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भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार फोटो युक्त मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के पर्यवेक्षण के लिए रविवार को कलक्ट्रेट सभागार में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलक्टर डॉ. अमित यादव ने रोल पर्यवेक्षकों की नियुक्ति संबंधी दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान कलक्टर यादव ने बताया कि 6 जनवरी को एकीकृत मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन किया गया है। अब 22 जनवरी तक दावे एवं आपत्ति प्राप्त करने की अवधि रहेगी। उन्होंने बताया कि 20 जनवरी को मतदाता सूचियों से संबंधित विभाग की प्रविष्टियों का ग्राम सभा, स्थानीय निकाय एवं आवासीय वेलफेयर सोसायटी के साथ बैठक आयोजित कर पठन किया जाएगा तथा वहीं पर इन सूचियों का सत्यापन भी करना होगा। 21 जनवरी को राजनीतिक दलों के बूथ स्तरीय अभिकर्ताओं के साथ दावे एवं आपत्तियों के आवेदन पत्र प्राप्त किए जाएंगे तथा 2 फरवरी को इन दावे एवं आपत्तियों का निस्तारण होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि 8 फरवरी को मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। इस दौरान नागौर जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्हें जिला निर्वाचन अधिकारी ने मतदाता सूचियों की सॉफ्ट कॉपी वितरित की।

वेबसाइट पर देख सकते हैं मतदाता सूची
जिले के 10 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूचियों को निर्वाचन विभाग की वेबसाइट https://ceorajasthan.nic.in/ पर भी आमजन की ओर से देखा जा सकता है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सभी मतदान केन्द्रों पर दावे एवं आपत्तियां प्राप्त करने के लिए 21 जनवरी 2024 को विशेष अभियान चलाया जाएगा। संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारियों की ओर से एकीकृत मतदाता सूचियों के प्रारूप प्रकाशन के उपरांत दावे एवं आपत्तियां 22 जनवरी तक प्राप्त किए जाएंगे।

यह है वर्तमान मतदाताओं की संख्या
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रारूप मतदाता सूची में अब तक कुल 13,88,540 पुरूष मतदाता, 12,96,288 महिला मतदाता हैं, इस प्रकार कुल 26,84,828 मतदाता पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि मतदाता सूचियों की प्रारूप प्रकाशन तारीख 6 जनवरी तक मतदाता सूचियों में लैंगिक अनुपात 934 रहा है। 18-19 आयुवर्ग के मतदाताओं का प्रतिशत 3.17 प्रतिशत है। वहीं वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष और अधिक आयु के) का प्रतिशत 1.94 प्रतिशत तथा शारीरिक रूप से असक्षम (दिव्यांगजनों) का 1.06 प्रतिशत रहा है।

नाम जुड़वाने और संशोधन के लिए भरने होंगे अलग-अलग फॉर्म
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि अर्हता दिनांक एक जनवरी, 2024 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों में जोडऩे का कार्य प्रारम्भ हो गया है। साथ ही अर्हता तिथि एक अप्रेल, एक जुलाई एवं एक अक्टूबर 2024 को 18 वर्ष पूर्ण करने वाले मतदाता भी नाम जोडऩे के लिए प्रारूप प्रकाशन की तिथि से अग्रिम रूप से आवेदन कर सकते हैं। इसके अंतर्गत आमजन विभिन्न ऑनलाइन माध्यम यथा वोटर हैल्पलाइन मोबाइल ऐप, बीएलओ ऐप एवं निर्वाचन आयोग के मतदाता सेवा पोर्टल के माध्यम से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए प्रपत्र-6, नाम विलोपन के लिए प्रपत्र-7 एवं प्रविष्टियों में संशोधन, निवास स्थानान्तरण, डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र तथा विशेष योग्यजन संबंधी चिह्निकरण के लिए प्रपत्र-8 में आवेदन कर सकेंगे। जिला निर्वाचन अधिकारी ने यह भी बताया कि फार्म नं. 8 का उपयोग कर मतदाता अपनी प्रविष्टि के साथ अपना यूनिक मोबाइल नम्बर भी मतदाता सूची में पंजीकृत करा सकते हैं। ऐसे मतदाताओं, जिनके यूनिक मोबाइल नम्बर मतदाता सूची में पंजीकृत हैं उन्हें विभाग की ओर से ई -सेवाएं प्रदान की जाती हैं एवं वे ई-ईपिक भी डाउनलोड कर सकते हैं।

नागौर में मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है। पुलिस की तकलीफ का पीछले दस - बारह बरसों से कोई निस्तारण नहीं हो रहा है , बरामद माल पुलिस के पास ही पड़ा है। नागौर (डीडवाना - कुचामन) जिलेभर के अधिकांश थानों का हाल यह है कि मालखाने में जगह नहीं बची है, तो थाने तक में वाहन हो या फिर अन्य कोई जब्त माल, रखना मुश्किल हो रहा है। माल चोरी का हो या डकैती का, पुलिस के पास इसे सहेजने तक के साधन-संसाधन खत्म हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि कई थानों में तो जब्त माल को रखे सालों-साल हो गए। मामले का निस्तारण हो तब माल छूटे ना। कोतवाली ही नहीं कमोबेश अधिकतर थानों का यही हाल है। मालखाने में चोरी का बरामद माल हो या फिर अन्य अपराध का, थाना पुलिस इन्हें जमा करते - करते उकता सी गई है। कई थानों में तो यह माल अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है। यही नहीं चोरी का बरामद माल बाइक हो या अन्य, उसे तक छुड़ाने कोई नहीं आ रहा। लिहाजा पुलिस पर इसकी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। जसवंतगढ़ थाने का ही मामला देखिए, चुनाव के दौरान करीब चार ट्रक शराब यहां पकड़ी गई, अब इन्हें रखने की मुश्किल आन पड़ी। अब करते भी तो क्या लिहाजा खुले में ही इनको रखवा दिया गया, ऊपर तिरपाल ढक दिया गया। बताते हैं कि मामले का निस्तारण होने के बाद काफी कुछ माल यहां से ले जाया गया। अब पुलिस को चैन मिला है।

सूत्र बताते हैं कि असल में विभिन्न थानों में चोरी की ही बरामद बाइक की संख्या करीब पांच सौ से अधिक है। बावजूद इसके कोई इनको लेने नहीं आ रहा। ऐसे मामलों में बाइक का मालिक कुछ समय बाद इंश्योरेंस कम्पनी से बाइक की कीमत उठा लेता है। तो आखिर वो इसे लेने आएगा भी क्यों? और तो और पुलिस भी ऐसे वाहनों के लिए ना तो वाहन मालिकों को लिख रही है ना ही इंश्योरेंस कम्पनियों को। ऐसी केवल बाइक ही नहीं कार/जीप समेत कुछ अन्य गाडिय़ां भी हैं जो पड़े-पड़े कबाड़ बनती जा रही हैं।


नहीं पता लगा थाने से जब्त माल की चोरी का
सूत्रों का कहना है कि करीब छह माह पूर्व पांचौड़ी थाने के भीतर खड़े कंटेनर के ताले तोड़कर चोर दो कट्टों में भरा 27 किलो डोडा-पोस्त ले गए। चोर दो नए ताले चाबी के साथ लाए थे, ताकि वारदात के बाद वो इन्हें कंटनेर में लगा जाएं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगे। करीब पौने पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक किंवटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हुआ था, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है। कोतवाली थाने में करीब पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक क्विंटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हो गया। डोडा-पोस्त से भरे चोरी के चार बोरों का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। इस मामले में तीन कांस्टेबल निलम्बित किए गए थे।

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मुश्किलें कई और भी
सूत्र बताते हैं कि बरामद मादक पदार्थ व गाड़ी भले ही पुलिस की कस्टडी में हो, लेकिन इस मामले का निस्तारण संबंधित विभाग ही करता है। यही हाल शराब सहित अन्य वस्तुओं का है। पूर्व एसपी राममूर्ति जोशी ने कबाड़ बनते वाहनों को नीलाम करने की कवायद भी शुरू की थी। असल में जब्त/बरामद माल के मामले निस्तारण अथवा चोरी के माल को संबंधित तक पहुंचने के नियम और कड़े होने चाहिएं। वैसे पुलिस भी वाहनों के लिहाज से एक बड़ी जगह की तलाश कर रही है। सूत्रों के अनुसार लोक अदालत ने पिछले साल एक फैसले में कहा था कि अगस्त-2022 से पहले के ट्रेफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहन-लाइसेंस बिना जुर्माने के देने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश को हुए एक साल होने को आया, लेकिन दस फीसदी लोग भी अपना वाहन उठाने नहीं आए। नागौर के ट्रेफिक थाने में वाहनों का अंबार यह बताने के लिए काफी है बिना चोरी के केवल जुर्माने से दण्डित हैं, उन सभी को राहत मिल चुकी है, इसके बाद भी वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। ट्रेफिक सीओ रविंद्र बोथरा के निर्देश पर हैड कांस्टेबल शिवदेवाराम सहित टीम ने इसके लिए मशक्कत भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

इनका कहना
कानूनी निस्तारण के बाद ही इस तरह का माल थानों से हल्का हो सकता है। कुछ थानों में ही यह दिक्कत ज्यादा है, बाकी तो सब ठीक है।
नारायण टोगस, एसपी नागौर

नागौर जिले की मेड़ता सिटी पुलिस ने अवैध मादक पदार्थ तस्करी की रोकथाम को लेकर रविवार को कार्रवाई करते हुए स्लीपर वोल्वो बस से 252.600 किलोग्राम डोडा पोस्त जब्त किया। वहीं बस को जब्त करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया।
थानाधिकारी प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस के निर्देशों की पालना आरपीएस सुमित कुमार, पुलिस उप अधीक्षक नूर मोहम्मद के सुपरविजन में कार्रवाई की गई। मुखबिर की मिली सूचना के अनुसार बीकानेर-उदयपुर कल्पना शर्मा लिखी हुई स्लीपर बस डांगावास की तरफ से आ रही है। स्लीपर बस की डिग्गी में अवैध मादक पदार्थ है। पुलिस ने बस का पीछा किया तो बस चालक ने बस को साइड में लेकर भागने का प्रयास किया। जिस पर पुलिस ने वाहन को घेरकर रुकवाया और बस चालक व साइड में परिचालक से पूछताछ की। जिस पर चालक घबरा गया और हड़बड़ा गया। वहीं स्लीपर बस की पिछली डिग्गी तलाशने पर कार के पार्टस और तीन खाकी कर्टन रखे हुए मिले। एक खाकी कर्टन को खोलकर चैक किया तो डोडा पोस्त चुरा भरा हुआ मिला।
दोनों गिरफ्तार, माल किया जप्त
पुलिस ने वोल्वो स्लीपर बस के साथ ही उसमें रखे 252 किलो 600 ग्राम डोडा पोस्त को जब्त किया । वहीं तस्करी कर रहे खेतासर बस्ती गंगाशहर निवासी देवकिशन (40) पुत्र हनुमानदास वैष्णव और नोखा थाना अंतर्गत रासीसर निवासी मुकेश (25) पुत्र भजनलाल विश्नोई को गिरफ्तार किया।

-कोविड के दौरान बंद हुई तो फिर दोबारा अब तक चालू नहीं हो पाई, मेला प्रशासन ने भी नहीं ली दिलचस्पी
-परम्परागत भारतीय खेलो मे भाग लेने के साथ भारतीय संस्कृति व परम्परा से जुड़ाव करते थे महसूस विदेशी सैलानी
-पशु मेला आयोजन में फिर से खेलों का आयेाजन हो तो फिर बढ़े रामदेव पशु मेला का क्रेज
नागौर. रामदेव पशु मेला में पिछले पांच सालों से परंपरागत खेल पूरी तरह से गायब रहे हैं। इसका मेला पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बताते हैं कि पांच साल पहले यहां पर कबड्डी, रस्साकसी, मटका फोड़ एवं तीन टांग दौड़ आदि की प्रतियोगिताएं हुआ करती थी। इसमें विदेशी सैलानी भी भाग लेते थे। इनको देखने के लिए पशु मेला में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी। कोविड-19 की त्रासदी से उबरने के बाद पशु मेला का तो फिर से पहले की तरह ही आयोजन होने लगा, लेकिन इन परंपरागत खेलों को आयोजन नहीं कराया गया। इसकी वजह से भी स्थानीय लोगों के साथ ही विदेशी सैलानियों का भी मेला से मोह भंग होने का पूरा असर इस मेले पर पड़ा है।
मिली जानकारी के अनुसार रामदेव पशु मेला पिछले तकरीबन पंद्रह सालों से स्थानीय लोक संस्कृति को उजागर करने के साथ ही विदेशी सैलानियों को भी मेले से जोड़े रखने के लिए हर साल विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता रहा। इन प्रतियोगिताओं में कई बार तो विदेशी सैलानियों के बीच ही प्रतिस्पर्धा होती थी, तो कई प्रतियोगिताओं में देशी एवं विदेशी, दोनों ही के खिलाड़ी शामिल होते थे। ऐसे आयोजनों को देखने के लिए रामदेव पशु मेला में काफी भीड़ उमड़ती थी। हार-जीत की भावना से इन परंपरागत खेलों को खेलने वाले विदेशी सैलानी भी इससे रामदेव पशु मेला से अपना जुड़ाव महसूस करने लगे थे। बताते हैं कि केवल ऐसी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए ही विदेशी सैलानी यहां मेला मैदान में पहुंच जाते थे। इनके आयेाजनों में शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग एवं पशु पालन आदि संयुक्त रूप से अपनी सहभागिता करते थे। अब मेला के घटते क्रेज के साथ ही यहां पर आने वाले सैलानियों की प्रतिवर्ष कम होती संख्या को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार के आयोजन से फिर से आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। इस संबंध में पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खेल विभाग परंपरागत खेलों का आयेाजन आदि कराए जाने के लिए प्रयास करने के साथ ही विभाग से संपर्क करेगा तो उनको हरसंभव सहयोग किया जाएगा।
मेला मैदान में जुटती थी भीड़
बताते हैं कि पूर्व के वर्षों में मेला में परंपरागत खेलों की प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों के साथ प्रतियोगिता के रोमांचक क्षणों का हिस्सा बनने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग यहां पर पहुंचते थे। इसके चलते न केवल मेला मैदान में आमजन की भारी भीड़ एकत्रित होती थी, बल्कि मेला एवं मेला के आसपास लगी स्टॉलों पर भी जमकर खरीदारी होती थी। इसकी वजह से मेला में चहल-पहल बढ़ जाती थी। मेला प्रशासन को तो राजस्व मिलता ही था, बल्कि दुकानदारों की भी अच्छी आय हो जाती थी। यही वजह रही कि पहले मेला मैदान के अंदर दुकानों को लेने के लिए दुकानदारों में होड़ लगी रहती थी। अब ऐसा नहीं रहा। ऐसे में पशु पालन विभाग इन आयोजनों के लिए प्रयास करता है तो निश्चित रूप से रामदेव पशु मेला के घटते क्रेज पर लगाम लग सकती है।
खेल विभाग पूरा सहयोग करेगा
जिला स्टेडियम के खेल अधिकारी सोहनलाल गोदारा से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि रामदेव पशु मेला में सांस्कृतिक एवं सामाजिक विशेषताओं को उजागर करने वाली खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन निश्चित रूप से होना चाहिए। इसका आयोजन कम से कम तीन दिनों तक लगातार होना चाहिए। विदेशी सैलानियों के साथ ही स्वदेशी खिलाडिय़ों को जोड़ते हुए परस्पर प्रतियोगिताओं का आयेाजन कराया जा सकता है। इसका निश्चित रूप से रामदेव पशु मेला पर केवल एक सकारत्मक असर पड़ेगा, बल्कि विदेशी सैलानी भी भारतीय सांस्कृतिक विशेषताओं से जुड़ाव महसूस कर सकेंगे।
फिर से होनी चाहिए प्रतियोगिताएं
पूर्व जिला खेल अधिकारी भंवरराम सियाग का कहना है कि वह पिछले पंद्रह सालों से खुद के स्तर पर प्रयास कर रामदेव पशु मेला में कबड्डी, रस्साकसी एवं मटका फोड़ आदि की प्रतियोगिताएं कराते रहे हैं। इसमें विदेशी सैलानी जमकर भाग लेते थे। अब कोविड-19 के संक्रमण के चले दौर के बाद आयोजन कराए जाने की शृंखला ही थम गई। इसे फिर से शुरू कराना चाहिए। इससे न केवल मेला को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि विदेशी सेलानियों में भी इसका क्रेज बढ़ेगा। सियाग ने कहा कि वह खुद के स्तर पर शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग आदि से संपर्क कर इसमें शामिल खिलाडिय़ों को सम्मानित भी कराते थे। फिर से ऐसे आयोजन शुरू होते हैं तो फिर वह इसमें आज भी पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

केस-1

जसवंतगढ़ थाने में चुनाव के दौरान पकड़ी गई शराब काफी दिनों तक खुले में पड़ी रही। तिरपाल से ढक तो दी गई, लेकिन उस पर निगरानी तक के लिए पुलिसकर्मी अलग मेहनत करते दिखे।

केस-2

हाल ही में चुनाव से पहले बिस्कुट की आड़ में करीब पांच करोड़ का डोडा-पोस्त पकड़ा गया। अब माल खाना तो पहले से ही ठसाठस है था, सो सिपाहियों के रहने वाले हॉल में इसे रखवा दिया गया है।

केस-3

करीब तीन महीने अवैध शराब से भरा ट्रक पकड़ा गया था। थाने में इसे रखने की जगह नहीं थी, अब इसे अन्यत्र रखवाने की व्यवस्था की गई है।

नागौर. मादक पदार्थ हो या फिर अन्य कोई बरामद माल, कार्रवाई के बाद पुलिस इन्हें अपने यहां रख तो लेती है, लेकिन मामले का निस्तारण करने में लगने वाला समय अब पुलिस को तकलीफ देने लगा है। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिलेभर के अधिकांश थानों का हाल यह है कि मालखाने में जगह नहीं बची है, तो थाने तक में वाहन हो या फिर अन्य कोई जब्त माल, रखना मुश्किल हो रहा है। माल चोरी का हो या डकैती का, पुलिस के पास इसे सहेजने तक के साधन-संसाधन खत्म हो गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि कई थानों में तो जब्त माल को रखे सालों-साल हो गए। मामले का निस्तारण हो तब माल छूटे ना । कोतवाली ही नहीं कमोबेश अधिकतर थानों का यही हाल है। मालखाने में चोरी का बरामद माल हो या फिर अन्य अपराध का, थाना पुलिस इन्हें जमा करते-करते उकता सी गई है। कई थानों में तो यह माल अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है। यही नहीं चोरी का बरामद माल बाइक हो या अन्य, उसे तक छुड़ाने कोई नहीं आ रहा। लिहाजा पुलिस पर इसकी जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है। जसवंतगढ़ थाने का ही मामला देखिए, चुनाव के दौरान करीब चार ट्रक शराब यहां पकड़ी गई, अब इन्हें रखने की मुश्किल आन पड़ी। अब करते भी तो क्या लिहाजा खुले में ही इनको रखवा दिया गया, ऊपर तिरपाल ढक दिया गया। बताते हैं कि मामले का निस्तारण होने के बाद काफी कुछ माल यहां से ले जाया गया। अब पुलिस को चैन मिला है।

सूत्र बताते हैं कि असल में विभिन्न थानों में चोरी की ही बरामद बाइक की संख्या करीब पांच सौ से अधिक है। बावजूद इसके कोई इनको लेने नहीं आ रहा। ऐसे मामलों में बाइक का मालिक कुछ समय बाद इंश्योरेंस कम्पनी से बाइक की कीमत उठा लेता है। तो आखिर वो इसे लेने आएगा भी क्यों? और तो और पुलिस भी ऐसे वाहनों के लिए ना तो वाहन मालिकों को लिख रही है ना ही इंश्योरेंस कम्पनियों को। ऐसी केवल बाइक ही नहीं कार/जीप समेत कुछ अन्य गाडिय़ां भी हैं जो पड़े-पड़े कबाड़ बनती जा रही हैं।

जुर्माना माफ फिर भी नहीं ले जा रहे वाहन

सूत्रों के अनुसार लोक अदालत ने पिछले साल एक फैसले में कहा था कि अगस्त-2022 से पहले के ट्रेफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहन-लाइसेंस बिना जुर्माने के देने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश को हुए एक साल होने को आया, लेकिन दस फीसदी लोग भी अपना वाहन उठाने नहीं आए।नागौर के ट्रेफिक थाने में वाहनों का अंबार यह बताने के लिए काफी है बिना चोरी के केवल जुर्माने से दण्डित हैं, उन सभी को राहत मिल चुकी है, इसके बाद भी वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। ट्रेफिक सीओ रविंद्र बोथरा के निर्देश पर हैड कांस्टेबल शिवदेवाराम सहित टीम ने इसके लिए मशक्कत भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

नहीं पता लगा थाने से जब्त माल की चोरी का

सूत्रों का कहना है कि करीब छह माह पूर्व पांचौड़ी थाने के भीतर खड़े कंटेनर के ताले तोड़कर चोर दो कट्टों में भरा 27 किलो डोडा-पोस्त ले गए। चोर दो नए ताले चाबी के साथ लाए थे, ताकि वारदात के बाद वो इन्हें कंटनेर में लगा जाएं और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगे। करीब पौने पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक किंवटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हुआ था, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है। कोतवाली थाने में करीब पांच साल पहले कोतवाली थाने के मालखाने में रखा करीब एक क्विंटल से अधिक डोडा-पोस्त गायब हो गया। डोडा-पोस्त से भरे चोरी के चार बोरों का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। इस मामले में तीन कांस्टेबल निलम्बित किए गए थे।

मुश्किलें कई और भी

सूत्र बताते हैं कि बरामद मादक पदार्थ व गाड़ी भले ही पुलिस की कस्टडी में हो, लेकिन इस मामले का निस्तारण संबंधित विभाग ही करता है। यही हाल शराब सहित अन्य वस्तुओं का है। पूर्व एसपी राममूर्ति जोशी ने कबाड़ बनते वाहनों को नीलाम करने की कवायद भी शुरू की थी। असल में जब्त/बरामद माल के मामले निस्तारण अथवा चोरी के माल को संबंधित तक पहुंचने के नियम और कड़े होने चाहिएं। वैसे पुलिस भी वाहनों के लिहाज से एक बड़ी जगह की तलाश कर रही है।

इनका कहना

कानूनी निस्तारण के बाद ही इस तरह का माल थानों से हल्का हो सकता है। कुछ थानों में ही यह दिक्कत ज्यादा है, बाकी तो सब ठीक है।

-नारायण टोगस, एसपी नागौर

नागौर. रामपोल सत्संग भवन में सोमवार को कलश शोभायात्रा के साथ भागवत कथा शुरू हुई। कलश शोभायात्रा सुबह करीब दस बजे महंत मुरलीराम महाराज के सानिध्य में बंशीवाला से शोभायात्रा रवाना हुई। शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए रामपोल सत्संग भवन पहुंची। शोभायात्रा में देवी-देवताओं की सजीव झांकियां आकर्षण का केन्द्र बनी रही। इसके बाद विधि विधान से भागवत कथा की शुरुआत हुई। पहले दिन यानि की सोमवार को शुरू हुई भागवत कथा का वाचन करते हुए संत रामनिवास शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण करने मात्र से व्यक्ति जीवन मुक्त बन जाता है। भागवत मोह व भय का नाश करती है। कलयुग में मनुष्य कठिन तपस्या नहीं कर सकते हैं। इसलिए सहज भाव से भगवत भक्ति के लिए भागवत कथा ेको श्रवण का माध्यम बनाया है। ताकि मनुष्य के भय का नाश करने के साथ उसको आत्मिक-अध्यात्मिक ज्ञान की रोशनी मिल सके। इसे श्रवण कर व्यक्ति चिताओं से मुक्त हो जाता है। सत्संग करने से ही मनुष्य को विवेक की प्राप्ति होती है। इससे अच्छे एवं बुरे का ज्ञान होता है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा से व्यक्ति ज्ञान एवं वैराग्य की वृद्धि होती है। धुंधकारी जैसे महा पापी का भी कल्याण भागवत कथा श्रवण से हुआ। इस दौरान संत श्रवणराम महाराज, साध्वी मोहनी बाई, नंदकिशोर बजाज, राजाराम चाण्डक, नंदलाल प्रजापत, मनोज प्रजापत, जितेन्द्र, गिरधारी गोदारा, दिनेश टाक, पंडित जोगराज शर्मा व कैलाश शर्मा आदि मौजूद थे।
बाजार को डरा रहे बिजली के टेढ़े-मेढ़े पोल
-शहर के सदर बाजार एवं दंाती बाजार आदि क्षेत्रों में बिजली के पोलों की स्थिति खराब
नागौर. शहर के कई क्षेत्रों में बिजली के टेढ़े-मेढ़ लगे पोल हादसे को आमंत्रण देते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति एक नहीं, कई बिजली के पोलों की है। इसमें से कई पोल तो प्रमुख बाजारों में हैं। हालांकि स्थानीय स्तर पर लोगों की ओर से इन पोलों को व्यवस्थित कराए जाने के लिए ज्ञापन आदि दिए गए, लेकिन बताते हैं कि फिर भी विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों की नजरों में, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, नतीजतन इसके चलते कभी हालात बिगड़े तो फिर कौन जिम्मेदार होगा, सरीखे सवालों के जवाब भी जिम्मेदार अधिकारियों के पास नहीं हैं। यह हालत है नागौर शहर की। यह स्थिति तब है, जबकि जिला मुख्यालय होने के नाते यहां पर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों की भारी-भरकम कार्यरत फौज तैनात रहती है। शहर के दांती बाजार, बांगानी गली से नया दरवाजा जाने वाले मार्ग पर, बंशीवाला मंदिर के पास के साथ ही सदर बाजार एवं अगल-बगल के क्षेत्रों में बिजली के पोलों स्थिति इतनी खराब है कि इनमें कुछ टेढ़े हो चुके हैं, और कुछ टेलीफोन के पोलों के सहारे टिके हुए हैं। स्थानीय बाशिंदों में किशोरचंद, रमेश, रामजीलाल, सुमेर आदि ने बताया कि इन बिजली के पोलों के जीर्ण-शीर्ण होने के कारण हर समय हादसे का डर बना रहता है।

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