सरकार ने फिर ठंडे बस्ते से निकाला खर्च में पारदर्शिता का ई.पंचायत सॉफ्टवेयर

जयपुर. प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं में करीब छह—सात हजार करोड़ रुपए के सालाना खर्च का रीयल टाइम हिसाब—किताब रखने के लिए बनाए गए ई.पंचायत सॉफ्टवेयर को अब फिर सरकार ने ठंडे बस्ते से निकाला है। करीब साढ़े तीन साल तक अनदेखी का शिकार रहे इस सॉॅफ्टवेयर सभी पंचायतों में लागू करने के लिए सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। पिछले दिनों खुद अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने सॉफ्टवेयर को लेकर समीक्षा की और इसे लागू करने के आदेश दिए। वहीं, डीओआईटी और पंचायत राज विभाग के अधिकारी आपसी बैठकों में इस सॉफ्टवेयर में सामने आई कमियों को दूर करने पर विचार कर रहे हैं। सरकार ने 2017 में ढ़ाई करोड़ रुपए की लागत से ये सॉफ्टवेयर विकसित कराया था। लेकिन साढ़े तीन साल में विभिन्न कारणों से इसे सभी पंचायतों में लागू नहीं करा पाई।

नकद लेन—देन पर रोक, खर्च ओपन डोमेन में

फिलहाल पंचायत राज संस्थाओं को वित्त् आयोग के अनुसान के तौर पर मिलने वाला हजारों करोड़ रुपए की राशि खर्च तो होती है, लेकिन सरकार के पास ऐसा कोई टूल नहीं जिसके जरिए यह पता चलाया जा सके के किस ग्राम पंचायत में किस कार्य विशेष पर कितनी राशि खर्च हुई। बताया जा रहा है कि इस सॉॅफ्टवेयर के लागू होते ही इन सभी कार्यों की प्रशासनिक, वित्तीय स्वीकृतियां और भुगतान आॅनलाइन होगा, जिससे राशि के नकद लेन—देन पर रोक लगेगी और हर छोटे से छोटे कार्य की रीयल टाइम निगरानी हो सकेगी।

नई पंचायतों को जोड़ने पर मशक्कत

सरकार ने सॉफ्टवेयर को लागू तो कर दिया लेकिन 2019 में नई बनी पंचायतें अभी इस पर मैप नहीं हो पाई है। इसे पूरी तरह लागू करने के लिए डीओआईटी को सभी नई बनी ग्राम पंचायतों को इसमें जोड़ना होगा। अभी बीते तीन साल में भी 11 हजार में से करीब साढे तीन हजार ही ग्राम पंचायतें ही सॉफ्टवेयर से जुड़ सकी हैं।

भाजपा सरकार में लगी थी रोक

2017 में ही इसे लागू करते वक्त प्रदेश में सरपंच सॉफ्टवेयर के विरोध में उतर आए। 2018 में चुनावी साल और सरपंचों के विरोध को देखते हुए इस सॉफ्टवेयर पर परोक्ष तौर पर सरकार ने रोक लगा दी। यह कहा गया कि यदि किसी पंचायत को इसे लागू करना है तो सरकार की अनुमति लेनी होगी। जनवरी, 2018 से ही फिर यह कवायद ठंडे बस्ते में चली गई।



September 27, 2020 at 07:00AM