदी का महत्व बता रही है। मूल रूप से झुंझुनूं जिले के बडागांव की रहने वाली दर्शना ने बताया कि पर्थ में हिंदी समाज पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की ओर से हिंदी पाठशाला का संचालन किया जाता है। दर्शना इसी पाठशाला से जुड़ी हुई है। इस पाठशाला में हर रविवार को दो घंटे बच्चों को हिंदी पढाई जाती है। यहां अधिकतर वे ही बच्चे पढने आते हैं जो भारतीय हैं, इसके अलावा आस्ट्रेलिया के कुछ बालक भी हिंदी सीखने यहां आते हैं। दर्शना ने बताया कि पर्थ में सरकारी नौकरी करने से पहले एक योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। वह परीक्षा भी उसने उत्तीर्ण कर ली है। पर्थ के सरकारी स्कूलों में इसी वर्ष से वहां की सरकार ने हिंदी को एच्छिक विषय घोषित कर दिया है। ऐसे में अब हिंदी को पहले से ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। दर्शना के दादा श्रीराम शर्मा भी शिक्षक रहे हें।

शादी के बाद गई पर्थ
दर्शना की पढाई झुंझुनूं, पिलानी सहित कई जगह सरकारी व निजी स्कूलों में हुई। पापा देवकी नंदन शर्मा बैंक में अधिकारी थे, उनका जगह-जगह तबादला होता रहता था। झुंझुनूं से बीए व बीकानेर के राजकीय महाविद्यायल से हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इसके बाद नागौर के मौलासर निवासी प्रमोद शर्मा से शादी हो गई। इंजीनियर प्रमोद की नौकरी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में लग गई। उनके साथ दर्शना भी पर्थ चली गईं।

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कतर में रहकर भी बालक सीख रहे हिंदी
झुंझुनूं निवासी विनायक मिश्रा व खुशी मिश्रा की प्रारंभिक से लेकर बारहवीं तक की पढाई कतर की राजधानी दोहा में हुई। स्कूल में हिंदी नहीं चलती, लेकिन दोनों भाई-बहन हर माह अलग से हिंदी सीख रहे हैं। इसके लिए वे भारत से हिंदी विषय की पुस्तकें मंगवाते रहते हैं। अभी कॉलेज में पढ रहे विनायक ने बताया कि उसे अनेक भाषा आती है। दिसम्बर 2022 में दोहा में हुए फीफा वर्ल्ड कप में उसे लोगों के बीच संवाद के लिए विशेष नियुक्ति दी गई थी। वह अब खुद हिंदी सीख रहे हैं। साथ ही कतर में जो भी हिंदी सीखना चाहता है, उसे हिंदी के साथ व्याकरण भी सिखा रहे हैं। विनायक व खुशी ने बताया कि हिंदी में जो आत्मीयता है, वह अन्य भाषाओं में नहीं है। कतर में भारत के अनेक लोग रहते हैं, लेकिन जब भी आपस में मिलते हैं तो हिंदी में ही बात करते हैं। पिता विक्रम मिश्रा व मां संगीता भी उसे हिंदी व व्याकरण सिखाते रहते हैं।

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