>>: waste decomposer: फसल के लिए ये चीज है वरदान, सेहत के लिए भी फायदेमंद

>>

Patrika - A Hindi news portal brings latest news, headlines in hindi from India, world, business, politics, sports and entertainment!

पाली जिले में भू-जल खारा है। ऐसा ही पानी प्रदेश व देश के कई हिस्सों में भी है। वहां पर फसल के लिए यह पानी बेहतर नहीं है। ऐसे में किसानों के लिए वेस्ट डिम्पोजर फायदे वाला है, जो जैविक होने के साथ फसल के उत्पादन को बढ़ाता है। खारे पानी में भी फसल का बेहतर उत्पादन करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह वेस्ट डिकम्पोजर एक बार खरीदने के बाद किसान अपने ही खेत या घर पर एक ड्रम में लगातार गुड़ व पानी का उपयोग कर सालों तक बना सकता है। ये जैविक खाद सर्दी के मौसम में महज आठ से दस दिन और गर्मी में चार से पांच दिन में तैयार हो जाती है। यह खाद का काम करने के साथ ही किटों व दीमक से भी फसल को बचाता है। यह बीज उपचार में भी उपयोग किया जा सकता है।

इस तरह बना सकते हैं
एक प्लास्टिक के ड्रम में 180 लीटर पानी भरकर उसमे 20 लीटर डिकम्पोजर डालना है। उसमें दो किलो सबसे सस्ते वाला गुड़ टुकड़े कर डालना है। इसके बाद इसे लकड़ी की सहायता से उल्टा व सीधा हिलाना है। जिससे गुड़ पानी में घुल जाए। इसके बाद ड्रम पर ढक्कन लगाकर रखना है। इस ड्रम का ढक्कन सुबह व शाम को खोलकर रोजाना पांच से दस दिन तक दो से तीन मिनट तक उल्टा व सीधा हिलाना है। जब घोल रंग बदल दे तो समझना चाहिए वेस्ट डिकम्पोजर तैयार है। खास बात यह है कि यदि यह कम्पोजर से भरा ड्रम यदि पूरा खाली हो जाए तो नया डिकम्पोजर लाने की जरूरत नहीं है। उसी ड्रम में पानी व गुड़ डालकर हिलाने की प्रक्रिया करने से फिर पांच से दस दिन में वेस्ट डिम्पोजर तैयार हो जाएगा।
इस तरह कर सकते हैं बीज उपचार
डिकम्पोजर के घोल को प्लास्टिक की सीट पर फैलाकर उसका छिड़काव सभी फसलों के बीजों पर करना चाहिए। उपचारित बीज को आधा घंटा छज्ञया में सुखाना चाहिए। डिकम्पोजर का उपयोग करते समय उसे हाथ से नहीं छुना चाहिए।

इनका कहना है
वेस्ट डिकम्पोजर पाली के खारे पानी वाली भूमि के लिए बहुत उपयोगी है। यह बहुत सस्ता पड़ता है। इसके साथ ही यह पूर्ण रूप से जैविक है।
अनिल कुमार शुक्ल, प्रभारी काजरी व केवीके, पाली

टॉपिक एक्सपर्ट

वेस्ट डिकम्पोजर का उपयोग पेस्टिसाइड के रूप में किया जाता है। खेत में खड़ी फसल पर छिड़काव किया जा सकता है। फसलों पर 50 प्रतिशत घोल का 7 दिन के अंतराल से छिड़काव करना चाहिए। सब्जियों पर 40 प्रतिशत घोल हर तीन दिन में उपयोग करना चाहिए। फलों पर 60 प्रतिशत घोल हर सात दिन में उपयोग छिड़कना चाहिए। फव्वारा सिंचाई के साथ भी इसका उपयोग कर सकते हैं। बूंद-बूंद सिंचाई में 200 लीटर घाल को वेन्चुरी के माध्यम से प्रयोग करना चाहिए। बीमारियों से बचाव के लिए सात दिन के अंतराल से एकसार छिड़काव करना चाहिए।
महेन्द्र चौधरी, पूर्व प्रभारी, केवीके, पाली

You received this email because you set up a subscription at Feedrabbit. This email was sent to you at abhijeet990099@gmail.com. Unsubscribe or change your subscription.