>>: मनरेगा: जॉब कार्डधारक डेढ़ लाख के पार, लेकिन बस इतनों को ही मिल रहा काम, आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

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केंद्र सरकार की मनरेगा योजना का सर्वाधिक लाभ मजदूरों को कोरोना काल में मिला, उसके बाद से लगातार इसके आंकड़े गिरते गए। वर्तमान में जिले की 570 ग्राम पंचायतों में 537 काम चल रहे हैं। 22651 मजदूरों को रोजगार मिला है। घटते आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर मजदूरों की संख्या में कमी कैसे आ रही है? जिला परिषद के अफसरों का तर्क है कि विधानसभा चुनाव के चलते नए विकास कार्य पास नहीं हुए थे। साथ ही ठंड के कारण भी मजदूर कम रुचि ले रहे हैं।

कोरोना काल में करीब 90 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला। उनकी रोजी-रोटी चली। इस योजना ने लोगों के परिवार चलाए। जॉबकार्ड धारकों की संख्या भी काफी बढ़ी। वर्तमान में डेढ़ लाख जॉबकार्ड बने हुए हैं। गर्मियों में सर्वाधिक आंकड़ा 25 हजार तक पहुंचा था जो वर्तमान में 22651 है। अब सवाल ये खड़ा हो गया कि मजदूर काम नहीं मांग रहे या फिर काम स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं? हालांकि ये जांच का विषय है लेकिन काम मंजूर न होने के कारण विधानसभा चुनाव माने गए। अब तेजी आने की बात अफसर कर रहे हैं।

रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए मजदूर
कुछ मजदूरों का तर्क है कि मनरेगा में मजदूरी कम मिलती है। इससे घर चलाना आसान नहीं है। ऐसे में तमाम मजदूर दूसरे कार्यों की तलाश में दूसरे राज्यों में चले गए। कोरोना में भी आंकड़ा इसलिए बढ़ा था कि लॉकडाउन के चलते उन्हें दूसरे राज्यों में काम नहीं मिल पाया, लेकिन ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य शुरू किए गए थे। मनरेगा योजना की मॉनिटरिंग का कार्य जिला परिषद अलवर के अफसरों के पास है लेकिन मॉनिटरिंग करने से कोई असर नहीं दिख रहा है। आंकड़े लगभग पुराने महीनों की तरह ही हैं।

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ये है काम का रेकॉर्ड
सबसे अधिक मजदूर वर्तमान में थानागाजी, राजगढ़, मुंडावर व बानसूर पंचायत समिति के अंतर्गत चल रहे कामों में लगे हैं। सबसे कम मजदूर गोविंदगढ़, लक्ष्मणगढ़, मालाखेड़ा, तिजारा व उमरैण पंचायत समिति में काम कर रहे हैं। एक हजार से कम मजदूरों को इन पंचायत समितियों में काम मिला है।

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